Shivanand takes a dig at Nitish: दिग्विजय जी बहुत शानदार इंसान थे. बहुत स्वाभिमानी. दोस्त परस्त. स्मृति समारोह में शामिल होने नीतीश जी गिद्धौर गए थे. कल नीतीश उनकी स्मृति सभा में बोल रहे होंगे तो पता नहीं उनके मन में पाप बोध हुआ होगा या नहीं . शिवानन्द
- हाइलाइट्स: Shivanand takes a dig at Nitish
- 2009 में लोकसभा के उम्मीदवारों की सूची में दिग्विजय सिंह का नाम नहीं था
- शिवानन्द तिवारी ने कहा जब नीतीश से मैंने पूछा कि यह कैसे हो गया?
पटना,बिहार। राजद के वरीय नेता शिवानन्द तिवारी ने कहा की दिग्विजय जी बहुत शानदार इंसान थे. कल दिग्विजय सिंह जी की दूसरी पुण्यतिथि थी. आज के अख़बारों में देखा कि इस अवसर पर आयोजित स्मृति समारोह में शामिल होने नीतीश जी गिद्धौर गए थे. दिग्विजय जी बहुत शानदार इंसान थे. बहुत स्वाभिमानी. दोस्त परस्त. उनसे मेरी मुलाक़ात जेएनयू में हुई थी. जेएनयू में लोहिया विचार मंच की बहुत सक्रिय इकाई थी. दिग्विजय जी जेएनयू के छात्रों के बीच बहुत लोकप्रिय थे. किशन पटनायक हमारे नेता थे. उन दिनों जब भी दिल्ली जाना होता था तो जेएनयू के गंगा हॉस्टल में पड़ाव होता था. उन्हीं दिनों दिग्विजय जी से मेरी पहली मुलाक़ात हुई थी.
1980 में बैंगलोर में लोहिया विचार मंच का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था. दिग्विजय जी उस सम्मेलन में शामिल थे. उसी सम्मेलन में लोहिया विचार मंच को एक राजनीतिक संगठन का रूप देने का फ़ैसला हुआ. उसका नाम समता संगठन रखा गया. हालाँकि कि नीतीश जी भी लोहिया विचार मंच से जुड़े हुए थे. लेकिन वे बैंगलोर के उस सम्मेलन में शामिल नहीं थे. वहाँ मुझे ही समता संगठन का राष्ट्रीय संयोजक बना दिया गया था. 77 और 80 का विधानसभा चुनाव मैं नहीं लड़ा था. लेकिन 1985 का चुनाव मैं लड़ गया. वहाँ से कांग्रेस प्रत्याशी विंदेश्वरी थे. उन दिनों दूबे जी बिहार प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे. मैं हारा. किसी तरह ज़मानत बची थी.
85 में नीतीश जी विधायक बने. 89 में लोकसभा का चुनाव हो गया और नीतीश बाढ़ से लोकसभा का चुनाव जीत गए. वीपी सिंह की सरकार में राज्य मंत्री मंत्री बन गए. 90 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हारी. जनता पार्टी की सरकार बनी. लालू यादव मुख्यमंत्री बने. कुछ दिनों बाद लालू जी से मतभेद हुआ और नीतीश कुमार और जॉर्ज साहब के साथ हमलोग लालू जी से अलग हो गए. जॉर्ज साहब के साथ चौदह सांसद भी जनता पार्टी से अलग हुए थे. उनमें एक दिग्विजय जी भी थे. उन दिनों वे राज्यसभा के सदस्य थे. इस प्रकार दिग्विजय जी समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में एक थे.
नीतीश कुमार लालू यादव के विकल्प के रूप में समता पार्टी के चेहरा थे. लेकिन दिग्विजय जी नीतीश को नहीं बल्कि जॉर्ज साहब को अपना नेता मानते थे. दिग्विजय जी स्वाभिमानी व्यक्ति थे. नीतीश जी के विषय में मैंने कभी कहा था कि वे रीढ़ विहीन नेता हैं. ऐसे लोगो को जो स्वाभिमानी होते हैं, आँखों में खटकते हैं.
Shivanand takes a dig at Nitish: तुम किसी को उम्मीदवार बनाना चाहो और शरद जी या ललन रोक दें इस पर कोई मूर्ख ही यकीन कर सकता है.
मुझे याद है कि 2009 में लोकसभा के लिए उम्मीदवारों की जो लिस्ट छपी उसमें दिग्विजय जी का नाम नहीं था. उस दिन मैं पटना में ही था. दौड़ा दौड़ा मुख्यमंत्री आवास पहुँचा. नीतीश से मैंने पूछा कि यह कैसे हो गया ! उम्मीदवारों की सूची में दिग्विजय सिंह का नाम नहीं है ! नीतीश कुमार ने नजर झुकाकर जवाब दिया कि शरद जी और ललन सिंह ने विरोध कर दिया. मैंने कहा कि यह गलत कर रहे हो. तुम किसी को उम्मीदवार बनाना चाहो और शरद जी या ललन रोक दें इस पर कोई मूर्ख ही यकीन कर सकता है.
दिग्विजय उन दिनों राज्यसभा के सदस्य थे. उसकी सदस्यता से उन्होंने इस्तीफ़ा दिया और बाँका लोकसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उन्होंने नीतीश कुमार के सामने ताल ठोक दिया. नीतीश पराजित हुए और दिग्विजय को वहाँ की जनता ने लोकसभा सभा में पहुँचा दिया. वह एक असाधारण जीत थी. कुछ ही दिनों बाद ब्रेन हैमरेज से दिग्विजय जी चले गये.
यह भी कहा जा सकता है कि उस चुनाव में उनको जैसा तनाव झेलना पड़ा, जिस प्रकार का श्रम करना पड़ा संभवतः वही उनकी असमय मौत का कारण बना. उनकी मृत्यु के बाद वहाँ की जनता ने उनकी पत्नी पुतुल जी को जीताया. उनकी नामांकन सभा में मैं भी शामिल हुआ था. कल नीतीश उनकी स्मृति सभा में बोल रहे होंगे तो पता नहीं उनके मन में पाप बोध हुआ होगा या नहीं . शिवानन्द