आरा। संगीत व्याख्यान व सरोद वादन के साथ चार दिवसीय आयोजन संपन्न होने पर डॉ विधि नागर के अनुसार लॉर्ड मैकाले ने कहा था किसी भी राष्ट्र कों बर्बाद करने के लिए उसकी संस्कृति पर चोट करना चाहिये। पुरानी शिक्षा नीति में कला और संस्कृति को खास महत्व नहीं दिया गया। नई शिक्षा नीति में संगीत के स्वर्णिम युग की परिकल्पना हुई है। उक्त बातें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के नृत्य विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष असिस्टेंट प्रोफेसर (डॉ.) विधि नागर ने कहीं। वे शनिवार को आरा शहर के एचडी जैन महाविद्यालय के प्रदर्श कला विभाग की पहली वर्षगांठ पर आयोजित चार दिवसीय ऑनलाइन कार्यक्रम के समापन सत्र में बोल रही थी।
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नई शिक्षा नीति रोजगार परक और कारगर-डाॅ.विधि नागर
डॉ. विधि नागर ने कहा कि भारत की पुरानी शिक्षा नीति लॉर्ड मैकाले ने बनाया था। हमारी संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने का प्रयास किया गया। नई शिक्षा नीति एक बहुत बड़ा परिवर्तन हैं जिसमें संगीत अतिरिक्त से अनिवार्य विषय हों गया। नई शिक्षा नीति रोजगार परक और कारगर है।
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कार्यक्रम में जेडी वीमेंस कॉलेज के संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) रीता दास ने सरोद वादन में राग मारवा का आलाप, झपताल में लयबद्ध गत तथा राग चारूकेशी में द्रुत गत व झाला सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। सरोद के मधुर स्वर तथा तारो पर अंगुलियों की तैयारी से लोग खासा प्रभावित हुए।
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कार्यक्रम के मंगलाचारन में जैन महाविद्यालय गान की प्रस्तुति हुई। प्रधानाचार्य डॉ. शैलेंद्र कुमार ओझा ने कहा कि संगीत में भावों कों अभिव्यक्त करने की अद्भुत क्षमता है। कला, साहित्य व संगीत मनुष्य को सभ्य बनाता है। संचालन व धन्यवाद ज्ञापन कथक गुरू बक्शी विकास ने की।