Sunday, April 13, 2025
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आरा: तनिष्क लूट कांड में देश के सबसे बड़े सोना लूट के मास्टर माइंड की संलिप्तता

Arrah Gold Robbery Mastermind: आरा तनिष्क शोरूम लूट कांड में देश के सोना लूट के सबसे बड़े मास्टर माइंड कहे जाने वाले सुबोध सिंह की संलिप्तता सामने आ रही है।

Arrah Gold Robbery Mastermind: आरा तनिष्क शोरूम लूट कांड में देश के सोना लूट के सबसे बड़े मास्टर माइंड कहे जाने वाले सुबोध सिंह की संलिप्तता सामने आ रही है।

  • हाइलाइट्स: Arrah Gold Robbery Mastermind
    • रिमांड के दौरान चंदन उर्फ प्रिंस से पुलिस की पूछताछ में मिले संकेत
    • चंदन बोला: अपराधियों को हायर करने के लिए सुबोध ने दिया था तीस लाख का पैकेज
    • पूछताछ के बाद जेल भेजे गए शेरू और चंदन सहित रिमांड पर लिए गए सभी आठ अपराधी
    • शेरू और चंदन को पूछताछ के लिए शनिवार को पुलिस ने लिया था रिमांड पर

Arrah Gold Robbery Mastermind आरा: तनिष्क शोरूम लूट कांड में देश के सोना लूट के सबसे बड़े मास्टर माइंड कहे जाने वाले सुबोध सिंह की संलिप्तता सामने आ रही है। रिमांड पर लिये गये वैशाली निवासी चंदन कुमार उर्फ प्रिंस से पूछताछ में पुलिस को इसके संकेत मिले हैं। चंदन उर्फ प्रिंस के अनुसार जेल में बंद सुबोध सिंह द्वारा उसे लूट कांड के लिए अपराधियों को जुटाने का जिम्मा दिया गया था। उसके लिए उसे सुबोध सिंह की ओर से तीस लाख का पैकेज दिया गया था।

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इधर, रिमांड पर लिए गए शेरू सिंह, चंदन उर्फ प्रिंस, सूरज मंडल और गौतम सहित आठों अपराधियों को बुधवार को जेल भेज दिया गया। उससे पहले देर शाम तक एसटीएफ की टीम शेरू और चंदन से पूछताछ कर रही थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार पूछताछ में चंदन कुमार उर्फ प्रिंस ने बताया कि तनिष्क लूट कांड का मुख्य मास्टर माइंड अररिया निवासी चुनमुन झा था। हालांकि उसने सुबोध सिंह के कहने पर तनिष्क शोरूम लूट के लिए अपराधियों को हायर किया था। उसके लिए उसे सुबोध सिंह द्वारा तीस लाख का पैकेज दिया गया था। चंदन कुमार उर्फ प्रिंस के अनुसार वह जेल में रहने के दौरान सुबोध सिंह से संपर्क में आया था।

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बता दें कि दस मार्च को लूट के बाद मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार सारण निवासी कुणाल कुमार और विशाल कुमार द्वारा पूछताछ में वैशाली के मझौली गांव निवासी चंदन कुमार उर्फ प्रिंस के इशारे पर लूट की घटना को अंजाम देने की बात स्वीकार की गयी थी। दोनों ने बताया था कि पश्चिम बंगाल के जेल में बंद चंदन कुमार उर्फ प्रिंस के कहने पर दोनों लूट करने आये थे। बाद में पुलिस की अनुसंधान में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जेल में बंद चंदन कुमार उर्फ प्रिंस और शेरू का नाम आया था।

एडीजी कुंदन कृष्णन के अनुसार दोनों ने जेल से भी लूट की साजिश रची थी। पुरुलिया जेल में दोनों के पास से कुछ डिवाइस मिले थे। उससे भी दोनों के लूट कांड में शामिल होने के सबूत मिले थे। उस आधार पर दोनों को केस में रिमांड किया गया था। प्रोडक्शन वारंट पर आरा कोर्ट लाये जाने के बाद दोनों को पिछले शनिवार को पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया था। दोनों के बयान के क्रॉस वेरिफिकेशन एवं पूरा सच जानने के लिए सूरज मंडल सहित छह अन्य अपराधियों को भी रिमांड पर लिया गया था।

चंदन बोला: झूठे मुकदमे में जेल जाने के पैसे के लिए अपराध की दुनिया में आया
तनिष्क शोरूम से दस करोड़ की लूट कांड का मास्टर माइंड माने जाने वाला चंदन कुमार उर्फ प्रिंस पढ़ाई में भी अव्वल है। वह अपने को इंजीनियर बता रहा है। उसने बताया की पंजाब की यूनिवर्सिटी से बीटेक कर रखी है। साइबर तकनीकी का छह माह का कोर्स भी कर रहा था। उसी दौरान उसे एक झूठे मुकदमे में जेल भेज दिया गया। उसी दौरान उसकी सुबोध सिंह सहित कुछ अन्य अपराधियों से मुलाकात हुई और पैसे कमाने के लिए वह अपराध की दुनिया में आ गया। पूछताछ में उसने शेरू सिंह से अच्छे संबंध नहीं होने की बात कही है।

सोना लूट का सबसे बड़ा नाम सुबोध, सुनियोजित तरीके से घटना को देता है अंजाम
नालंदा निवासी सुबोध सिंह सोना लूट का सूबे सहित देश का सबसे बड़ा मास्टर माइंड और गैंगस्टर बताया जाता है। पुलिस सूत्रों के अनुसार उसके खिलाफ बिहार, ओड़िशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में मामले दर्ज हैं।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुबोध सिंह की ओर से “प्रत्येक डकैती के लिए तीन टीमें गठित की जाती है। पहली टीम अपराध करती है, दूसरी लूट का माल ले जाती है, जबकि तीसरी टीम नेपाल सहित अन्य जगहों पर सोना बेचने जाती है। उसके द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि गिरोह का कोई भी सदस्य डकैती से पहले एक-दूसरे को न जानता हो और उन्हें सौंपे गए विशिष्ट कार्य के अलावा उन्हें कुछ भी पता नही हो।

उत्तराखंड के देहरादून में सोना लूट के बाद पुलिस की जांच में यह बात आयी थी। तब बताया गया था कि सुबोध सिंह के गिरोह द्वारा डकैती के लिए बिहार के वैशाली जिले में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया था । “वहां से लुटेरों को कार्य आवंटित किए जाते थे। हथियार, नकदी, वाहन, कपड़े और सिम कार्ड से संबंधित जानकारी उनके साथ साझा की जाती थी।

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