Monday, February 24, 2025
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ओडिशा का कोणार्क चक्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को इसके महत्व को बताते नजर आए

Odisha Konark Chakra दिल्ली: जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली को खास तरह से सजाया गया है। विदेशी मेहमानों को भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक विरासत से रूबरू कराने के लिए विशेष तौर पर सजावट की गई है। भारत मंडपम में नटराज की मूर्ति, डांसिंग गर्ल इसकी बानगी हैं। इन सबके बीच ओडिशा का कोणार्क चक्र भी काफी चर्चा में है।

दरअसल, शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत मंडपम में विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत कर रहे तो यह कोणार्क चक्र उनके पीछे दिख रहा था। एक तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को कोणार्क चक्र के बारे में बताते हुए भी नजर आए।

Odisha Konark Chakra: कोणार्क चक्र का निर्माणा 13वीं शताब्दी में हुआ था, क्या है महत्व

ओडिशा के कोणार्क चक्र का निर्माणा 13वीं शताब्दी में हुआ था। राजा नरसिम्हादेव प्रथम के शासनकाल में इसे बनाया गया था। यह चक्र ओडिशा के सूर्य मंदिर में बना हुआ है, जो सूर्य के रथ के पहिए के रूप में दिखाया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस चक्र का घूमना ‘कालचक्र’ के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है। यह चक्र इस बात का प्रतीक है कि समय हर समय एक सा नहीं होता है, यह परिवर्तित होता रहता है।

Pintu bhaiya
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लोकतंत्र के पहिये का एक शक्तिशाली प्रतीक तिरंगे से क्या है इस चक्र का कनेक्शन

आपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में भी एक चक्र को देखा होगा। कुल 24 तीलियों वाले इसी पहिये को तिरंगे में भी दर्शाया गया है। यह चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है। यह लोकतंत्र के पहिये का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति को लेकर प्रतिबद्धता दर्शाता है।

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