Thursday, November 13, 2025
No menu items!
HomeReligionFestivalsछठ पूजा: संगीत की धुन और गांव का सफर

छठ पूजा: संगीत की धुन और गांव का सफर

छठ पूजा का संगीत, जिसमें लोकगीतों और पारंपरिक रागों का समावेश होता है, बिहारी संस्कृति की आत्मा को प्रकट करता है।

Chhath Puja Music: इस पर्व के दौरान गाए जाने वाले लोकगीत, जैसे कि “कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी केकरा के जाय” और “बबुआ जे रहिते त माई माई कहते” में छिपा प्रेम और समर्पण हर बिहारी का मन मोह लेता है। छठ पूजा का संगीत, जिसमें लोकगीतों और पारंपरिक रागों का समावेश होता है, बिहारी संस्कृति की आत्मा को प्रकट करता है।

  • हाइलाइट : Chhath Puja Music
    • छठ पूजा का संगीत और गांव की यात्रा, बिहारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है
    • टिकटें उपलब्ध हों या न हों, उनकी भावना अपने गांव पहुँचने की होती है

Chhath Puja Music आरा: छठ पूजा, देश में बड़े श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है, बिहार में यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक विरासत भी है। इस पर्व के दौरान गूंजने वाले संगीत की धुनें बिहारी समाज के दिलों में अद्वितीय प्रेम और समर्पण का संचार करती हैं। छठ पूजा का संगीत, जिसमें लोकगीतों और पारंपरिक रागों का समावेश होता है, बिहारी संस्कृति की आत्मा को प्रकट करता है।

जब छठ पूजा का पर्व निकट आता है, तो बिहारी अपने गांव की ओर लौटने की दिली इच्छा का अनुभव करते हैं। चाहे ट्रेनों और विमानों की टिकटें उपलब्ध हों या न हों, उनकी भावना अपने गांव पहुँचने की होती है। गांव में माता- पिता, भाई और परिजनों के साथ मिलकर पूजा का आयोजन करना, जिज्ञासा और प्रतीक्षा का एक हिस्सा बन जाता है। गांव का सफर न केवल भौतिक यात्रा है, बल्कि यह आत्मिक अनुभव भी है, जो एक व्यक्ति को अपने जड़ों से जोड़ता है।

इसमें कोई शक नहीं कि छठ पूजा के संगीत की धुनें बिहारी जनमानस के लिए एक आवाज बन जाती हैं। ये धुनें न सिर्फ उत्सव का माहौल बनाती हैं, बल्कि समाज में एकता और बंधुत्व की भावना को भी प्रबल करती हैं। इस पर्व के दौरान गाए जाने वाले लोकगीत, जैसे कि “कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी केकरा के जाय” और “बबुआ जे रहिते त माई माई कहते” में छिपा प्रेम और समर्पण हर बिहारी का मन मोह लेता है।

इस प्रकार, छठ पूजा का संगीत और गांव की यात्रा, बिहारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़े रहने और सामूहिक त्योहार के माध्यम से भाईचारे का प्रतीक भी है। ऐसे में, चाहे कोई भी बाधा सामने आए, बिहारी अपनी चाहत के अनुसार, संगीत की धुनों को सुनते हुए अपने गांव के लिए निकल पड़ते हैं।

RAVI KUMAR
RAVI KUMAR
बिहार के भोजपुर जिला निवासी रवि कुमार एक भारतीय पत्रकार है एवं न्यूज पोर्टल खबरे आपकी के प्रमुख लोगों में से एक है।
- Advertisment -
pintu Bhaiya
Khabre Apki Play
Khabre Apki Play

Most Popular