sangit Sarita: गुरु बक्शी विकास ने ग़ज़ल “फिर उसने गुलाबों से मेरा नाम लिखा हैं” व “जिंदगी में बस यही एक खता कर गये, जाने क्या सोचकर हम वफ़ा कर गये” प्रस्तुत किया।
- हाइलाइट :- sangit Sarita
- आरा महाजन टोली स्थित आश्रम परिसर में संगीत सरिता कार्यक्रम का आयोजन
- कार्यक्रम का उद्घाटन कवियित्री डॉ. किरण कुमारी ने किया
आरा: शिवादी क्लासिक सेंटर ऑफ आर्ट एण्ड म्यूजिक के स्थापना दिवस के अवसर पर महाजन टोली स्थित आश्रम परिसर में संगीत सरिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन कवियित्री डॉ. किरण कुमारी ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि संगीत में अद्भुत सम्मोहन शक्ति हैं जो हमें एक दूसरी दुनिया में ले जाता हैं। सुधबुध खोकर सुरताल में विलीन होने की अवस्था संगीत का चरमोत्कर्ष हैं।
इस अवसर पर गौरी व सगुन ने ठुमरी पर कथक की भाव भंगिमाओं को प्रस्तुत कर तालियां बटोरी। वहीं राशि, राका व चित्रा ने पंडित बिरजू महाराज की रचना “एक बार वंशी ना बाजी घनश्याम सो’ पर भाव अभिनय प्रस्तुत किया। वहीं स्नेहा पाण्डेय ने तीनताल में शुद्ध कथक प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी।
इस् कार्यक्रम में श्री महेश यादव ने राग संगीत में “अब ना सताओ मोहे” व छोटा ख्याल व ठुमरी प्रस्तुत कर समां बांधा। वहीं श्रेया पाण्डे ने राग बागेश्री में विलंबित एक ताल की “बंदिश जाओ ना परदेश निठुर पिया मोरे” तीन ताल की बंदिश चैन ना पावें जियरा मोरे बलमा व दादरा प्रस्तुत का दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
गुरु बक्शी विकास ने ग़ज़ल “फिर उसने गुलाबों से मेरा नाम लिखा हैं” व “जिंदगी में बस यही एक खता कर गये, जाने क्या सोचकर हम वफ़ा कर गये” प्रस्तुत किया। तबले पर राणा प्रताप सिन्हा व हारमोनियम पर अजीत पाण्डेय ने संगत से रंग भरा। मंच संचालन कथक नर्तक अमित कुमार व धन्यवाद ज्ञापन तबला वादक सूरज कान्त पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर तबला वादक बिंदा जी, संजय कुमार, रौशन किशोर, नीतीश पाण्डेय समेत कई संगीत रसिक उपस्थित थें।