Wednesday, May 14, 2025
No menu items!
HomeNewsबिहारएगो खाता है और ग्यारह गो गिनाता है: शाहपुर बाढ़ लंगर का...

एगो खाता है और ग्यारह गो गिनाता है: शाहपुर बाढ़ लंगर का जाने सच

बाढ़ आपदा के समय में प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुँचाने के लिए "बाढ़ लंगर" एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें जरूरतमंदों को भोजन और अन्य सहायता प्रदान की जाती है।

Shahpur flood Langar: शाहपुर अंचल में बाढ़ के दौरान चलाए गए सामुदायिक रसोई में भारी अनियमितता की जानकारी सामने आई है, लंगर में एगो खाता है और ग्यारह गो गिनाता है।

  • हाइलाइट : Shahpur flood Langar-रिपोर्ट:दिलीप ओझा
    • बाढ़ में खोले गए सामुदायिक रसोई में भारी अनियमितता
    • भाऊचर भुगतान से पूर्व उच्च स्तरीय जांच की हो रही मांग

आरा/शाहपुर: बाढ़ प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जो न केवल मानव जीवन, बल्कि सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती है। इस आपदा के समय में प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुँचाने के लिए “बाढ़ लंगर” एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें जरूरतमंदों को भोजन और अन्य सहायता प्रदान की जाती है। लेकिन कुछ लोगों के लिए आपदा अवसर बन जाता है। कुछ ऐसा ही मामला शाहपुर बाढ़ पीड़ितों के लिए चलाये जा रहे लंगर का है।

लंगर में एगो खाता है और ग्यारह गो गिनाता है। जोड़ घटाव एवं सेटिंग गेटिंग की गणित शाहपुर आंचल में बाढ़ के दौरान चलाए गए सामुदायिक रसोई में देखने को मिल रही है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आधा से ज्यादा सामुदायिक रसोई बैक डेटिंग कर खुले गए हैं। जिसमें भारी अनियमितता बरती गई।

Mathematics Coching shahpur
Bharat sir
Mathematics Coching shahpur
Bharat sir
previous arrow
next arrow

इधर, सामुदायिक रसोई में 200 लोग खाते हैं तो 500 से अधिक का नाम लिखा जाता है और उसी के आधार पर बिल भी बनाया जा रहा है। अंचल कार्यालय एवं वेंडर के सेटिंग गेटिंग के कारण पेटी कांटेक्ट पर सभी सामुदायिक रसोई चलने वाले जनप्रतिनिधि भी असमंजस में है कि आखिरकार उनका बिल कैसे मिलेगा। परंतु उन्हें अधिकारियों द्वारा राशि दिलाने का भरोसा दिलाया जा रहा है। अधिकांश रसोई चलाने वाले जनप्रतिनिधि इसलिए चुप है कि मुंह खोलने पर पैसा फस सकता है।

इधर, अंचल कार्यालय द्वारा वेंडर को करीब 10 लख रुपये का चेक भुगतान किया गया है। लेकिन जनप्रतिनिधियों द्वारा जो रसोई चलाई जा रही हैं या फिर चलाई गई थी। उन्हें कुछ-कुछ रुपए देकर अभी शांत रहने और जल्द ही पूरा भुगतान की सलाह दी गई है। एक जनप्रतिनिधि ने बताया कि पिछले 12 दिन से रसोई चला रहे हैं। लेकिन उन्हें वेंडर द्वारा मात्र एक लाख रुपये ही दिए गए हैं।

बताया जा रहा है कि शाहपुर आंचल में बाढ़ के दौरान 13 सामुदायिक रसोई चलाए गए थे। जिसमें एक जवइनिया रसोई शुरू किया गया था। जिसके दो दिन बाद चार सामुदायिक रसोई अन्य प्रभावित क्षेत्रों में शुरू किए गए थे। इसके बाद आठ सामुदायिक रसोई बाद में खोले गए थे। सभी सामुदायिक रसोई एक से तीन दिन तक बैंक डेटिंग कर चलाये गए थे।

शाहपुर के भाजपा नेता उमेश चंद्र पांडे ने इसकी जांच उच्च स्तरीय जांच कमिटी के माध्यम से कराने के बाद ही पूरा भुगतान करने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि सूचना मिली रही है कि वेंडर व अंचल कार्यालय में 40 प्रतिशत कमीशन पर सेटिंग किया गया है।

वही आरटीआई एक्टिविस्ट व पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता अभय कुमार पांडे ने भी इस मामले को डीएम द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच कराने की मांग की गई है। अधिवक्ता ने कहा कि यदि जांच नहीं होती हैं तो आरटीआई के माध्यम से इसकी मांग कर आगे की करवाई की जाएगी। शाहपुर अंचल के सीओ से कार्यालय व दूरभाष पर संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन बताया कि सीओ मैडम अवकाश पर हैं।

- Advertisment -
Bharat Lal
Bharat Lal

Most Popular