RJD Shahpur: 2015 के विधानसभा चुनाव में स्वतंत्रता सेनानी व समाजवादी नेता रहे रामानंद तिवारी के परिवार की तीसरी पीढ़ी को यहां की विरासत थामने का अवसर मिला। 2020 में राहुल तिवारी लगातार दूसरी जीत दर्ज करने के बाद हैट्रिक लगाने की फिराक में है, तो भाजपा को वापसी की है आस।
- हाइलाइट: RJD Shahpur
- 1972 में पहली बार जीती कांग्रेस
- 2005 में पहली बार खिला कमल
आरा। भोजपुर जिला का शाहपुर विधानसभा क्षेत्र प्रारंभ से ही समाजवाद का गढ़ रहा है। यह क्षेत्र न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर भी इसे विशेष बनाती है। इस क्षेत्र में समाजवाद की जड़ें गहरी हैं, और यहां की राजनीति में समाजवादी विचारधारा का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। स्वतंत्रता सेनानी व समाजवादी नेता रहे रामानंद तिवारी के परिवार की तीसरी पीढ़ी विरासत संभाल रही है।
समाजवाद के इस गढ़ में बिहार को कांग्रेसी मुख्यमंत्री देने का गौरव भी हासिल है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो इस क्षेत्र की राजनीतिक पहचान को और मजबूत बनाती है। पूर्व में एकीकृत बिहार के झारखंड के इलाके से निर्वाचित होते रहे बिंदेश्वरी दुबे 1985 में यहां के चुनावी अखाड़े में उतरे और जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री बने। उनकी जीत ने इस क्षेत्र में कांग्रेस के प्रभाव को और बढ़ाया। इसके बाद, 2005 और 2010 में एनडीए की लहर में यहां भाजपा का कमल भी खिला, जिसने इस क्षेत्र की राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया।
RJD Shahpur: दादा और पिता की राजनीतिक विरासत को राहुल तिवारी ने आगे बढ़ाया
हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में स्वतंत्रता सेनानी व समाजवादी नेता रहे रामानंद तिवारी के परिवार की तीसरी पीढ़ी को यहां की विरासत थामने का अवसर मिला। राहुल तिवारी (RJD Shahpur) ने यहां से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि उन्होंने अपने दादा और पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का कार्य किया। 2020 में उन्होंने लगातार दूसरी जीत दर्ज की, जो उनके राजनीतिक करियर के लिए एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
बता दें कि यह क्षेत्र रामानंद तिवारी के नाम से ही जाना जाता रहा है। वे 1952 के पहले विधानसभा चुनाव से लेकर 1969 के पांचवें विधानसभा तक लगातार निर्वाचित होते रहे और तीन दशक (1952 से 72) तक विधायक रहे। इस दरम्यान उन्हें बिहार सरकार में मंत्री की जिम्मेवारी भी मिली। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता, और उनके परिवार ने हमेशा इस क्षेत्र की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। करीब तीन दशक बाद, 2000 में उनके बेटे शिवानंद तिवारी ने पिता की विरासत संभाली। शिवानंद तिवारी ने 2005 के फरवरी में यहां से दुबारा जीत दर्ज की, पर तब विधानसभा का गठन नहीं होने से शपथ लेने का मौका नहीं मिल सका।
RJD Shahpur: राजद हैट्रिक लगाने की फिराक में है, तो भाजपा को वापसी की आस है। यहां की राजनीति में दोनों दलों के बीच की प्रतिस्पर्धा ने इस क्षेत्र को और भी रोचक बना दिया है। हालांकि पिछले दोनों बार के मुकाबले में राजद के राहुल तिवारी को बदले चुनावी समीकरण का लाभ मिला और वे लगातार दो चुनाव जीतने में सफल रहे। 2015 में राजद को जदयू का साथ मिला, जिससे राहुल तिवारी पहली बार विधानसभा पहुंचे और उन्हें अपने दादा और पिता की विरासत संभालने का मौका मिला।
2020 के चुनाव में एनडीए में फूट का लाभ राहुल तिवारी को मिला और वे लगातार दूसरी जीत दर्ज करने में सफल रहे। तब यहां के चर्चित ओझा परिवार की शोभा देवी बतौर निर्दलीय दूसरे स्थान पर रहीं और एनडीए की आधिकारिक भाजपा प्रत्याशी पूर्व विधायक मुन्नी देवी तीसरे स्थान पर खिसक गईं। यह चुनावी परिणाम इस बात का संकेत था कि क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। इस बार भी अब तक ओझा परिवार में एका नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में भाजपा इसी परिवार से फिर किसी को टिकट देगी या नया विकल्प तलाशेगी, इस पर पक्ष और विपक्ष सबकी नजर है।
1972 के छठे चुनाव में पहली बार जीती कांग्रेस आजादी के बाद पहले चुनाव में जिले की जहां अधिकतर सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की, वहीं शाहपुर में सोशलिस्ट पार्टी के रूप में प्रसोपा विजयी रही थी। यहां कांग्रेस की जीत का खाता छठे चुनाव में 1972 में खुला और सूरजनाथ चौबे विजयी हुए। हालांकि अगले ही चुनाव में 1977 की परिवर्तन की लहर यहां भी चली और जनता दल ने जीत दर्ज की। 1985 में कांग्रेस से जीत बिंदेश्वरी दुबे मुख्यमंत्री बने, पर इसके बाद कांग्रेस यहां कभी नहीं लौटी।
1990 से 2005 तक क्रमश: जनता (जेपी), जनता दल व राजद का कब्जा रहा। यह समय इस क्षेत्र की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का समय था। 2005 के नवंबर में हुए चुनाव में भाजपा का कमल पहली बार खिला। 2010 के चुनाव में भाजपा की मुन्नी देवी ने सफलता दुहराई। पिछले दो चुनावों से यहां राजद का कब्जा है, जो इस क्षेत्र में राजद की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।
पिछले चुनावी अखाड़े में उतरे थे 23 पहलवान: शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में पिछले कुछ चुनावों से अपेक्षाकृत अधिक उम्मीदवार उतर रहे हैं। 2020 के पिछले चुनाव में कुल 23 पहलवान उतरे थे। तब यहां त्रिकोणीय मुकाबला हुआ। महागठबंधन को एकजुटता का लाभ मिला और राजद लगातार दूसरी जीत दर्ज करने में कामयाब रहा, जबकि बगावत के चलते भाजपा तीसरे स्थान पर खिसक गई। भाजपा के पूर्व प्रत्याशी रहे विशेश्वर ओझा की पत्नी शोभा देवी दूसरे स्थान पर रही थीं।
इसके पहले 2015 में भी 14 प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में उतरे थे: तब एनडीए की ओर से भाजपा ने लगातार दो जीत दर्ज करने वाली सीटिंग विधायक मुन्नी देवी को बेटिकट कर उनके ही परिवार के विशेश्वर ओझा को टिकट थमा दिया था। तब राजद के राहुल तिवारी ने जीत दर्ज की और ओझा दूसरे स्थान पर रहे। सीधी लड़ाई में अन्य प्रत्याशी मुकाबले में भी नहीं रहे थे।
जो कार्य नहीं हुए 1. दियारा इलाके में बाढ़ व कटाव और अगलगी की घटनाओं से बचाव का स्थाई सामाधान नहीं निकला। 2.वर्षों से बंद सरकारी नलकूप आज तक चालू नहीं हुए हैं। इससे सिंचाई का संकट बना रहता है। 3. लालू डेरा के मरचईया बांध का गैप और राजपुर बांध में गैप नहीं भरा जा सका। शाहपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत NH-922 फोरलेन पर बिहिया चौरास्ता, बिलौटी, शाहपुर, रानीसागर में अब तक सर्विस लेन नहीं बन सका। बनाही रेलवे स्टेशन का उचित विकास।
जो कार्य हुए 1. शाहपुर के सोनवर्षा गांव के पास गौतमनगर में पहला डिग्री कॉलेज खुला 2. बिहिया के जादोपुर में तकनीकी संस्थान के रूप में आईटीआई खुला 3. जवइनियां गांव के कुछ कटाव पीड़ित भूमिहीनों को पर्चा के साथ 1.20 लाख रुपये प्रति परिवार पुर्नवास लिए मिले। 4. ईश्वरपुरा व धर्मावती नदी में बड़की सहजौली व हिरखी पीपरा के बीच पुल निर्माण व दोघरा से खरौनी पुल तक सड़क चौड़ीकरण।
प्रखंड (शाहपुर, बिहिया) 34 ग्राम पंचायत, 02 नगर पंचायत कुल वोटर-2,95,869 पुरुष वोटर-1,57,978 महिला वोटर-1,37,886 थर्ड जेंडर : 05
शाहपुर विधानसभा क्षेत्र जीते-हारे: 2010 मुन्नी देनी, भाजपा – 44795 धर्मपाल सिंह, राजद -36584 अंतर -8211, 2015 राहुल तिवारी, राजद -69315 विशेश्वर ओझा, भाजपा-54745 अंतर -14570, 2020 राहुल तिवारी, राजद -64393 शोभा देवी, निर्दलीय -41510 अंतर -22883
वर्ष-1952 से लेकर 2020 तक शाहपुर के निर्वाचित विधायक
| वर्ष | विधायक | पार्टी |
| 2020 | राहुल तिवारी | राजद |
| 2015 | राहुल तिवारी | राजद |
| 2010 | मुन्नी देवी | भाजपा |
| 2005 (नवंबर) | मुन्नी देवी | भाजपा |
| 2005 (फरवरी) | शिवानंद तिवारी | राजद |
| 2000 | शिवानंद तिवारी | राजद |
| 1995 | धर्मपाल सिंह | जनता दल |
| 1990 | धर्मपाल सिंह | जनता(जेपी) |
| 1985 | बिंदेश्वरी दुबे | कांग्रेस |
| 1980 | आनंद शर्मा | कांग्रेस |
| 1977 | जयनारायण मिश्र | जनता दल |
| 1972 | सूरजनाथ चौबे | कांग्रेस |
| 1969 | रामानंद तिवारी | संसोपा |
| 1967 | रामानंद तिवारी | संसोपा |
| 1962 | रामानंद तिवारी | प्रसोपा |
| 1957 | रामानंद तिवारी | प्रसोपा |
| 1952 | रामानंद तिवारी | प्रसोपा |



