शोभा देवी की टिकट देवेदारी को ले राजनीत में राकेश विशेश्वर ओझा की सक्रियता बढ़ी
विशेश्वर ओझा (Visheshwar Ojha) को सच्ची श्रद्धांजलि देने की चर्चा क्यों तेज हुई.? बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के साथ ही भोजपुर जिले के शाहपुर विधानसभा में (Visheshwar Ojha) विशेश्वर ओझा के पुत्र राकेश विशेश्वर ओझा की चर्चा भी खूब हो रही है शोभा देवी की टिकट देवेदारी को ले राजनीत में राकेश विशेश्वर ओझा की सक्रियता बढ़ी है
बिहार प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष रहें कद्दावर भाजपा नेता विशेश्वर ओझा (Visheshwar Ojha) विगत विधानसभा चुनाव में 54 हजार से ज्यादा मत लाकर दूसरे स्थान पर रहे। क्षेत्र में लोकप्रिय विशेश्वर ओझा की हत्या सोनवर्षा गांव में एक लग्न समारोह में भाग लेकर लौटते समय घात लगाकर बैठे अपराधियों द्वारा अनाधुन फायरिंग करते गोली मारकर हुई थी।
विशेश्वर ओझा की हत्या राजनीत की दुनिया में जबरदस्त पैठ रखने के कारण हुआ या अन्य कारणों से पुलिस अनुसंधान व मामला न्यायालय में चल रहा है। विशेश्वर ओझा के कुशल नेतृत्व कारण उनके समर्थक उन्हें अपना कैप्टेन मानते थे ये जग जाहिर है। उनपर आपराधिक केसेज का रिकॉर्ड बनाया गया ऐसा तब के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के मजबूती के कारण हुआ ऐसा समर्थक कहते व मानते है।
आपको बता दें कि भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के ओझवलिया गांव में ब्राह्मण परिवार में जन्मे विशेश्वर ओझा की इस क्षेत्र में अपनी एक पहचान रही है भाजपा में शामिल होने से पहले इनकी पत्नी शोभा देवी जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ी थी।
इरादों के मजबूत और व्यक्तित्व के धनी थे विशेश्वर ओझा
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विशेश्वर ओझा का नाम पूरा दियारा में चर्चित था। विशेश्वर ओझा की पहचान प्रतिद्वंदियों ने दियारा के आतंक के रूप में कर दी थी परन्तु इरादों के मजबूत व्यक्तित्व के धनी विशेश्वर ओझा ने घूम-घूमकर इस तमगा को अपने व्यवहार कुशलता से हटाया।
विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें शाहपुर से प्रत्याशी बनाया था, हालांकि वे चुनाव हार गए थे।परन्तु क्षेत्र की जनता ने उन्हें लगभग 54 हजार से ज्यादा मत दिया था। और मिले इस मत के कारण विशेश्वर ओझा ने कसम खायी थी अब मैं क्षेत्र में रहकर जनता की सेवा व इनके हर समस्या का समाधान व सेवा करता रहूंगा। शायद यही बात उन्मादियों को नागवार लगी हो और उन्मादी विरोधियों ने उन्हें निशाने पर ले लिया हो तहकीकात में चर्चित रही।
(Visheshwar Ojha) विशेश्वर ओझा का राजनीतिक सफर 2000 के पंचायत चुनाव में जिला परिषद सीट से अपनी भवह मुन्नी देवी के जीत के साथ शुरू हुआ। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा, 2005 के विधानसभा चुनाव में अपनी पत्नी शोभा देवी को शाहपुर सीट से जदयू का टिकट दिलवाया,हलाकि वो चुनाव हार गईं परंतु सरकार नही बनने के कारण 2005 के ही दूसरे विधानसभा के चुनाव में विशेश्वर ने अपने दम पर छोटे भाई मुक्तेश्वर ओझा उर्फ भुअर ओझा की पत्नी मुन्नी देवी को न केवल टिकट दिलवाया, बल्कि चुनावों में जीत दिलाकर इलाके के लोगों को अपनी सियासी ताकत का भी अहसास कराया।
लेकिन मजबूत राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी इनके पीछे पड़े रहे। और पुराने केसों में विशेश्वर ओझा को वर्ष 2006 में दिल्ली के सरोजनी नगर से स्पेशल ब्रांच की टीम ने गिरफ्तार किया था। मगर विशेश्वर ओझा अब अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हो चुके थे लोकप्रियता के कारण दिल्ली से लेकर बिहार लाने तक इनके समर्थकों का एक बड़ा हुजूम उमड़ पड़ा था।विशेश्वर ओझा की लोकप्रियता के कारण एक बार फिर मु्न्नी देवी 2010 के चुनाव में भी शाहपुर की सीट जीतकर विशेश्वर के प्रभाव को जमाने में कामयाब रहीं।
बिहार की भाजपा इकाई में विशेश्वर ओझा का खासा प्रभाव रहा है। राजनीति में सुशील कुमार मोदी का इनपर विशेष कृपा दृष्टि रही ऐसा माना जाता है। एक शादी समारोह से लौटने के दौरान उन पर सोनवर्षा गांव में कातिलाना हमला किया गया जिसमें उनकी मौत हो गई। राजनीतिक दुश्मनी के कारण हत्या हुई या पुरानी रंजिश में पुलिस अनुसंधान व मामला न्यायालय में चल रहा है। लेकिन विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही (Visheshwar Ojha) विशेश्वर ओझा के समर्थक अपने नेता के प्रति भावुक है शोभा देवी की टिकट देवेदारी को ले राजनीत में इनके पुत्र राकेश विशेश्वर ओझा की सक्रियता बढ़ी है भाजपा की नई कमिटी में इन्हें युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति में जगह दी गयी है।
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