एक समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करती है नई शिक्षा नीति-राजेन्द्र तिवारी
आरा। राष्ट्रीयता पर आधारित नई शिक्षा नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव की उम्मीद जगी है। मैंकाले की दोषपूर्ण शिक्षा नीति समाप्त कर नई शिक्षा नीति को मंजूर करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और संपूर्ण मंत्री परिषद का हार्दिक अभिनंदन है। उक्त बातें भाजपा राज्य परिषद सदस्य राजेन्द्र तिवारी ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही।
राजेन्द्र तिवारी ने कहा की नई शिक्षा नीति, शिक्षा क्षेत्र की कई समस्याओं का समाधान करेगी एवं सबके लिए सुलभ शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करेगी। नई शिक्षा नीति से उच्च, प्राथमिक एवँ माध्यमिक शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन होगा। श्री तिवारी ने कहा कि इससे पहले हमारे देश में 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी और 1992 में उसका संशोधन किया गया था।कई दशक से इस देश में भारतीय तुम राष्ट्रीयता पर केंद्रित शिक्षा नीति लागू करने की मांग पुरजोर तरीके से उठ रही थी। केंद्र सरकार ने आज नई शिक्षा नीति को मंजूरी देकर बरसों पुरानी मांग पूरा किया है।
राजेन्द्र तिवारी ने कहा कि नई शिक्षा नीति सामर्थ्य,गुणवत्ता एवं जवाबदेही पर आधारित है, और बदलते वैश्विक परिवेश के साथ छात्रों को अपडेट रखने की आवश्यकता पर ध्यान देते हुए बनाई गई है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में समानता एवं गुणवत्ता पर विशेष बल दिया गया है। इसके तहत प्राथमिक स्तर पर दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक नए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम बनाने पर बल दिया गया है,जो अत्यंत प्रशंसनीय है और यह एक समान शिक्षा प्रणाली की तरह काम करेगी।
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राजेन्द्र तिवारी ने कहा के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली कमेटी के निर्देशन में तैयार की गई नई शिक्षा नीति पूर्णत: भारतीय, राष्ट्रीयता, एवं आधुनिकता पर केंद्रित है। वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए तैयार की गई है। नई शिक्षा नीति में 3 से 18 साल तक के सभी को शिक्षा उपलब्ध कराने की व्यवस्था के साथ-साथ मातृभाषा मे शिक्षा पर जोर दी गई है ,जो कि अत्यंत ही प्रशंसनीय है। शिक्षा नीति में शारीरिक शिक्षा के साथ-साथ नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाने की बात की गई है। जिससे देश में नए शोध के मार्ग प्रशस्त होंगे।शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा ,बदलाव एवं निगरानी के लिए राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के गठन की व्यवस्था भी अत्यंत प्रशंसनीय है। मैंकाले की दोषपूर्ण शिक्षा नीति को समाप्त कर नई शिक्षा नीति बनाने के लिए एक बार पुनः भारत के शिक्षा मंत्री एवं प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हैं।