Aranya Devi: इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां पशु बलि नहीं दी जाती है। बल्कि मां को नारियल चढ़ाया जाता है।
- हाइलाइट: Aranya Devi
- शाम में महिलाओं और युवतियों ने माता के मंदिर में जलाए दीप
- आरा शहर की अधिष्ठात्री देवी है मां आरण्य देवी
आरा। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन सोमवार को देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गई। पूजन करने के लिए मंदिर में भारी भीड़ उमड़ी रही। मंदिर ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी कृष्ण कुमार ने बताया कि आरा शहर की अधिष्ठात्री देवी मां आरण्य देवी के मंदिर में पूजन एवं दर्शन को लेकर सोमवार की अहले सुबह से ही महिला-पुरुष श्रद्धालु भक्तों का जनसैलाब उमड़ पडा। लोग देवी दर्शन के लिए कतार में खड़े दिखे।
मां आरण्य देवी का आकर्षक श्रृंगार किया गया। ‘आरण्य देवी मैया की जय’ तथा ‘सच्चे दरबार की जय’ के जयकारे से पुरा वातावरण गुंजायमान रहा। मां आरण्य देवी मंदिर विकास ट्रस्ट द्वारा भी माता के मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। जिसमें ट्रस्टी बंधुओ ने भाग लिया। शाम में महिलाओं और युवतियों ने माता के मंदिर में दीप जलाया। दीप जलाने का सिलसिला शाम 4 बजे से संध्या 8 बजे तक चलता रहा। 8 बजे मां आरण्य देवी की संध्या आरती हुई।
इस दौरान मां को मेवा, दूध से निर्मित खीर का भोग लगाया गया। आरती के पश्चात प्रसाद का वितरण श्रद्धालु भक्तों में हुआ। मंदिर के निर्माणाधीन भवन एवं दरबार को आकर्षक ढंग से छोटे-छोटे रंगीन बल्वों से सजाया जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि द्वापर युग में यहां पांडवों ने देवी का दर्शन किया था। उस समय आरा शहर आरण्य वन के नाम से मशहूर था।
इस मंदिर में सालोभर श्रद्धालु भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। शारदीय एवं नवरात्र में यहां तिल रखने की जगह नहीं होती है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां पशु बलि नहीं दी जाती है। बल्कि मां को नारियल चढ़ाया जाता है।



