Bhagwan Singh – MLC candidate : जेडीयू ने एमएलसी उपचुनाव के लिए भगवान सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। इसे कोइरी वोटबैंक को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है
- हाइलाइट : Bhagwan Singh – MLC candidate
- श्री भगवान सिंह कुशवाहा भोजपुर जिले के जगदीशपुर विधानसभा के रहने वाले हैं
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें एमएलसी बनाकर विधान परिषद में भेज रहे हैं
पटना/आरा: बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद बिहार में कोइरी वोटबैंक की राजनीति चरम पर है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अपना लव-कुश वोटबैंक बचाने की जद्दोजहद में दिख रही है। इसकी एक बानगी बिहार विधान परिषद के उपचुनाव में दिख रही है। जेडीयू ने एमएलसी उपचुनाव के लिए भगवान सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। इसे कोइरी वोटबैंक को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
दरअसल, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में लालू एवं तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने जेडीयू के कोर माने जाने वाले कोइरी वोटबैंक में सेंधमारी की सफल कोशिश की थी। चुनाव नतीजों के बाद औरंगाबाद से सांसद चुने गए अभय सिंह कुशवाहा को लालू ने आरजेडी संसदीय दल का नेता भी बना दिया। इससे नीतीश का लव-कुश वोटबैंक गड़बड़ा गया।
अब नीतीश की पार्टी ने भगवान सिंह कुशवाहा को बिहार विधान परिषद उपचुनाव में टिकट देकर इस वोटबैंक को लालू-तेजस्वी से बचाने की कोशिश की है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू समेत एनडीए के अन्य घटक दल भी कुशवाहा जाति को साधने के लिए और कदम उठा सकते हैं। हालांकि, ये कदम कितने सफल साबित होंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
Bhagwan Singh – MLC candidate – श्री भगवान सिंह कुशवाहा को अब एमएलसी बना रही जेडीयू
श्री भगवान सिंह कुशवाहा भोजपुर जिले के जगदीशपुर विधानसभा के दुल्हिनगंज के रहने वाले हैं। जगदीशपुर से वे चार बार विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा वे नीतीश सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री भी रह चुके हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने उनका टिकट काट दिया था और वे लोजपा के सिंबल पर चुनाव लड़े थे। हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली थी। 2021 में वे जेडीयू में वापस आ गए थे। अब नीतीश कुमार उन्हें एमएलसी बनाकर विधान परिषद में भेज रहे हैं।
एनडीए से छिटके कोइरी वोटर, इंडिया को मिला फायदा
लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को बिहार में आखिरी चरण की 8 में से 6 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। इनमें अधिकतर सीटें दक्षिण बिहार के मगध और शाहाबाद क्षेत्र की हैं। राजनीतिक विश्लेषणों और बीजेपी की चुनाव रिजल्ट पर आंतरिक रिपोर्ट में सामने आया कि कोइरी-कुशवाहा वोटरों के छिटकने से एनडीए को आखिरी चरण में भारी नुकसान हुआ। काराकाट लोकसभा सीट पर पवन सिंह के निर्दलीय उतरने से राजपूत उनके पक्ष में गोलबंद हो गए।
इसके विरोध में कोइरी वोटर एंटी पोलराइज्ड हो गए और एनडीए को छोड़ महागठबंधन के पक्ष में चले गए। इससे काराकाट में एनडीए के प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ा और सीपीआई माले के राजाराम सिंह कुशवाहा जीत गए। इसका असर आसपास की आरा, बक्सर, सासाराम, पटना साहिब जैसी सीटों पर भी देखने को मिला। इन लोकसभा सीटों पर भी आरजेडी और सीपीआई माले के प्रत्याशियों की जीत हुई।
लालू के दांव से नीतीश हुए परेशान, कुशवाहा फैक्टर काम कर गया
दक्षिण बिहार की औरंगाबाद लोकसभा सीट पर भले ही पहले चरण में चुनाव हुआ, लेकिन यहां भी लालू यादव का कुशवाहा फैक्टर काम कर गया। आरजेडी ने बिहार का चित्तौड़गढ़ कही जाने वाली औरंगाबाद सीट पर कोइरी उम्मीदवार के रूप में जेडीयू से आए अभय कुशवाहा को टिकट दिया। उन्होंने आरजेडी को पहली बार यहां जीत का स्वाद चखाया। इसके साथ ही वे यहां से पहले गैर-राजपूत सांसद भी बन गए।
अभय कुशवाहा को लालू प्रसाद यादव ने लोकसभा में आरजेडी का संसदीय दल का नेता भी बना दिया
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लालू ने कोइरी वोटरों को साधने के लिए एक और दांव खेला। औरंगाबाद से पहली बार सांसद बने अभय कुशवाहा को लालू ने लोकसभा में आरजेडी का संसदीय दल का नेता भी बना दिया। लालू के इस दांव की गूंज से एनडीए के खेमे में खलबली मच गई। खासकर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को अपने लवकुश वोटबैंक के स्थायी रूप से खिसकने का डर सता रहा है। ऐसे में अब नीतीश कुशवाहा वोटरों को बिखरने से रोकने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। भगवान सिंह कुशवाहा को जेडीयू से एमएलसी बनाना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।