Sunday, November 24, 2024
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नगरपालिका टैक्स बकाया, निर्वाचित पार्षदों के NOC पर उठने लगे प्रश्नचिन्ह

Disqualification of Councillor: वर्ष-2013 के नियम के अनुसार, होल्डिंग बकाया होने के बावजूद आखिर कैसे मिला शाहपुर नगर पंचायत के चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को NOC

Disqualification of Councillor: वर्ष-2013 के नियम के अनुसार, होल्डिंग बकाया होने के बावजूद आखिर कैसे मिला शाहपुर नगर पंचायत के चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को NOC

  • हाइलाइट : Disqualification of Councillor
    • वर्ष 2013 के नियमावली के अनुसार नहीं किया गया है नगरपालिका क्षेत्र के संपती टैक्स का भुगतान
    • बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा-18(1) (ट) के तहत अयोग्य की अहर्ता का मामला

Disqualification of Councillor आरा: शाहपुर नगर पंचायत के निर्वाचित पार्षदों के चुनावी परिप्रेक्ष्य में एक विवादास्पद स्थिति उभरी है, टैक्स बकाया होने के बवजूद वर्ष-2022 के नगरपालिका चुनाव में कई उम्मीदवारों को “नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट” (NOC) जारी किया गया है, जबकि वर्ष-2013 के अनुसार उनके बकाया होल्डिंग टैक्स जमा नहीं हुए थे। यह मामला न केवल नगर प्रशासन की नीतियों पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार नियमों का उल्लंघन कर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सकता है। शाहपुर नगर पंचायत में कई निर्वाचित पार्षद है जिन्होंने वर्ष 2013 के नियमावली के अनुसार नगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत अपनी संपती के टैक्स का भुगतान नहीं किया है। अब निर्वाचित पार्षदों पर प्रश्नचिन्ह उठने लगे हैं।

स्थानीय निकाय चुनावों में भाग लेने के लिए उम्मीदवारों को अनेक मानदंडों का पालन करना होता है, जिसमें बकाया करों का निपटारा करना भी शामिल है। ऐसे पार्षद, जिस वर्ष में निर्वाचन हुआ हो उसके ठीक पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर उसपर नगरपालिका के बकाए सभी करों का उसने भुगतान नहीं किया हो, तो ऐसे पार्षद के मामलों का राज्य निर्वाचन आयुक्त के संज्ञान में आते ही निर्वाचित पार्षद को बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा-18(1) (ट) के तहत अयोग्य घोषित किया जा सकता है।

यह नियम इस उद्देश्य से बनाए गए हैं ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे। परंतु, शाहपुर नगर पंचायत में यह देखा गया कि कुछ उम्मीदवारों को इस नियम से छूट देकर NOC प्रदान किया गया, और वे निर्वाचित होने में कामयाब रहें। जिससे यह स्पष्ट होता है कि नगर पंचायत के प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार या कौशल की कमी हो सकती है।

ऐसा प्रतीत होता है कि शाहपुर नगर पंचायत के अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करते हुए अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया। यह केवल उम्मीदवारों के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी चिंता का विषय है, जो एक ऐसे प्रशासनिक ढांचे में जीने के लिए बाध्य हैं, जहाँ कानून की समानता का उल्लंघन हो रहा है। जब जनप्रतिनिधि अपने बकाया टैक्स नहीं देंगे फिर वो आम जनता से कैसे अपील करेंगे।

वही शाहपुर नगर पंचायत के वर्तमान कार्यपालक पदाधिकारी निशांत आलम से इस संदर्भ में पूछा गया तो उन्होंने कहा नगरपालिका चुनाव-2022 के समय मै यहां नहीं था। बता दें की विगत लोकसभा चुनाव-2024 के पूर्व निशांत आलम का ट्रांसफर नगर पंचायत शाहपुर में हुआ है। जबकि नगरपालिका चुनाव वर्ष-2022 में हुए थे। उस समय शाहपुर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी रजनीश कुमार थे।

इधर, समाजसेवी संतोष कुमार पांडेय ने कहा की चुनावी प्रक्रिया में नैतिकता और नियमों का पालन अनिवार्य है, और इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होती है। शाहपुर नगर पंचायत की यह स्थिति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमें अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताओं को रोका जा सके।

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