क्वालिटी ऑफ टाईम के महत्व को समझें
“ऑनलाइन संगीत प्रशिक्षण की सार्थकता” विषय पर परिचर्चा आयोजित
कथक गुरु बक्शी विकास व नृत्यांगना आदित्या ने “ऑनलाइन कनवरसेशन” के माध्यम से “ऑनलाइन संगीत प्रशिक्षण की सार्थकता” विषय पर परिचर्चा किया। परिचर्चा में विशेष अतिथि विशेषज्ञ के रुप में नई दिल्ली से प्रख्यात संगीत शब्दकार पंडित विजय शंकर मिश्र जी, बीएचयू के नृत्य विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष, प्रो. डॉ. विधि नागर, स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ के नृत्य विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. भावना ग्रोवर दुआ व शास्त्रीय गायिका बिमला देवी शामिल हुई। परिचर्चा में पंडित विजय शंकर मिश्र ने कहा की संगीत की बारीकियां गुरु के श्री चरणों में ही प्राप्त होता है। समय के साथ-साथ दूरस्थ शिक्षा का प्रसार हुआ है। दूरस्थ शिक्षा में संचार सशक्त माध्यम सिद्ध हुआ है।
वहीं डॉ. विधि नागर ने कहा कि पहले के जमाने में गुरु और शिष्य का मिलना कठिन था। आज सात समुन्द्र पार भी गुरु और शिष्य जुड़ रहे हैं। इसमें ऑनलाइन प्रशिक्षण की बहुत बड़ी भूमिका है। इस समय को क्वारंटाइन नही क्वालिटी ऑफ टाईम समझने की आवशयक है और लॉकडाउन में घर बैठे सीखने-सिखाने का प्रयास करें। डॉ. भावना ग्रोवर दुआ ने कहा की संगीत में इनीशियल प्रशिक्षण में ऑनलाइन आज़ भी सहायक नही हैं। ऑनलाइन प्रशिक्षण में केवल उन्हे लाभ हो सकता है, जो पहले से गुरु के समक्ष सीखते हो। ऑनलाइन प्रशिक्षण में बारीकियां सिखाना आज भी कठिन है। विदुषी बिमला देवी ने भजन “जन्म-जन्म के बना लो दासी गुण गाउंगी… सुनाया। बिमला देवी ने कहा की युवा पीढ़ी संगीत में मेहनत से न भागे। रियाज़ और साधना से संगीत में सिद्धि प्राप्त करें। संचालन करते हुये कथक गुरु बक्शी विकास ने कहा की समक्ष की भांति दूरस्थ शिक्षा के लिये तकनीक को विकसित करे। विशेष तकनीक से ऑनलाइन संगीत प्रशिक्षण की सार्थकता का होगा लाभ। इस ऑनलाइन परिचर्चा में कथक नृत्यांगना सोनम कुमारी, कथक नर्तक अमित कुमार, रविशंकर और राजा कुमार समेत अन्य प्रशिक्षुओं ने भी शिरकत की।