Brahmeshwar Nath: ब्रह्मेश्वर नाथ के दरबार में जो भी आता है, उसकी मनोकामना पूरी करते हैं। इन्हें मनोकामना महादेव भी कहा जाता है।
- हाइलाइट :Brahmeshwar Nath
- अगले दिन मंदिर तोड़ने के लिए आया, तो देखकर दंग रह गया मोहम्मद गजनी
बक्सर/ब्रह्मपुर: हमारा देश भारत, अपनी बहुलता और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। इस भूमि पर अनेक अद्भुत और चमत्कारी मंदिर हैं, जो न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि ऐतिहासिक और Architectural दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। ये मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी अनूठी विशेषताओं और चमत्कारिक घटनाओं के लिए आकर्षित करते हैं। ऐसा ही एक शिव मंदिर बिहार के बक्सर जिला अंतर्गत ब्रह्मपुर में स्थित हैं। जिसका चमत्कार देखकर मोहम्मद गजनी को उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा था।
जीते-जागते चमत्कारों की एक उदाहरण के रूप में, ब्रह्मपुर का बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर, जोकि भक्तों के लिए अपार श्रद्धा का स्थल है। यहां प्रतिदिन हजारों लोग भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। कई भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में प्रार्थना करने से उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन के नजदीक है मंदिर
बिहार के बक्सर जिले के ब्रह्मपुर में स्थित इस मंदिर की दूरी जिला मुख्यालय से 40 किमी है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रघुनाथपुर है। इस मंदिर को बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी। इस मंदिर के बारे में जानकारी अनेकों पुराणों में भी मिलता है। शिव महापुराण की रुद्र संहिता में यह शिवलिंग धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है। यही कारण है कि इसे मनोकामना महादेव भी कहा जाता है।
मंदिर का मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी
ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस मंदिर का मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी है। जबकि देश के अन्य शिव मंदिरों का दरवाजा पूर्व दिशा में है। पश्चिम मुखी दरवाजा होने के बारे में बताया जाता है कि एक बार मुस्लिम शासक मोहम्मद गजनी मंदिर तोड़ने के लिए ब्रह्मपुर आया, तब स्थानीय लोगों ने मंदिर नहीं तोड़ने की गुजारिश की और कहा कि अगर मंदिर तोड़ोगे, तो बाबा तुम्हारा विनाश कर देंगे।
उल्टे पांव लौटा था मोहम्मद गजनी
लोगों के अनुरोध पर गजनी ने बाब ब्रह्मेश्वर नाथ को चैलेंज किया और कहा कि अगर रातभर में मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम की ओर हो जाएगा, तो वह मंदिर को छोड़ देगा। अगले दिन जब वह मंदिर तोड़ने के लिए आया, तो वह देखकर दंग हो गया। उसने देखा कि मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम की तरफ हो गया है। इस घटना के बाद वह नतमस्तक हो गया और वहां से चला गया।
बताया जाता है कि ब्रह्मेश्वर नाथ के दरबार में जो भी आता है, उसकी मनोकामना पूरी करते हैं। इन्हें मनोकामना महादेव भी कहा जाता है। बताया जाता है कि यहां जलाभिषेक का महत्व सालों भर है। लेकिन सावन में कांवड़ियों का जलाभिषेक का विशेष महत्व है। यही कारण है कि सावन महीने में बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ का दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में लोग आते हैं।