Play Game in Music: आरा में प्ले गेम इन म्युजिक का आयोजन
खबरे आपकी बिहार/आरा: कला एवं संगीत की ऊर्जा से जीवंत होने की अनुभूति होती है। अनुशासित जीवन के लिए संगीत की शिक्षा आवश्यक है। प्राथमिक स्तर से ही संगीत का अध्यन बतौर विषय होना चाहिए। उक्त बातें वरिष्ठ साहित्यकार रंजीत बहादुर माथुर ने कार्यशाला के समापन सत्र का उद्घाटन कर कहा।
Play Game in Music: शिवादी क्लासिक सेंटर ऑफ आर्ट एंड म्युजिक के द्वारा आयोजित
शिवादी क्लासिक सेंटर ऑफ आर्ट एंड म्युजिक के द्वारा आयोजित प्ले गेम इन म्युजिक – आओ खेले सीखे के आखिरी दिन युवाओं ने सांगीतिक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बतौर अतिथि कलाकार छपरा से पधारें रजनीश पाठक ने ठुमरी याद पिया की आये ये दुख सहा ना जाए, गजल अपनी तस्वीर को आंखो से लगाता क्या है…. समेत कई रचनाओं को प्रस्तुत कर समां बांधा।
वही छपरा के तबला वादक श्री रविशंकर पाठक ने तबले पर अद्भुत संगत किया। सूरजकांत पांडेय व अमन पांडेय ने तबले की युगलबंदी से श्रोताओं का दिल जीत लिया। रोहित कुमार ने राग दरबारी में विलंबित एकताल की बंदिश “बलम परदेश सिधारे जग लागी सुन चहुंओर” व मध्य तीनताल में मैं तो हरि की बसुरिया पे वारी… श्रेया पांडेय ने रूपक विलंबित में बंदिश “सुमिरन कर ले मन हरि का नाम” प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी।
वही बाल कलाकार नैन्सी व सत्यम ने राग यमन प्रस्तुत कर तालियां बटोरी। स्नेहा पांडेय, खुशी कुमारी, मुस्कान कुमारी व सलोनी कुमारी ने समूह कथक की मनोहारी प्रस्तुति की। संचालन निदेशिका आदित्या श्रीवास्तव व धन्यवाद ज्ञापन संगीतकार अरुण सहाय ने किया।
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