Wednesday, January 22, 2025
No menu items!
HomeराजनीतNew Laws : बिहार के भाकपा-माले सांसदों ने महामहिम को लिखा पत्र

New Laws : बिहार के भाकपा-माले सांसदों ने महामहिम को लिखा पत्र

बिहार के आरा लोकसभा के सांसद सुदामा प्रसाद और काराकाट लोकसभा के सांसद राजाराम सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजकर नए फ़ौजदारी क़ानूनों को टालने की मांग की है।

Presiden – CPI-ML MP : बिहार के आरा लोकसभा के सांसद सुदामा प्रसाद और काराकाट लोकसभा के सांसद राजाराम सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजकर नए फ़ौजदारी क़ानूनों को टालने की मांग की है।

  • हाइलाइट : Presiden – CPI-ML MP
    • आरा लोकसभा के सांसद सुदामा प्रसाद
    • काराकाट लोकसभा के सांसद राजाराम सिंह

Presiden – CPI-ML MP : लोकसभा काराकाट (बिहार) के सांसद राजाराम सिंह और लोकसभा आरा (बिहार) के सांसद सुदामा प्रसाद ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजकर नए फ़ौजदारी क़ानूनों को टालने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि-प्रिय श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी, समाज के विभिन्न तबकों और न्याय बिरादरी द्वारा तीन नयी फ़ौजदारी संहिताओं-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- जो कि 01 जुलाई से लागू हो रही हैं, के बारे में गंभीर चिंताएं प्रकट की गयी हैं। ये तीनों संहिताएं, क्रमशः भारतीय दंड संहिता 1860 ; दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेंगी।

Republic Day
Republic Day

प्रथमतः यह इंगित किया गया है कि जो मूलभूत नागरिक स्वतंत्रताएं हैं, जैसे बोलने की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, किसी के साथ जुडने की स्वतंत्रता, प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता और अन्य नागरिक अधिकारों को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए कई कठोर प्रावधान किए गए हैं। यह प्रस्तवाना में दिखाई दे रहा है, क्रूर यूएपीए से “आतंकवादी कृत्य” की विस्तारित परिभाषा ली गयी है, नए नामकरण के साथ कुख्यात राजद्रोह कानून (भारतीय दंड संहिता- आईपीसी की धारा 124 ए) को कायम रखा गया है और भूख हड़ताल को अपराध बना दिया गया है- ये सभी वैध असहमति और कानूनी उग्र लोकतांत्रिक प्रतिवादों को अपराध बनाने के संभावित औज़ार हैं।

Pintu bhaiya
Pintu bhaiya

दूसरा, पुलिस को अनियंत्रित शक्तियां दे दी गयी हैं, जिनका देश में नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। गिरफ्तारी के लिए बचावों का अनुपालन किए बगैर पुलिस को व्यक्तियों को निरुद्ध करने का कानूनी अधिकार दे दिया गया है। यह बाध्यकारी कर दिया गया है कि गिरफ्तार आरोपी का नाम, पता और अपराध की प्रकृति का हर पुलिस स्टेशन और जिला मुख्यालय पर भौतिक एवं डिजिटल प्रदर्शन प्रमुख रूप से किया जाये। यह प्रवाधान निजता के अधिकार और किसी व्यक्ति की मानवीय गरिमा के हनन के अलावा बिना औपचारिक दोषसिद्धि के ही व्यक्तियों को पुलिस द्वारा निशाना बनाए जाने को सुगम करता है। हथकड़ी लगाने को वैध बना दिया गया है, जबकि प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ़आईआर) दर्ज करने में पुलिस को विवेकाधिकार दे दिया गया है। सबसे हतप्रभ करने वाली बात यह है कि पुलिस अभिरक्षा की अवधि को वर्तमान 15 दिन से बढ़ा कर 60 या 90 दिन (अपराध की प्रकृति के अनुसार) कर दिया गया है, जो कि आरोपी व्यक्ति को धमकाए जाने, उत्पीड़न और खतरे में डालेगा।

तीसरा भीड़ की हिंसा (मॉब लिंचिंग) को लेकर भारतीय न्याय संहिता में आधे-अधूरे कदम उठाए गए हैं, इसमें ऐसे कृत्यों को बिना साफ तौर पर ऐसे कहे हुए ही अपराध बनाया गया, धर्म को भीड़ हिंसा के कारणों के तौर पर शामिल नहीं किया गया।

चौथा कारण वे चिंताएं हैं जो उन प्रावधानों को लेकर हैं, जिनमें मनमानी और अमानवीय सजाओं का प्रावधान कर दिया गया है। हथकड़ी लगाने के अलावा तन्हाई जैसी अमानवीय सजा को वैधानिक मान्यता दे दी गयी है।

अंतिम बात यह कि फ़ौजदारी मामलों का जबरदस्त बैकलॉग (3.4 करोड़ मुकदमें लंबित) है, उसके बीच में इन तीन क़ानूनों को लागू करना, दो समानांतर कानूनी व्यवस्थाएं उत्पन्न करेगा, जिससे और बैकलॉग बढ़ेगा तथा पहले से अत्याधिक बोझ झेल रहे न्यायिक तंत्र पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत के अपराध न्याय ढांचे को सुधार की अत्याधिक जरूरत है। लेकिन तीन फ़ौजदारी कानून इसका जवाब नहीं हैं। वे अकारण ही हड़बड़ी में, बिना चर्चा या संसदीय परख के, ऐसे समय में पास किए गए जबकि 146 विपक्षी सांसद निलंबन झेल रहे थे। इसलिए यह जरूरी है कि केंद्र सरकार इन तीन फ़ौजदारी क़ानूनों को लागू करने का निर्णय स्थगित करे और इन्हें संसद में पुनः पेश करे ताकि इनकी सही जांच परख हो सके और इनपर चर्चा हो सके।

Presiden – CPI-ML MP : हम अधोहस्ताक्षरी बिहार से संसद के नवनिर्वाचित सदस्य हैं, आपको ये पत्र, यह आग्रह करने के लिए लिख रहे हैं कि 1 जुलाई 2024 से अस्तित्व में आने जा रहे नयी फ़ौजदारी क़ानूनों के लागू होने से रोकने के लिए आप तत्काल हस्तक्षेप करें। बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिकों और वकीलों द्वारा जारी की गयी, दो प्रासंगिक याचिकाएं और बयान भी हम, आपको अग्रसारित कर रहे हैं। हम उनकी इस चिंता को वाजिब समझते हैं कि नए कानून राज्य को अंधाधुंध क्रूर शक्तियों लैस करके नागरिक स्वतंत्रताओं व कानूनी रक्षात्मक उपायों का क्षरण करेंगे। नए क़ानूनों को गहन समीक्षा तथा अधिक व्यापक व जानकारीपरक आम सहमति की आवश्यकता है। कृपया सरकार को इन नए क़ानूनों को लागू करने में अनावश्यक हड़बड़ी न करने की सलाह दें।

- Advertisment -
Bhojpur News - बिहया में फर्जी दारोगा गिरफ्तार
Bhojpur News - बिहया में फर्जी दारोगा गिरफ्तार

Most Popular