Shahpur NGO cash case: आदर्श चुनाव आचार संहिता में सफाई एनजीओ प्रताप सेवा संकल्प के द्वारा मुख्य पार्षद के घर से सफाई कर्मियों को भारी मात्रा में नगद (कैश) भुगतान किये जाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है।
- हाइलाइट :- Shahpur NGO cash case
- आदर्श चुनाव आचार संहिता के दौरान 6 लाख रुपयों से ज्यादा का नगद भुगतान
- वार्ड पार्षद ने कहा मामले को छुपाने और बचाने का किया जा रहा है प्रयास
आरा/शाहपुर: देश में 16 मार्च के बाद से ही आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है। आदर्श चुनाव आचार संहिता लगने के बाद से ही भोजपुर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है। जिले के शाहपुर नगर पंचायत के कई लोगों पर आदर्श चुनाव आचार संहिता के तहत केस भी दर्ज हुआ है। बावजूद इसके शाहपुर नगर पंचायत के सफाई एनजीओ की मनमानी चरम पर है।
आदर्श चुनाव आचार संहिता में सफाई एनजीओ प्रताप सेवा संकल्प के द्वारा मुख्य पार्षद के घर से सफाई कर्मियों को भारी मात्रा में नगद (कैश) भुगतान किये जाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। मोबाइल फोन से सफाई जमादारों को नौकरी से हटाने का फरमान जारी करना और उनके पूर्व का बकाया पैसा खाता में नहीं देने के कारण विवाद और भी गहराता दिख रहा है।
इधर, वार्ड पार्षद सदस्य कामेश्वर राज ने कहा की आदर्श चुनाव आचार संहिता को लेकर जहां एक तरफ जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है। लगातार वाहन चेकिंग किया जा रहा है। 50 हजार रुपया से ज्यादा नगद मिलने पर साक्ष्य की मांग की जा रही है। साक्ष्य नहीं मिलने पर रुपयों की जब्ती की जा रही है। वही शाहपुर नगर पंचायत के सफाई एनजीओ द्वारा 6 लाख रुपयों से ज्यादा का भुगतान सफाई कर्मियों के खाता में नहीं बल्कि नगद (कैश) करने के साक्ष्य मिलने के बावजूद नगर प्रशासन व कार्यपालक पदाधिकारी की चुप्पी से कई सवाल उठ रहे है।
कहा की सबसे बड़ी बात की यह भुगतान मुख्य पार्षद के घर से की गई है। सूचना देने पर कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा की ऑफिस से एनजीओ को भुगतान नहीं किया गया है। फिर चुनाव के दौरान नगद भुगतान की जांच करने की मांग करने पर कोई कारवाई क्यों नहीं की जा रही है? एनजीओ पर किसी प्रकार के एक्शन से पाला झड़ना, नोटिस जारी नहीं करना, एनजीओ के साथ मेली और सहभागिता से इनकार नहीं किया जा सकता।
वार्ड पार्षद सदस्य कामेश्वर राज ने बताया की एनजीओ द्वारा आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के इस मामले में पर्दा डालने वाले पदाधिकारी के खिलाफ शिकायत पत्र जिला निर्वाचन, राज्य निर्वाचन सहित भारत निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी। कार्यपालक पदाधिकारी को इसकी सूचना फोन से दी गई। साथ ही कार्यालय में मिलकर साक्ष्य दिखाने के बावजूद अभी तक इस मामले की जांच नहीं कराई गई। इस मामले को छुपाने और बचाने का प्रयास किया जा रहा है।