आरा जैन महाविद्यालय की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि काफी समृद्ध रही-माथूर
आरा। एचडी जैन कॉलेज आरा के प्रदर्श कला विभाग की ओर से चार दिवसीय ऑनलाइन कार्यक्रम ‘वार्ता-व्याख्यान- प्रदर्शन’ का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के पहले दिन प्रख्यात साहित्यकार रंजीत बहादुर माथुर ने वार्ता की कड़ी में “इतिहास के आईने में जैन महाविद्यालय की सांस्कृतिक गतिविधियां” विषय पर चर्चा करते हुऐ कहा कि जैन महाविद्यालय आरा की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि काफी समृद्ध रही हैं। पृथ्वी थिएटर, बॉम्बे के डायरेक्टर पृथ्वी राज कपूर भी थिएटर के सभी कलाकरों के साथ महाविद्यालय प्रांगण में सम्मानित किये गये।
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हिन्दी के आचार्य रामेश्वर नाथ तिवारी ने किया था स्वागत। जैन महाविद्यालय के ललित कला परिषद् ने अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व संगीत सम्मेलनों की मेजबानी की। तत्कालीन प्रधानाचार्य विमान बिहारी मजूमदार ने विद्यार्थीयों में साहित्य व संगीत के प्रति अभिरुचि जगाने के लिए कई आयोजनो का निरंतर संचालन किया करते थे। मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन, बेधड़क बनारसी, छपरा कॉलेज के प्राचार्य मनोरंजन प्रसाद, गाजीपुर क़े मशहूर कवि चंद्रशेखर पाठक जैसे शीर्ष के साहित्यकार महाविद्यालय में शिरकत कर मान बढ़ाया।
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वहीं महाविद्यालय में आयोजित संगीत सम्मेलन में ध्रुवपद के सुविख्यात कलाकार डागर बंधु, पंडित जसराज, बनारस घराने क़े सुविख्यात कथक नर्तक गोपी कृष्ण, नृत्यांगना सितारा देवी, भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां लोक गायिका विंध्यवासिनी देवी जैसे महान शख्शियत ने अपने स्वर लय ताल से महाविद्यालय के सांस्कृतिक स्तम्भ को खड़ा किया हैं। 1950 के दशक में जैन महाविद्यालय आरा ने कई ऐतिहासिक आयोजन किये। इन आयोजनों में प्रख्यात पखावज वादक जमीरा के राजा बाबू ललन जी के नाम से विख्यात शत्रुंजय प्रसाद सिंह व साहित्यिक आयोजनों में हिन्दी के आचार्य विश्वनाथ सिंह, सीताराम प्रभास, शिव बालक राय व अन्य की बड़ी भूमिका होती थी।
वहीं श्री माथुर ने कहा कि एचडी जैन कॉलेज आरा द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित पत्रिका ‘पाटल’ काफी मशहूर हुई। वार्ता में श्री माथुर ने कहा कि एक लंबे अंतराल के बाद प्रधानाचार्य डॉ. शैलेंद्र कुमार ओझा जी के निर्देशन में व ख्यातिप्राप्त कथक गुरू बक्शी विकास के नेतृत्व में पुनः महाविद्यालय में राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय कलाकारों क़े कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है एवं प्रदर्श कला विभाग का संचालन हो रहा है। यह सुखद अनुभूति हैं। महाविद्यालय पुरानी गरिमा को पुनः स्थापित करने की ओर अग्रसर है।
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इस वार्ता कार्यक्रम में प्रोफेसर अहमद मसूद, बक्शी विकास, सोमेंद्र माथुर, डॉ. प्रीती रंजन, डॉ. प्रज्ञा कुमारी समेत कई शिक्षक, छात्र व छात्राएं शामिल हुए। संचालक बक्शी विकास ने बताया कि प्रदर्श कला विभाग के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में चार दिवसीय कार्यक्रम वार्ता-व्याख्यान-प्रदर्शन का आयोजन किया गया है। इसके समापन सत्र में अंतर्राष्ट्रीय कलकारा जेडी वीमेंस कॉलेज के संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रीता दास सरोद वादन प्रस्तुत करेंगी। वहीं अंतर्राष्ट्रीय कथक नृत्यांगना बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के नृत्य विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. विधि नागर नई शिक्षा नीति में संगीत के भविष्य पर व्याख्यान प्रस्तुत करेंगी।