Human-मानव कहलाने के अधिकारी नहीं सदाचार एवं नैतिकता विहीन
भगवान एवं शास्त्र के वचनों पर संतो का मौलिक अधिकार
मर्यादाविहीन जीवन से पीढ़िया भी होती कुप्रभावित
सदाचार एवं नैतिकता विहीन मनुष्य मानव (Human) कहलाने का अधिकारी नहीं है। व्यक्ति को जीवन में अनैतिकता एवं दुराचार से बचना चाहिए। अनैतिकता से जीवन और मरण दोनों अमंगलमय हो जाते हैं। भावी पीढ़ी भी कलंक ग्रसित हो जाती है। अनैतिकता से जीवन यापन करने वाले को कभी यश प्राप्त नहीं होता। इसलिए स्वयं तथा अपनी पीढ़ियों के निमित्त मानव को मर्यादानुकूल जीवनयापन करना चाहिए। उपरोक्त बातें श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी ने कहीं।
श्री जीयर स्वामी ने कहा कि भगवान ने मनुष्य (Human) के अलावे दैत्य पुत्र प्रहलाद एवं पशु गजेन्द्र पर भी कृपा की है जो शास्त्र में उल्लेखित है। भगवान कभी पक्षपात नहीं करते। भगवान का शब्दिक अर्थ भा से प्रकाश, ग-ज्ञान, वा से वैभव और न से नेक है। भगवान से ही ये गुण पैदा होते हैं। भगवान सब को प्रकाशित करते हैं। जिससे वे अपना प्रकाश हटा लेते है उस जीव का तेज समाप्त हो जाता है। तेजहीन जीव अजीव का अस्मिता समाप्त हो जाती है।
स्वामी जी ने कहा कि जिस परिवार में धर्म के प्रति श्रद्धा होती है। वह परिवार पवित्र और धन्य हो जाता है। जिस कुल में वैष्णव उत्पन्न होते हैं वह कुल पवित्र हो जाता है। माता कृतार्थ हो जाती हैं। देश लोक पृथ्वी और पिता धन्य हो जाता है। अर्थात् वह कुल पवित्र हो जाता है। पृथ्वी पवित्र एवं धन्य हो जाती है। वह देश धन्य हो जाता है तथा उसके पितर लोग धन्य हो जाते हैं। भगवान का भक्त होना कल्याण कारक है।
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व्यास जी ने कहा है कि छेय, ज्ञेय, प्रेय और त्रेय नारायण ही एक माह भगवान एवं शास्त्र के वचनों पर संतों का सहज एवं मौलिक अधिकार होता है। भगवान ने एक बार नारद जी से कहा कि आप तय करें कि सबसे बड़ा कौन है ? नारद जी ने कहा कि जो सबसे बड़ा कार्य करे वही बड़ा है। यानी पृथ्वी है।
भगवान ने कहा कि पृथ्वी का भार शेष जी उठाते हैं तो शेष जी बड़े है उनसे भी बड़े शंकर जी हैं, जो उन्हें अपने शरीर में लपेटे रहते है। शंकर जी से बड़े रावण है जो अंगूठे पर शंकर जी को उठा लिया। उससे बड़े बालि है जो रावण को छः माह तक कांख में दबाये रखा, उनसे बड़े राम है, जो बालि का वध किए। लेकिन राम से भी बड़े भगवान के भक्त है जो अपने हृदय में उन्हें सूक्ष्म रुप में सदा धारण किए रहते हैं। भगवान के भक्तों से बड़ा दुनिया में कोई नहीं है। भगवान के भक्तों के साथ कभी अपचार नहीं करना चाहिए।
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