Story of Baba Brahmeshwar Nath: इस समय अधिक मास चल रह है। आज 24 जुलाई को श्रावण अधिकमास का पहला प्रथम सोमवार है। सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है और अधिकमास में भगवान विष्णु की पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है। इस माह में विधि- विधान से भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। श्रावण अधिकमास के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है।
वही बिहार के दिव्य शिव मंदिरों में से एक ब्रह्मपुर धाम का विशेष महत्व है। मंदिर की पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस मंदिर को स्वयं ब्रह्माजी ने स्थापित किया था। इसी कारण से इस शिवलिंग को बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि पुराणों में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है।
किदवंतियों के अनुसार (Story of Baba Brahmeshwar Nath) मोहम्मद गजनी जब भारत के मंदिरों पर आक्रमण करके उन्हें तोड़ रहा था तो वह इस मंदिर को भी तोड़ने आया था, लेकिन मंदिर का चमत्कार देखकर वापस भाग गया था । कहा जाता है कि मोहम्मद गजनी जब मंदिर को तोड़ने आया था तो मंदिर के पुजारियों ने उससे कहा कि ये भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा बनाया गया मंदिर है, इसलिए इसे छोड़ दे । इस पर मोहम्मद गजनी ने कहा था कि अगर मंदिर इतना दिव्य है तो रात भर में इसके द्वार की दिशा बदल जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो सुबह मंदिर को तोड़ दिया जाएगा।
अगले दिन जब गजनी मंदिर का विनाश करने आया तो उसने देखा कि मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम की तरफ हो गया है। इसके बाद वह बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के चमत्कार से भयभीत होकर वहां से भाग गया। इस घटना के बाद से बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर का महत्व और बढ़ गया।
बक्सर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर पूर्व ब्रह्मपुर धाम के चर्चित बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर में देररात से भक्तों का तांता लगा है। देर रात से ही भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जा रहा है। बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर का बड़ा ही महत्व माना जाता है। बिहार के दिव्य शिव मंदिरों में इसका स्थान है ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर मंदिर में पूजा पाठ के बाद दर्शन करता है। उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।