Shahpur Headline photo: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का टिकट मिलने के साथ ही राकेश ओझा को चाचा का आशीर्वाद भी प्राप्त हो गया है।
- हाइलाइट: Shahpur Headline photo
- चाचा‑भतीजा के एक हो जाने की तस्वीर सुर्खियों का विषय बना हुआ है
आरा। जिले के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का टिकट मिलने के साथ ही राकेश ओझा को चाचा का आशीर्वाद भी प्राप्त हो गया है। चाचा भूअर ओझा ने अपने भतीजे राकेश ओझा को अपना आशीर्वाद दे दिया है। चाचा-भतीजा के एकजुट होने की तस्वीर ने सुर्खियों में जगह बना ली है। यह घटना तब और भी महत्वपूर्ण हो गई जब पूर्व विधायक मुन्नी देवी के पुत्र विकास रंजन ओझा ने स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में नामांकन न करने का निर्णय लिया। नामांकन वाले गाड़ियों पर भाजपा के झण्डा लगा दिया गया। जो दर्शाता है कि परिवार के भीतर एकजुटता और समर्थन का माहौल है, जो चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
हालांकि चाचा-भतीजा के इस गठजोड़ के कई राजनीतिक आयामों पर चर्चा हो रही है, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि इस बार भाजपा कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच जागृत विश्वास से शाहपुर में सकारात्मक परिणाम देखने की संभावना बढ़ गई है। पारिवारिक एकजुटता का यह संदेश भाजपा कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच समन्वय और संगठनात्मक मजबूती का स्पष्ट संकेत है।
वहीं दूसरी ओर, वर्तमान विधायक और उनके समर्थक गुटों में असंतोष और पाला बदलने का क्रम जारी है। इस असंतोष के कारण ही शाहपुर नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन बिजय कुमार सिंह व इनके कार्यकर्ताओं के बीच राकेश ओझा एक नई उम्मीद बनकर उभरे है। इस राजनीतिक परिदृश्य में, राकेश ओझा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। उनके पास न केवल अपने परिवार का आशीर्वाद है, बल्कि वे भाजपा के टिकट पर ऐसे समय में चुनावी मैदान में हैं जब एनडीए कार्यकर्ता बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं।
इस प्रकार, शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में राकेश ओझा का टिकट मिलना और भूअर ओझा का समर्थन, दोनों ही घटनाएँ स्थानीय राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा कर रही हैं। यह गठजोड़ न केवल परिवार के भीतर की एकजुटता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भाजपा इस बार चुनावी मैदान में काफी मजबूत और संगठित तरीके से तैयार है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या राकेश ओझा शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के लिए एक नई जीत की कहानी लिखने में कितना कामयाब होते है।



