Election Battle – Tarari: वाम दल के मजबूत किले के रूप में स्थापित तरारी विधानसभा सीट को साधना भाजपा और प्रशांत किशोर दोनों के लिए चुनौती है।
- हाइलाइट : Election Battle – Tarari
- तरारी विधानसभा के ताज के लिए चुनावी जंग में प्रत्याशी
- तरारी विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को है उपचुनाव
- सीपीआई एमएल की ओर से राजू यादव मैदान में है
- सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत पर भाजपा ने दांव लगाया है
आरा/तरारी: बिहार के भोजपुर जिला अंतर्गत तरारी विधानसभा सीट पर हो रहें उपचुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दलों की जोर आजमाइश शुरू हो गई है। प्रत्याशियों का चयन और नामांकन के बाद जनसम्पर्क अभियान तेज हो गई है। वाम दल के मजबूत किले के रूप में स्थापित तरारी विधानसभा सीट को साधना भाजपा और प्रशांत किशोर दोनों के लिए चुनौती है। बाहुबली नेता सुनील पांडे तरारी विधानसभा सीट पर तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं।
भाजपा के लिए चुनौती तरारी सीट: भोजपुर जिले का तरारी विधानसभा सीट बिहार में होने वाले उपचुनाव में हॉट केक है। तरारी विधानसभा क्षेत्र में मजबूत दखल रखने वाले बाहुबली नेता सुनील पांडे फिर से मैदान में है। सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत पर भाजपा ने दांव लगाया है। सुनील पांडे तरारी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
महागठबंधन से राजू यादव है उम्मीदवार: तरारी सीट पर वाम दल का कब्जा था, सीपीआईएमएल के तत्कालीन विधायक सुदामा प्रसाद सांसद चुने जा चुके हैं और इस वजह से तरारी विधानसभा सीट खाली हुई है। सीपीआई एमएल की ओर से राजू यादव मैदान में है। राजू यादव एमपी का चुनाव लड़ चुके हैं।
भाजपा उम्मीदवार नहीं बचा पाए थे जमानत: 2020 विधानसभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से कौशल विद्यार्थी चुनाव लड़े थे। इसके अलावा रालोसपा से संतोष सिंह और एनसीपी से सूर्यजीत सिंह उम्मीदवार थे।जबकि सुनील पांडेय ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, और उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। हालांकि वहां से सीपीआई माले के सुदामा प्रसाद को जीत मिली थी। इस चुनाव में सुदामा प्रसाद को 75945 वोट मिले, जबकि सुनील पांडे को 62930 वोट मिले। सुनील पांडे ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 37% मत हासिल किया था, जबकि सुदामा प्रसाद को 43% से अधिक मत हासिल हुआ।
त्रिकोणात्मक रही लड़ाई: वर्ष 2015 में सुदामा प्रसाद भाकपा (माले) के टिकट पर यहां से जीते थे। उनके और LJP उम्मीदवार गीता पांडे की बीच सिर्फ 272 वोटों का अंतर था। तब यहाँ से चुनाव लड़े पूर्व संसद अखिलेश सिंह के कारण लड़ाई त्रिकोणात्मक रही। 2010 में यहां हुए पहले चुनाव में JDU के नरेंद्र कुमार पांडे उर्फ सुनील पांडे ने जीत हासिल की थी।
कांटे की लड़ाई के आसार: अगर जातिगत समीकरण की बात करें तो तरारी विधानसभा सीट पर भूमिहार जाति की सबसे अधिक आबादी है। तकरीबन 65000 भूमिहार वोटर हैं। दूसरे स्थान पर ब्राह्मण वोटर हैं जिनकी संख्या 30000 के आसपास है। राजपूत वोटरों की संख्या 20000 के करीब है। पिछड़ी और अति पिछड़े जाति की आबादी 45 से 50000 के बीच है। इसके अलावा यादव वोटर 30000, बनिया 25000, कुशवाहा 15000 और मुस्लिम वोटर 20000 के आसपास हैं।
तरारी विधानसभा सीट पर 2 लाख 60000 वोटर हैं। जिसमें 1 लाख 40000 पुरुष और 1 लाख 20000 महिला वोटर हैं। फिलहाल तरारी विधानसभा सीट पर भाकपा माले का कब्जा है। वोट बैंक के लिहाज से अगर बात करें तो एनडीए और महागठबंधन के बीच लड़ाई बहुत कांटे की होने वाली है। आपको बता दें कि तरारी विधानसभा सीट आरा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। पहले इस विधानसभा सीट को पीरो विधानसभा सीट के नाम से जाना जाता था, लेकिन परिसीमन के बाद तरारी विधानसभा सीट के रूप में जाना जाने लगा।