Friday, March 29, 2024
No menu items!
Homeअवर्गीकृतअतिथि देवो भव नही अब अतिथि तनी दूरे रहो

अतिथि देवो भव नही अब अतिथि तनी दूरे रहो

निगहबान हुई आँखे

कोरोना वायरस ने सनातन परंपरा में अतिथियों के प्रति भावनाओं को बदल दिया

बिहार सरकार का बड़ा फैसला

बिहार आरा:(दिलीप ओझा) कोरोना वायरस के भय के असर ने दहशत के बीच जीने को मजबूर लोगो ने शताब्दियों पुरानी सनातन परंपरा को भी तोड़ दिया। सनातन परंपरा के अनुसार हम अतिथि देवो भव को चरितार्थ करते थे। परंतु कोरोना के भय से भयाक्रांत लोग अब अतिथि दुरे ही रहो की चल पड़ने को मजबूर हो चुके है।

स्थानीय लोगों द्वारा विदेश और बाहर के शहरों से आने वालों की जानकारी स्थानीय प्रशासन, पुलिस व अस्पताल के चिकित्सकों को देकर उनकी जांच कराने को कह रहे है। साथ ही वैसे लोगो को ग्रामीणों से दूर तबतक रहने को कहा जा रहा है जबतक उसकी संक्रमित ना होने की पुष्टि नहीं हो जाती।

डॉ. शैलेंद्र कुमार
Holi Anand
Dr. Prabhat Prakash
Vishvaraj Hospital, Arrah
डॉ. शैलेंद्र कुमार
Holi Anand
Dr. Prabhat Prakash
Vishvaraj Hospital, Arrah

आपात स्थिति से निपटने के लिए बस व वाहन चालक को ईंधन आदि सहित तैयार का निर्देश

भय का आलम यह है कि किसी मुहल्ले में या किसी गांव में बाहर से अथवा विदेश से आ रहा है तो उससे लोग खतरा का परिचायक मानने लगे हैं। कोरोना के खतरे को देखते हुए लोगो का रुख सही भी माना जा सकता है।

कोई भी सभ्यता या परंपरा लोगो को असुरक्षित महसूस करने को सही नहीं ठहरा सकता है। वो भी तब जब मानवतावादी सभ्यता को ही को नष्ट करने वाली कोई अदृश्य शक्ति आगे बढ़ रही हो। अब इसे भय कहे या लोगो की जागरूकता कोई भी किसी तरह का खतरा मोल लेने के मूड में नही दिखता है। शायद यही कारण है कि लोग गांवो में बाहर से आने वाले लोगो पर स्वयं ही पैनी नजर रखे हुए है।

भोजपुर जिला परिषद अध्यक्ष के पति को जान मारने की धमकी

- Advertisment -
aman singh
sambhavna

Most Popular

Don`t copy text!