Festival of Akshaya Navami -2023 : कार्तिक माह अक्षय नवमी तिथि को सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है। जिसमें आंवले के वृक्ष के नीचे श्रद्धालु चावल एवं दाल के साथ सामूहिक रूप से पूजा अर्चना करने के बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं।
- अक्षयनवमी पर विशेष :-
- मानव जीवन को आरोग्य प्रदान करता है आंवला व सप्तधान
- आंवला ब्रह्मांड का एक मात्र फल जिसमे छह रसों में से पांच रस पाए जाते हैं
Festival of Akshaya Navami -2023 आरा/शाहपुर: अक्षय नवमी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को मनाया जाने वाले पर्व है। अक्षयनवमी के पूजा से लोगो की मनोकामना के साथ अक्षय पुण्य मिलता है। यह पर्व मानव जीवन को आरोग्य प्रदान करने और सीधे विज्ञान, पर्यावरण व आयुर्वेद से जोड़ने का पर्व है।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं व ग्रंथों के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष पहली तिथि से लेकर पूर्णिमा तक प्रातःकाल स्नान कर आंवले के वृक्ष में जल अर्पित उसकी परिक्रमा कर पूजा की जाती है। इसी बीच अक्षय नवमी के दिन कार्तिक का स्नान के पश्चात सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है। जिसमें आंवले के वृक्ष के नीचे श्रद्धालु चावल एवं दाल के साथ सामूहिक रूप से पूजा अर्चना करने के बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं।
मान्यताओं के अनुसार आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। उन्हें का पूजा होता है एवं भतुआ के फल को काटकर उसके बीच द्रव्य भरकर गुप्त दान किया जाता है। इसके साथ-साथ धरती में भी सप्तधान को गड्ढे बनाकर गडकर दान किया जाता है। जिसमें धान, गेहूं, मक्का, उड़द, चना,जौ व ज्वार-बाजार होता है। आयुर्वेद के अनुसार आंवला मानव जीवन को आरोग्य प्रदान करने वाला होता है। जिसमें क्षारीय गुण के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट एंटीबायोटिक, मिनरल्स तथा विटामिन सी की भर प्रचुर मात्रा होती है। जिसे कई असाध्य रोगों का इलाज भी संभव होता है।
इसके साथ-साथ इसमें विटामिन सी के साथ-साथ कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। वही सप्तधान के तौर पर दान कर किए जाने वाले अनाजों में चना, गेहूं, चावल उड़द, मक्का व ज्वार-बाजार होते हैं। यह फल एवं सप्तधान के अनाज मानव जीवन को आरोग्य प्रदान करने वाले होते हैं जो सीधे मानवीय जीवन को आयुर्वेद व पर्यावरण से सीधे जोड़ने वाला है।
सप्तधान में अनाज के आधुनिक विज्ञान के मोटे अनाज या मिलेट के रूप में निरोग रहने के लिए भोजन ने शामिल करने पर व्यापक पैमाने पर जोर दिया जा रहा है। इन अनाजो में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण के साथ वसा अधिक मात्रा में पाए जाते हैं और सुपाच्य भी होते हैं।
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. सी. एन. पांडे के अनुसार आंवला को रसायन की संज्ञा दी गई है। रसायन आयु को स्थापित करता है। ब्राह्मंड में जितने भी उद्भिज है उसमें आंवला एक मात्र फल है जिसमे छह रसों में से लवण रस को छोड़कर सभी पांच रस पाए जाते हैं। आंवले के सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।