Bampali B.Ed College-प्रारंभिक बाल्यावस्था में देखभाल एवं शिक्षा विषय पर व्याख्यान
मां आरण्य देवी बीएड कॉलेज, बामपाली, आरा में हुआ आयोजन
खबरे आपकी आरा शहर के बामपाली Bampali आरा स्थित माँ आरण्य देवी बीएड कॉलेज में प्रारंभिक बाल्यावस्था में देखभाल एवं शिक्षा विषय पर व्याख्यान का प्रस्तुतीकरण एसबी कॉलेज, आरा के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णचंद्र चौधरी द्वारा किया गया। डॉ. चौधरी ने नई शिक्षा नीति की संकल्पना अनुरूप प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षक को केंद्रित कर बालक के संपूर्ण जीवन की नींव का परिचय बीएड प्रशिक्षुओं को कराया।
उन्होंने समझाया कि बाल्यावस्था पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि सुरक्षित संवर्द्धित बचपन ही मानव विकास की नींव है। बच्चों का सर्वांगीण विकास सर्वोपरि है। प्रारंभिक अवस्था (गर्भावस्था से 6 वर्ष तक अर्थात (0-6 वर्ष की अवस्था) में बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल एवं समुचित विकास हेतु आवश्यक परिस्थितियों की सदैव से आवश्यकता महसूस की जाती रही है। आरंभिक काल में बच्चे जिज्ञासु एवं ज्ञानार्जन के लिए तत्पर रहते हैं। वे आसानी से कई भाषा एवं अन्य क्रियाएं सीख सकते हैं।
अतः उन्हें उचित, स्वास्थ्यप्रद एवं उद्दीप्त वातावरण की आवश्यकता होती है। उचित वातावरण न मिलने पर समूची पीढ़ी विकास के अवसरों से वंचित हो सकती हैं और वे जीवन भर के लिए विकास की दौड़ में पिछड़ सकते हैं। एक बच्चे के जीवन में प्रथम छः वर्ष की अवधि बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस समय बच्चे के जीवन में मस्तिष्क का सबसे ज्यादा विकास होता है। प्रत्येक शिशु एक दूसरे से भिन्न होता है। उनकी इसी व्यक्तिगत भिन्नता को ध्यान में रख उनकी आवश्यकताओं, रुचियों तथा क्षमताओं के अनुसार गतिविधियों का आयोजन हो जिससे बच्चों का शारीरिक-मानसिक या ये कहा जाये कि बच्चे का सर्वांगिंण विकास हो सके।
इस काल क्रम में बच्चे को शिक्षा का समुचित अवसर मिले तो बच्चों में अच्छे नावहार को सीखने की रुचि, जानने समझने और रचनात्मक कार्य करने आदि का गुण एवं दक्षता का नैसर्गिक रूप से विकास होता है। पूर्व प्राथमिक शिक्षा बाल केन्द्रित होना चाहिए और बच्चों पर औपचारिक शिक्षा पद्धति बोझिल नही हो। किसी भी राष्ट्र की समृद्धि के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि अन्य संसाधनों के समान ही उसके मानव संसाधन भी स्वस्थ एवं सपन्न हों। स्वस्थ व शिक्षित बच्चे समृद्ध राष्ट्र के विकास की आधारशिला होते हैं। स्वस्थ बच्चे ही किसी समृद्ध समाज व राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
व्यक्ति बाल्यावस्था में सबसे अधिक सहायता संरक्षण देखभाल के साथ प्रेम को आवश्यकता होती है जिससे उसका संतुलित एवं सर्वांगीण विकास हो सके प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल, विकास और शिक्षा के माध्यम से बच्चे को न केवल सशक्त बनाया जा सकेगा वरन् एक संवेदनशील और जागृत समाज का निर्माण किया जा सकता है। वास्तव में यह समाजीकरण की एक प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत परिवार और समाज में बच्चे स्वतंत्र व सुयोग्य नागरिक के रूप में अपना पहचान स्थापित कर सकें।
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