Friday, November 8, 2024
No menu items!
HomeNewsबिहारवर्षा की बूंदे पड़ते ही पढ़ाई छोड़ घर भागने को मजबूर हो...

वर्षा की बूंदे पड़ते ही पढ़ाई छोड़ घर भागने को मजबूर हो जाते हैं छात्र

बिहार में भोजपुर जिला के शाहपुर प्रखंड का माधोपुर गांव स्थित मध्य विद्यालय का हाल है कि यहां वर्ष की बूंद पड़ते ही पढ़ने आए बच्चों के बीच भागम-भाग वाली स्थिति बन जाती हैं।

Middle School Madhopur : बिहार में भोजपुर जिला के शाहपुर प्रखंड का माधोपुर गांव स्थित मध्य विद्यालय का हाल है कि यहां वर्ष की बूंद पड़ते ही पढ़ने आए बच्चों के बीच भागम-भाग वाली स्थिति बन जाती हैं।

  • हाइलाइट : Middle School Madhopur
    • विद्यालय को जमीन का दान वर्ष 1979 में ही हुआ है
    • कक्षा एक से कक्षा आठ तक पढ़ाई होती है
    • 471 छात्र-छात्राओं के लिए मात्र दो कमरे
    • पढ़ाने के लिए कुल 11 शिक्षक पदस्थापित हैं


आरा/शाहपुर: वर्षा की बूंदे पड़ते ही विद्यालय छोड़ घर भागने को मजबूर हो जाते हैं छात्र। बिहार में भोजपुर जिला के शाहपुर प्रखंड का माधोपुर गांव स्थित मध्य विद्यालय माधोपुर का हाल है कि यहां वर्ष की बूंद पड़ते ही पढ़ने आए बच्चों के बीच भागम-भाग वाली स्थिति बन जाती हैं। वर्षा में भींगने से बचने के लिए कोई विद्यालय में भागता है तो कुछ छात्र पेड़ के निचे तो कुछ घर भाग जाते हैं। क्योंकि विद्यालय में छात्रों को वर्षा से बचने के लिए भी पर्याप्त जगह नही है। विद्यालय में महज दो कमरे है जिसमे कक्षा एक से कक्षा आठ तक पढ़ाई होती है। जिसमे कुछ छात्र-छात्राओ की संख्या 471 है। जिसमे 188 छात्र एवं 283 छात्राएं नामांकित हैं। जिनको पढ़ाने के लिए कुल 11 शिक्षक पदस्थापित हैं।

jhuniya
Abhay
diwali

विद्यालय में छात्रों से अधिक छात्राओ की संख्या हैं। छात्र व छात्राएं किताबो के थैले के साथ-साथ बैठने के लिए बोरी या चट साथ लाते हैं। ताकि विद्यालय के आगे जमीन पर बैठकर पढ़ सके।। छात्र बताते हैं कि वर्षा काल के दौरान हमेशा यह डर बना रहता है कि वर्षा के समय हम लोगों की पढ़ाई कैसे होगी। बादल जैसा ही आकाश में दिखते हैं बच्चे पढ़ाई से ज्यादा ध्यान घर की तरफ भागने की तैयारी में रहते हैं।

dr-vikas
DR-Aman
previous arrow
next arrow

अभिभावकों की माने तो इस विद्यालय में कमरा नहीं होने के कारण बरसात के समय विद्यालय घोषित रूप से बंद ही रहता है। शिक्षक तो आते हैं लेकिन बच्चे बैठेंगे कहां वर्षा के समय तो जमीन पर भी बैठकर पढ़ाई नहीं हो सकती। क्योंकि गर्मियों के समय विद्यालय के समीप पेड़ के नीचे बैठकर बच्चे पढ़ लिख जाते हैं। लेकिन वर्षा एवं ठंड के समय पढ़ाई मौसम के कारण बाधित हो जाती हैं।

chhth puja- Bijay
ayodhya Paswan
je
previous arrow
next arrow

शिक्षक बताते हैं कि विद्यालय के भवन निर्माण को कई बार राशि मिली। लेकिन जमीनी विवाद के चलते कमरे नहीं बन पा रहे हैं। भूमि दाता के परिवार के लोग भवन निर्माण में अड़ंगा लगाते हैं। उनका कहना है कि जमीन का दान ही गलत हुआ है। रजिस्ट्री हमारे परिवार वालों ने नही किया है। लेकिन विद्यालय को जमीन का दान वर्ष 1979 में ही हुआ है और उसपर विद्यालय के दो कमरों का निर्माण भी हुआ है। करीब दो दशक से यही हाल बना हुआ है।

जनप्रतिनिधि भी कोशिश कर थक चुके हैं। अब जमीनी विवाद में कोई बात भी नहीं करता है। भवन निर्माण के लिए राशि आती है और लौट जाती है। विद्यालय भवन का निर्माण नहीं हो पता है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामाशंकर पासवान द्वारा बताया गया कि विद्यालय के छात्र वर्षा के समय घर भाग जाते हैं। क्योंकि सर छुपाने के लिए भी स्कूल में जगह नहीं रहता है, इसलिए मजबूरन छात्रों को घर भागना पड़ता है।

- Advertisment -
umesh beriya
medicon - hospital
gopal pandit
B-raj
dr

Most Popular

Don`t copy text!