Spy of Kunwar Singh: जब दानापुर में विद्रोह हुआ, वह विद्रोहियों के पीछे-पीछे जगदीशपुर चला गया था। बाद में उसने अपने को विद्रोहियों के बीच पाया। वह विद्रोहियों के साथ भ्रमण करता रहा। पकड़े जाने पर उस पर आरोप लगा कि विद्रोहियों ने उसे सूचना के लिए लगाया है। वह दाउदनगर, गया और नवादा होता हुआ मुंगेर चला आया था।
- विशेष ट्रायल में मौजी राम पर आरोप सही साबित हुआ
- मौजी राम को हुई थी सात साल की सजा
- कुँवर सिंह के लिए जासूसी का आरोप
Bihar: मुंगेर में कुँवर सिंह के एक जासूस मौजी राम पर मुकदमा चला था। 6 सितम्बर, 1858 को मुंगेर में कुँवर सिंह के एक जासूस मौजी राम कलवार (Spy of Kunwar Singh) को सात साल की सजा दी गई। मौजी राम पर कुँवर सिंह के लिए जासूसी करने का आरोप था। मौजी राम को राजा जयमंगल सिंह के महल के आसपास गिरफ्तार किया गया था।
जयमंगल सिंह के कारिन्दे तेजा और दिलीप का कहना था कि कुँवर सिंह ने उसे राजा जयमंगल सिंह के मुंगेर स्थित आवास के बारे में जाँच-पड़ताल के लिए भेजा था। विशेष ट्रायल में मौजी राम पर आरोप सही साबित हुआ। वह दानापुर कँटनमेंट में छोटा-मोटा हॉकर था।
जब दानापुर में विद्रोह हुआ, वह विद्रोहियों के पीछे-पीछे जगदीशपुर चला गया था। बाद में उसने अपने को विद्रोहियों के बीच पाया। वह विद्रोहियों के साथ भ्रमण करता रहा। पकड़े जाने पर उस पर आरोप लगा कि विद्रोहियों ने उसे सूचना के लिए लगाया है। वह दाउदनगर, गया और नवादा होता हुआ मुंगेर चला आया था।
दरअसल, वह एक कपड़ा बेचने वाला हॉकर था कपड़ा बेचने के दौरान ही वह विद्रोही सिपाहियों के पीछे-पीछे जगदीशपुर पहुँच गया था। मुंगेर में वह पकड़ लिया गया और कहने की जरूरत नहीं कि वह फँस गया था।