Wednesday, January 29, 2025
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शहरी निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज फैसले की घड़ी

Decision on Bihar municipal elections:जीते व् हारे प्रत्याशियों की उम्मीद एवं निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी

Futen Ansari
raju yadav
Bijay
Futen Ansari
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Bihar/Ara khabreApki दिलीप ओझा/शाहपुर: शहरी निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट की आज फैसले की घड़ी है। क्षेत्र में शहरी निकाय के चुनाव लड़ने वाले जीते और हारे दोनों ही प्रत्याशियों की नजरें दिल्ली की शीर्ष अदालत पर लगी हुई। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या आता है! क्या फैसले का असर पड़ता है। शहरी निकाय के सभी अभ्यर्थियों के बीच ऊहापोह का माहौल बना हुआ है।

Madan Yadav
Badak Kushwaha
Junior Engineer
Madan Yadav
Badak Kushwaha
Junior Engineer

हारने वाला प्रत्याशी सुप्रीम कोर्ट को अपना मान कर बिहार सरकार द्वारा कराए गए चुनाव को अवैध करा देना चाहता है तो दूसरी तरफ चुनावी समर में मैदान मार चुके अभ्यर्थी चुनाव पर पर कोर्ट की रोक की प्रक्रिया को गलत की संज्ञा देते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा शहरी निकाय चुनाव को यदि ओबीसी आरक्षण के आधार पर रद्द किया जाता है तो कुछ लोग का कहना है कि अब देखते हैं बीस को क्या होता है! कोर्ट का फैसला आने तक चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थी या उनके समर्थक दोनों ही भारी बेचैनी का माहौल है।

Pintu bhaiya
Pintu bhaiya

Decision on Bihar municipal elections: विदित हो कि बिहार शहरी निकाय चुनाव के तहत हाई कोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण की ट्रिपल टेस्ट के मद्देनजर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा एक आयोग का गठन कर एनजीओ के माध्यम से नगर पंचायतों के बीच पिछड़ों का एक सर्वे कराया गया था। जिसके आधार पर बिहार में शहरी निकाय के चुनाव संपन्न कराए गए थे।

परंतु इसी बीच कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट में गए एवं अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कि सुप्रीम कोर्ट के 2010 के फैसले के अनुसार ही ओबीसी के आरक्षण के बाद चुनाव करना चाहिए था। क्योंकि बिना आरक्षण के चुनाव होने के कारण कई जातियों को इसमें अपनी सहभागिता मिलने से वंचित हो जाता है। यह संविधान में उसके प्रावधानों को उक्त जातियों के लिए वंचित करने वाला निर्देश माना जा रहा है।

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भीम सिंह 'भवेश'
भीम सिंह 'भवेश'

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