Friday, March 29, 2024
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राजनीति का अपराधीकरण रोकने हेतु ईवीएम मशिन का एक प्रभावी साधन के रूप में प्रयोग करने कि आवश्यकता

खबरे आपकी Stop Criminalization of Politics कानून का शासन की अवधारणा हमारे संविधान की मूल संरचना है। देश को संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार चलाने के लिए कानून के शासन का पालन करना अनिवार्य हो जाता है। हालांकि, वास्तव में, अक्सर आपराधिक रिकॉर्ड वाले राजनेता चुनाव जित जाते है और यहाँ तक कि सरकार का हिस्सा भी बन जाते हैं और कानून के शासन के पूरे विचार को नष्ट कर देते हैं। कानून-निर्माता बनने के बाद कानून तोड़ने वाले यह सुनिश्चित करते हैं कि केवल उन कानूनों और नीतियों को बनाया जाए जो उनके हित में हो। इस प्रकार, राजनीति का अपराधीकरण हमारे देश की लोकतांत्रिक नींव के लिए बहुत बडा ख़तरा है।

राजनीति का अपराधीकरण स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के प्रकृति के खिलाफ है। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले राजनेता चुनाव की प्रक्रिया को प्रदूषित करते हैं। भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर दिए गए विभिन्न निर्देशों के बावजूद भी कोई भी राजनीतिक दल अपनी ओर से आपराधिक तत्वों के उन्मूलन
की दिशा में क़दम नहीं उठा रहा है।

डॉ. शैलेंद्र कुमार
Holi Anand
Dr. Prabhat Prakash
Vishvaraj Hospital, Arrah
डॉ. शैलेंद्र कुमार
Holi Anand
Dr. Prabhat Prakash
Vishvaraj Hospital, Arrah

पिछले तीन आम चुनावों में राजनीति में अपराधियों की संख्या में खतरनाक वृद्धि हुई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में लोकसभा चुनावों में विश्लेषण किए गए 7928 उम्मीदवारों में से 1500 (19%) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे।
2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान विश्लेषण किए गए 8205 उम्मीदवारों में से 1404 (17%) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे। 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान विश्लेषण किए गए 7810 उम्मीदवारों में से 1158 (15%) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे। एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव लड़ने वाले 1070 (13%) उम्मीदवारों द्वारा बलात्कार, हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध आदि से सम्बंधित गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए गए थे। 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान विश्लेषण किए गए 8205
उम्मीदवारों में से 908 (11%) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए थे। 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान विश्लेषण किए गए 7810 उम्मीदवारों में से 608 (8%) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए थे। लोकसभा 2019 के चुनावों में 56 उम्मीदवारों
ने अपने खिलाफ सजायाफ्ता मामलों की घोषणा की थी।

एडीआर की रिपोर्ट यह भी बताती है कि लोकसभा चुनावों में 265 (49%) निर्वाचन क्षेत्रों में घोषित आपराधिक मामलों वाले 3 या अधिक उम्मीदवार थे। लोकसभा चुनाव 2014 में 245 (45%) निर्वाचन क्षेत्रों में घोषित आपराधिक मामलों वाले 3 या अधिक उम्मीदवार थे। लोकसभा चुनाव 2009 में 196 (36%) निर्वाचन क्षेत्रों में घोषित आपराधिक मामलों वाले 3 या अधिक उम्मीदवार थे।

चुनाव में उम्मीदवार को नामांकन पत्र के साथ फॉर्म 26 नामक एक हलफनामा दाखिल करना होता है जो उसकी संपत्ति, देनदारियों, शैक्षिक योग्यता, आपराधिक पूर्ववृत्त (सजा और सभी लंबित मामलों) और सार्वजनिक बकाया, यदि कोई हो, पर जानकारी प्रस्तुत करता है। इसके अलावा भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
हाल ही में दिए गए एक फैसले में राजनीतिक दलों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर आपराधिक उम्मीदवारों के आपराधिक पूर्ववृत्त के बारे में जानकारि प्रकाशित करें, साथ ही इन सभी उम्मीदवारों को चुने जाने के कारण भी बताये और ये कारण मात्र “जीतने की क्षमता” नहीं होने चाहिये। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को भी चुनावों से पहले कम से कम तीन बार अखबारों और टेलीविजन में आपराधिक पूर्ववृत्त के बारे में जानकारि प्रकाशित करने के लिए निर्देशित किया गया है।

हालांकि विभिन्न सर्वेक्षण रिपोर्टों से पता चलता है कि उच्च निरक्षरता दर, कई मतदाताओं तक संचार माध्यमों की पहुँच में कमी और अनभिज्ञता जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुवे ये उपाय सभी मतदाताओं को चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के पूर्ववृत्तो से अवगत कराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 के दौरान 7 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में साक्षरता दर 77.7% थी और भारत की 22.3% आबादी अभी भी निरक्षर है। नवंबर 2020 में जारी टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रदर्शन संकेतक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 718.74 मिलियन सक्रिय इंटरनेट
उपयोगकर्ता हैं जिसमें केवल 54.29% आबादी का समावेश होता है और देश की 45.71% आबादी अभी भी इंटरनेट का उपयोग नहीं करती है। चुनावो से पहले अखबारों और टेलीविजन के माध्यम से तीन बार चुनाव लड़ने वाले आपराधिक प्रत्याशियों के आपराधिक पूर्ववृत्त के प्रचार की पहुँच भी सीमित हि है।

इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा 2018 में किये गये ‘गवर्नेंस इश्यूज़ एंड वोटिंग बिहेवियर’ सर्वे रिपोर्ट के अनुसार हालांकि 97.86% मतदाताओं को लगता था कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार संसद या राज्य विधानसभा में नहीं होने चाहिए परन्तु केवल 35.20% मतदाता जानते थे कि वे
उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आपराधिक प्रत्याशियों को मतदान करने के सम्बंध में मतदाताओं की अधिकतम संख्या (36.67%) को लगता था कि लोग ऐसे उम्मीदवारों को वोट देते हैं क्योंकि वे उसके आपराधिक रिकॉर्ड से अनजान होते हैं।

Stop Criminalization of Politics प्रत्येक मतदाता के पास इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) तक पहुँच होती है और इसलिए इसका इस्तेमाल मतदाताओं को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के बारे में जागरूक करने के लिये एक प्रभावी साधन के रूप में किया जा सकता है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा ईवीएम की बैलेटिंग इकाइयों में इस्तेमाल होने वाले मतपत्रों को लोकसभा चुनावों के लिए सफेद रंग में और विधानसभा चुनावों के लिए गुलाबी रंग में छापा जाता है। Stop Criminalization of Politics यदि स्वयं के खिलाफ घोषित आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों के पैनल (नाम, फोटो और चुनाव चिह्न) मतपत्रों पर लाल रंग में मुद्रित किये जाते है तो मतदाता ऐसे उम्मीदवारों की पहचान कर सकते हैं और इस तरह एक सूचित विकल्प चुन सकते है। लाल रंग चेतावनी का पारंपरिक रंग है। ऐसे उम्मीदवारों के पैनल को लाल रंग में मुद्रित करने से निरक्षर वयस्कों और अन्य ऐसे मतदाता जिनको को चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक पूर्ववृत्तो के विवरण तक पहुँचने में कठिनाइयों का सामना करना पडता है को मदद मिलेगी और वे सावधानीपूर्वक निर्णय ले सकेगे। इससे राजनीतिक दल चुनाव में ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारने से हतोत्साहित होंगे।

Stop Criminalization of Politics
राजनीति का अपराधीकरण रोकने हेतु ईवीएम मशिन का एक प्रभावी साधन के रूप में प्रयोग करने कि आवश्यकता

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Stop Criminalization of Politics प्रत्येक मतदान केंद्र के बाहर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची की एक प्रति प्रमुखता से प्रदर्शित की जाती है। चुनाव आयोग को इसके साथ ही चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के हलफनामों के सारांश संस्करण की एक प्रति भी प्रदर्शित करनी चाहिए। इससे मतदाताओं को मतदान केंद्र में प्रवेश करने से पहले चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के पूर्ववृत्त की जांच करने में मदद मिलेगी। अत्ः मतदाताओं को सूचित तरीके से मतदान करने के अपने अधिकार का प्रयोग करने में मदद करने और राजनीतिक दलों को चुनावों में आपराधिक पूर्ववृत्तोवाले उम्मीदवारों को टिकट देनेसे हतोत्साहित करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग को ख़ुद के खिलाफ घोषित आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों के पैनल को लाल रंग में प्रिंट करना चाहिए और प्रत्येक मतदान केंद्र के बाहर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के शपथ पत्रों के सारांशित संस्करण की एक प्रति प्रमुखता से प्रदर्शित
करनी चाहिए।

लेखक-डॉ. अक्षय बाजड
मुंबई, महाराष्ट्र
फोन: + 91-7021363631

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