Corruption of NGO in Shahpur: भोजपुर जिले के शाहपुर नगर पंचायत में कार्यरत मुजफ्फरपुर की सफाई एनजीओ प्रताप सेवा संकल्प गोविंद फुलकान के द्वारा कार्य में लापरवाही के बावजूद बिना किसी सफाई रिपोर्ट और सत्यापन के नपं द्वारा मोटी राशि का भुगतान संदेह के दायरे में।
- हाइलाइट : Corruption of NGO in Shahpur
- मिलीभगत से कूड़ा उठाव में लिखी गई है घोटाले की पटकथा
- सफाई एनजीओ के ‘भ्रष्टाचार’ की जांच हो- पूर्व उपमुख्य पार्षद
- डोर-टू-डोर कूड़ा उठाव का दावा हवा हवाई साबित हो रहा है
Corruption of NGO in Shahpur आरा: शाहपुर नगर पंचायत में कार्यरत मुजफ्फरपुर की सफाई एनजीओ प्रताप सेवा संकल्प गोविंद फुलकान अपने प्राथमिक उद्देश्यों को पूरा करने में विफल होती दिखाई दे रही है। हर माह 11 लाख 87 हजार से ज्यादा की राशि भुगतान के बावजूद डोर-टू-डोर कूड़ा उठाव का दावा हवा हवाई साबित हो रहा है। साफ-सफाई को लेकर शाहपुर नगर पंचायत द्वारा एनजीओ के चयन का उद्देश्य घर-घर जाकर कूड़े का संग्रहण करना और नगर में स्वच्छता को बढ़ावा देना था, किंतु वास्तविकता इसके विपरीत है।
शाहपुर नगर पंचायत के कई क्षेत्रों में कूड़े के ढेर लगे हुए हैं, जो न केवल वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी कारण बन रहे हैं। नगर पंचायत से किए गए एकरारनामा के अनुसार, हर घर से नियमित रूप से कूड़ा का उठाव किया जाना चाहिए था, परंतु स्थलीय निरीक्षण से यह स्पष्ट होता है कि कूड़ा उठाने का कार्य नियमित नहीं हो रहा है। नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों की शिकायतें इस बात को और मजबूती देती हैं कि यह शाहपुर नगर में कार्यरत सफाई एनजीओ केवल एक दिखावा बनकर रह गई है।
गंदे माहौल में संचालित हो रहा है शाहपुर नपं का स्वच्छता अभियान – गुप्तेश्वर
पूर्व उपमुख्य पार्षद गुप्तेश्वर शाह का कहना है कि लोगों की शिकायत के बावजूद इस गंभीर मसले पर नगर प्रशासन की चुप्पी तथा एनजीओ की उदासीनता इस बात के साफ संकेत दे रहे हैं कि नगर में स्वच्छता अभियान पर्दे के पीछे से काफी गंदे माहौल में संचालित हो रहा है। नगर में स्वच्छता अभियान को संचालित करने के लिए प्रतिमाह 11 लाख 87 हजार से ज्यादा रुपए का भुगतान नगर पंचायत से की जा रही है। इस भारी-भरकम राशि से डोर टू डोर कूड़ा का उठाव के अलावा नालियों से शिल्ट की निकासी तथा गलियों में झाड़ू देने सहित अन्य कार्यों को लेकर एकरारनामा में साफ निर्देश है। इसके बावजूद साफ सफाई दिखावा बनकर रह गई है। सरकार की छवि खराब कर रही ऐसे एनजीओ को तुरंत ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिये।
संदेह के दायरे में ओहदेदारों की भूमिका: मुन्ना पाण्डेय
समाजसेवी मुन्ना पांडेय ने कहा की सफाई एनजीओ आम जनता के साथ छल और सरकार की छवि खराब कर रही हैं। सफाई के नाम पर निकलने वाली मोटी रकम को मिली भगत कर पचाया जाना, नगर की जनता और सरकार के साथ धोखा हो रहा है। सफाई के नाम पर निकल रही राशि को हड़पने में नगर पंचायत के ओहदेदारों की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। उधर, आमजन सफाई के लाभ से वंचित होकर गंदे माहौल में रहने जीने को मजबूर है। डोर-टू-डोर कूड़ा उठाव में सफाई एनजीओ किस कदर खेल कर रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सफाई एनजीओ के द्वारा नगर के सभी 11 वार्ड के कितने घरों से कूड़ा लिया जाता है। इसका कोई रिपोर्ट तैयार नहीं होता और ना ही सत्यापन होता है। आखिर राशि का भुगतान एनजीओ को किस आधार पर किया जा रहा है ?