Wednesday, January 29, 2025
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महात्मा गांधी के बिलौटीं आगमन और आजादी के दीवानों का हुजूम उमड़ पड़ा

Mahatma Gandhi – Shahpur Bilauti: महात्मा गांधी के बिहार आगमन और भोजपुर जिला के शाहपुर (बिलौटीं गांव) सभा मे आजादी की लड़ाई को अहिंसात्मक तरीके से तेज करने का आह्वान किया गया था।

Futen Ansari
raju yadav
Bijay
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  • हाइलाइट :-
    • बिलौटीं गांव 1928 में महात्मा गांधी के आगमन पर आयोजित हुई थी सभा
    • गांधी जी ने युवाओं में आजादी की लड़ाई को लेकर भर दिया था नया जोश
    • क्रांतिकारियों की गतिविधियों को तेज होता देख अंग्रेजों ने घरों को उजाड़ लगाई थी आग

आरा / भोजपुर: शाहपुर प्रखंड के बिलौटीं गांव में 1928 को महात्मा गांधी के आगमन पर आयोजित सभा मे अंग्रेजों के दबाव के बावजूद भारी संख्या में अचानक ही लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। गांधी जी द्वारा लोगो को आजादी की लड़ाई को अहिंसात्मक तरीके से तेज करने का आह्वान किया गया।

Madan Yadav
Badak Kushwaha
Junior Engineer
Madan Yadav
Badak Kushwaha
Junior Engineer

अंग्रेजों को जबतक इसकी पूरी खबर लगती सभा को गांधी जी द्वारा संबोधित किया जा चुका था। माना जाता है कि इस आह्वान के बाद युवाओ में आजादी को लेकर दीवानगी काफी बढ़ गई थी। क्रांति से युवा वर्ग हजारो की संख्या में जुड़ गया था। गोरों का विरोध व्यापक पैमाने पर जोर पकड़ने लगा।

Pintu bhaiya
Pintu bhaiya

बिलौटीं गांव के बुजुर्ग हरिशंकर तिवारी, नारद तिवारी, पूर्व मुखिया बिदुर राम ने बताया कि जिसको लेकर अंग्रेजों द्वारा क्रांतिकारियों पर दमनात्मक करवाई के लिए शूटआउट ऑर्डर जारी कर दिया गया था। यानी क्रांतिकारियों को देखते ही गोली मार देने का आदेश दिया गया था।

गोरों के सिपाही अंग्रेज अफसरों की नेतृत्व में बिलौटीं सहित आसपास के गांवों में घरो में जबरन प्रवेश कर घरो में आग लगा दी सैकड़ों घरो को उजाड़ दिया। लेकिन युवा क्रांतिकारियों के आजादी की लड़ाई की दीवानगी व मनोबल को डीगा नही सकी।

आजादी की लड़ाई में अगहर रहे और गांधी जी के सहयोगी रहे बिलौटी, सरैंया व शाहपुर गांव के सेनानियों जगतानंद त्रिपाठी, पंचानन तिवारी, वकील त्रिपाठी, ओंकार नाथ त्रिपाठी, राम नगीना पांडेय, शाहपुर बैजनाथ साह, भरौली गांव के सरयू प्रसाद मिश्रा सहित कई अन्य लोग (आजादी के दीवाने) शामिल थे। इसके सहित कई लोगो को अंग्रेजों के द्वारा काफी प्रताड़ित भी किया गया था।

गोरों की दमनकारी नीतियों के बावजूद क्षेत्र में आजादी की लडाई इतनी तेज हो गई थी कि अंग्रेजों की नींद हराम हो गई थी। अंग्रेज अफसर मानते थे कि गांधी जी के आगमन और उनके द्वारा क्रांति से जुडने और आजादी की लडाई को तेज करने के आह्वान के बाद ही स्थानीय लोगों में नया जोश भर गया था। इसी दौरान अंग्रेजों द्वारा बिलौटीं के बिल्कुल सटे सरैया गांव के चुरामन सोनार को गोलीमार कर शहीद कर दिया गया था।

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भीम सिंह 'भवेश'
भीम सिंह 'भवेश'

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