NCF 2005 में लोककलाओं/ललितकलाओं के अन्तर्गत “नाट्य” विषय स्वीकृत है
आरा। नाट्य शिक्षक (theatrical teacher) के बहाली की मांग लेकर जिले के रंगकर्मियों ने एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। दिए गए ज्ञापन में रंगकर्मियों ने कहा है कि हमने नाट्य एवं रंगमंच की पढ़ाई की है और हमलोगों ने नाट्य विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री भी प्राप्त कर ली है।
NCF 2005 में लोककलाओं/ललितकलाओं के अन्तर्गत “नाट्य” विषय स्वीकृत है तथा NCF 2009 तथा नई शिक्षा नीति में प्रत्येक शिक्षण संस्थान में नाटक के माध्यम से पढ़ाई पर जोर दिया गया है। इसकी पढ़ाई देश के कई राज्यों में हो रही है। CBSE बोर्ड ने भी इसके महत्व को स्वीकारा है।
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जब NCF तथा शिक्षा नीति जोर दे रहा है, तो इस परिस्थिति में नाट्य एवं रंगमंच में डिग्री धारक छात्र-छात्राओं को शिक्षक (theatrical teacher) के रूप में नियुक्त करना अनिवार्य सा प्रतीत हो रहा है। जिस प्रकार ललित कला के अन्तर्गत आने वाली अन्य कलाएं जैसे-संगीत,नृत्य,चित्रकला एवं मूर्तिकला का शिक्षण सभी संस्थानों में नियमित रूप से जारी है। ऐसे में ललित कला का ही अंश नाट्य एवं रंगमंच का शिक्षण भी अनिवार्य प्रतीत होता है।
नाट्य शिक्षक (theatrical teacher) को सभी शिक्षण संस्थाओं में नियुक्त करने से शिक्षण पद्धत्ति को बेहतर से बेहतर आयाम दिया जा सकता है। नाट्य एवं रंगमंच में डिग्री धारक छात्र-छात्राओं को सभी शिक्षण संस्थानों (विद्यालय एवं महाविद्यालय) में नियुक्ति की जाए। पूरे प्रदेश के नाट्य विषय में BA तथा MA किये हुए छात्रों के निराशा व्याप्त है,उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
मौके पर रंगकर्मियों में किशन कुमार, कृष्ण रतन देव, राजू कुमार रंजन, चैतन्य कुमार, साधना श्रीवास्तव, फिरोज खान, मनोज कुमार सिंह, अशोक मानव, संजय पाल, पूजा राज, रागिनी कश्यप, सुधीर शर्मा, पंकज भट्ट, शैलेन्द्र सच्चु, मनोज कोहली, नरेंद्र कुमार, शुभम, रितिक, सतेन्द्र और देवांश ओझा इत्यादि मौजूद थे।
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