Thursday, November 21, 2024
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क्या महागठबंधन के साथ रहकर राजपूतों का नेता बने रह पाना आनंद मोहन को लग रहा है चुनौतीपूर्ण

Bihar politics stir: आनंद मोहन के पूरे परिवार ने तेजस्वी यादव के करीबी नेता और आरजेडी सांसद मनोज झा के ही खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस विवाद पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अभी तक किसी का पक्ष नहीं लिया है ।

  • हाइलाइट :-
    • कभी अटल आडवाणी के साथ रहें आनंद मोहन
    • भाजपा में पटना से दिल्ली तक भरे हैं शुभचिंतक

Bihar politics stir खबरे आपकी: बिहार की राजनीति में जिसकी भी थोड़ी बहुत दिलचस्पी है, उसके मन में ये सवाल घूम रहा है। क्या आनंद मोहन पलटने वाले हैं? और सवाल उठे भी क्यों ना। बेटा चेतन आनंद शिवहर से आरजेडी के विधायक हैं, पत्नी लवली आनंद भी आरजेडी में हैं। खुद आनंद मोहन किस पार्टी में हैं ये किसी को नहीं पता लेकिन जब से जेल से निकले हैं तब से बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ बोलते रहते हैं। लेकिन बीते दिनों से आनंद मोहन के पूरे परिवार ने तेजस्वी यादव के करीबी नेता और आरजेडी सांसद मनोज झा के ही खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

मनोज झा पर ठाकुर (राजपूत) समाज का आरोप लगाकर आनंद मोहन का परिवार कह रहा है कि आरजेडी सांसद ने क्षत्रिय बिरादरी का अपमान किया है। राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान मनोज झा ने कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ठाकुर का कुआं का पाठ किया था। कविता से पहले मनोज झा ने कहा था कि इसे किसी जाति से जोड़कर ना देखा जाए और इसे सामंती भाव से लिया जाए। लेकिन कविता पाठ के छठे दिन आनंद मोहन के विधायक बेटे चेतन आनंद ने एक फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा कि ठाकुर का कुआं कविता पढ़ना समाजवाद के नाम पर दोगलापन है। अगली सुबह फेसबुक लाइव पर आकर कहा कि ब्राह्मण पर भी तो कोई नेगेटिव कविता होगी। आरजेडी विधायक चेतन आनंद ने कहा कि जरूरत होगी तो पार्टी फोरम पर भी इस बात को उठाएंगे।

चेतन आनंद के बयान के बाद आनंद मोहन ने मीडिया को इंटरव्यू देकर कहा कि अगर वो सदन में होते तो मनोज झा की जीभ खींचकर आसन की तरफ फेंक देते। फिर आनंद मोहन की वकील बेटी सुरभि आनंद ने राजपूत बिरादरी की तारीफ में लिखी एक वायरल कविता को पोस्ट करके मनोज झा से कहा कि ठाकुर होना आसान नहीं होता। इस प्रकरण में आनंद मोहन के परिवार से लवली आनंद ही बची हैं जिनका कुछ कहना बाकी है। आनंद मोहन के परिवार की आरजेडी सांसद मनोज झा के खिलाफ बयानबाजी पर पार्टी अध्यक्ष लालू यादव ने कहा कि उनको परहेज करना चाहिए था। लालू ने कहा कि मनोज झा विद्वान आदमी हैं और उन्होंने ठाकुर के खिलाफ नहीं बोला है, किसी का अपमान नहीं किया है। दिल्ली में तेजस्वी यादव से इस विवाद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पटना जाने दीजिए, फिर सबसे बात करेंगे। डिप्टी सीएम ने अभी तक किसी का पक्ष नहीं लिया है।

बता दें की नीतीश सरकार द्वारा जेल मैनुअल बदलने से ही डीएम मर्डर में सजा काट रहे आनंद मोहन की रिहाई हुई है। जेल से निकलने के बाद से आरजेडी और जेडीयू के एजेंडा पर बोलने वाले आनंद मोहन और उनका परिवार अचानक आरजेडी सांसद के खिलाफ तनकर खड़ा हो गया है। सूत्रों का कहना है कि आनंद मोहन को महागठबंधन से भरोसा नहीं मिल रहा है कि चेतन आनंद या लवली आनंद को लोकसभा चुनाव का टिकट मिलेगा।

लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में राजपूत समेत सवर्ण जातियों की आवाज बनकर उभरे आनंद मोहन आज भी खुद को राज्य में राजपूतों का सबसे बड़ा नेता मानते हैं। आरजेडी या जेडीयू के साथ रहकर राजपूतों का नेता बने रह पाना आनंद मोहन को चुनौतीपूर्ण लग रहा है। कभी अटल आडवाणी के साथ रहें भाजपा में आनंद मोहन के शुभचिंतक पटना से दिल्ली तक भरे हैं।

आरजेडी नेतृत्व के भरोसेमंद मनोज झा के खिलाफ आनंद मोहन, चेतन आनंद और सुरभि आनंद के एक साथ उतर आने का निहितार्थ इसमें खोजा जा रहा है कि क्या 2024 में आनंद मोहन बीजेपी में अपने परिवार के राजनीतिक विकास की संभावना देख रहे हैं।

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