Nagar Panchayat जनप्रतिनिधि शाहपुर नपं बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित कराते रहे, और बयानबाजी के जरिए नगर के आम जनता को आश्वस्त करने का प्रयास किया। हालांकि, इस दौरान उम्मीद का दीया जलाने में वे असफल रहे।
- हाइलाइट : Nagar Panchayat
- शाहपुर नगर के प्रतिनिधियों की दक्षता पर प्रश्नचिन्ह
- क्या विकास की आशा केवल एक स्वप्न बनी रहेगी ?
Nagar Panchayat आरा/शाहपुर: नगर पंचायत शाहपुर के विकास के दावों और वास्तविकता के बीच एक गहरा फ़ासला है, जिसकी बानगी शाहपुर नगर पंचायत के प्रतिनिधियों के दो साल के कार्यकाल में देखने को मिली है। प्रतिनिधि विकास का झुनझुना हाथ में लिए नगर पंचायत कार्यालय लगातार दो वर्षों तक दौड़-भाग करते रहें। नपं बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित कराते रहे, और बयानबाजी के जरिए नगर के आम जनता को आश्वस्त करने का प्रयास किया। हालांकि, इस दौरान उम्मीद का दीया जलाने में वे असफल रहे।
नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों से लोगों को विकास की आस जगी थी। ऐसा लगा था कि अब जल्द ही विकास के द्वार खुलेंगे। दो साल के अंदर वार्ड संख्या 01 से 06 तक कुछ कार्य अवश्य हुए, लेकिन उनमें भी भारी गड़बड़ियों की शिकायतें उठीं। वही वार्ड संख्या-07 पहुंचते ही विकास रास्ता भटक गया और वार्ड 11 तक इसकी खोज अबतक हो रही है।
क्या विकास की आशा केवल एक स्वप्न बनी रहेगी ?: पूर्व में खरीदी गई नई इलेक्ट्रिक ई-रिक्शा, हाथ-रिक्शा, खाद बनाने वाली मशीन और शुद्ध पेयजल की ATM मशीन जैसी सुविधाएं नगर पंचायत परिसर में जंग खा रही हैं। यह स्पष्ट है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा इन संसाधनों का उचित उपयोग का प्रयास तक नहीं किया गया। शाहपुर नगर पंचायत में विकास की सच्चाई यही है कि जब तक जनप्रतिनिधि अपने कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार नहीं होते, तब तक विकास की आशा केवल एक स्वप्न बनी रहेगी।
प्रतिनिधियों की दक्षता पर प्रश्नचिन्ह: साफ-सफाई के लिए एनजीओ को हर माह 11 लाख 87 हजार रुपये से अधिक का भुगतान किये जाने के बावजूद नगर में गंदगी का अंबार एक गंभीर चिंता का विषय रहा है। स्थानीय निवासी इस स्थिति से काफी परेशान हैं। साथ ही, होल्डिंग टैक्स मामले में राजस्व चोरी जैसे आरोपों ने प्रतिनिधियों की दक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इसके अतिरिक्त, स्ट्रीट लाइट और CCTV कैमरों की खराबी ने नगर पंचायत के रहवासियों की सुरक्षा और सुविधा को भी प्रभावित किया है।
उपमुख्य पार्षद झुनीया देवी ने कहा की हमारी लिखित जबाबों को कार्यवाही पंजी में इंट्री तक नहीं किया जाता। बातों को अनसुना किया जाता है। यह सब मनमानी का नतीजा है। आशा करते है की भविष्य की योजनाएँ अधिक व्यापक, पारदर्शी और साक्ष्य आधारित हों, ताकि शाहपुर नगर पंचायत के लोगों का विश्वास पुनः प्राप्त किया जा सके।
इधर, पूर्व मुख्य पार्षद बिजय कुमार सिंह ने कहा की नगर के प्रतिनिधि और नपं प्रशासनिक अधिकारी अपने कार्यों का मूल्यांकन गंभीरता से करें और अपने दायित्वों को समझते हुए नगर पंचायत की वास्तविक जरूरतों पर ध्यान दें। दो साल के अंदर विकास पटरी से उतर गया है इसे पटरी पर लाने का प्रयास करें।
पूर्व मुख्य पार्षद बबीता देवी ने कहा लोग अब यह मानने लगे हैं कि किए गए वादे मात्र कागजी योजनाओं तक सीमित रह गए हैं, जिससे शाहपुर नगर पंचायत की जनता में भारी आक्रोश और असंतोष का वातावरण निर्मित हुआ है।
वार्ड पार्षद कामेश्वर कुमार राज ने कहा की आवाज उठाने के बाद भी नगर की आधारभूत संरचना, जैसे—सड़कें, जल आपूर्ति, और स्वच्छता के मुद्दे, लगातार उपेक्षित रहे हैं। नपं द्वारा किए गए अनुबंधित कार्यों में भी पारदर्शिता का अभाव देखा गया, जिससे भ्रष्टाचार की गंध लोगों के बीच फैल गई है।
समाज सेवी मुन्ना पांडेय ने कहा चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधियों द्वारा नागरिकों की भागीदारी को नजरअंदाज किया गया, जिससे स्थानीय समस्याओं की पहचान और समाधान दोनों ही प्रभावित हुए हैं। विकास की योजनाएँ यदि मानवीय आवश्यकताओं को समर्पित नहीं होंगी, तो उनका कोई महत्व नहीं रह जाता।