Tuesday, March 4, 2025
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अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के हुए 82 साल, शहीद हुए थे भोजपुर के रणबांकुरे

अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन को 82 साल हो गए है। 15 सितंबर 1942 का दिन भोजपुर जिले के लसाढ़ी गांव के लिए अविस्मरणीय है। लसाढ़ी गांव स्थित शहीद स्मारक आजादी के दीवानों की कुर्बानी का दस्ता सुना रहा है।

Lasadhi warriors: अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन को 82 साल हो गए है। 15 सितंबर 1942 का दिन भोजपुर जिले के लसाढ़ी गांव के लिए अविस्मरणीय है। लसाढ़ी गांव स्थित शहीद स्मारक आजादी के दीवानों की कुर्बानी का दस्ता सुना रहा है।

  • हाइलाइट : Lasadhi warriors
    • लसाढ़ी गांव स्थित शहीद स्मारक पर आयोजित हुआ राजकीय शहीद सम्मान समारोह

Lasadhi warriors आरा/अगिआंव: अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन को 82 साल हो गए है। 15 सितंबर 1942 का दिन भोजपुर जिले के लसाढ़ी गांव के लिए अविस्मरणीय है। लसाढ़ी गांव स्थित शहीद स्मारक पर आयोजित राजकीय शहीद सम्मान समारोह में आरा सांसद सुदामा प्रसाद भोजपुर डीएम तनय सुल्तानिया, एएसपी परिचय कुमार, एसडीओ विकास कुमार, पूर्व एमएलसी लालदास राय, पूर्व विधायक बिजेंद्र यादव, पूर्व विधायक अरुण यादव, अगिआंव विधायक शिवप्रकाश रंजन, हाकिम प्रसाद, प्रमुख मुकेश यादव, जिला पार्षद फूलवंती देवी, नारायणपुर मुखिया भूपेंद्र यादव सहित अन्य ने शहीदों की आदमकद प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद संयुक्त रूप से दीप जला कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

किसान-मजदूर और नागरिकों की समस्याओं का समाधान ही शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी: सांसद

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राजकीय समारोह सभा को संबोधित करते हुए सांसद ने कहा कि किसान-मजदूरों सहित देश के हरेक नागरिक की गाढ़ी कमाई अंग्रेज लूट कर ले जाते थे। बावजूद इसके अंग्रेज भारतीय को अधिकार नहीं देते थे। इससे लोगों में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश था। इसके खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की लहर पूरे देश में शुरू हो गई। 15 सितंबर 1942 को अंग्रेजों ने लसाढ़ी गांव पर धावा बोल दिया। यहां के स्वतंत्रता सेनानियों ने पीठ दिखाने की बजाय पारंपरिक हथियारों से गोरे सिपाहियों का सामना किया और लड़ते हुए महिला सहित 12 सेनानियों ने अपने प्राणों को आहुति दे शहीदों के इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया। लेकिन विडंबना है कि अब तक किसान-मजदूरों की समस्या ज्यो-की-त्यों बनी है । किसानों को खेती के लिए समय पर पानी नहीं मिल रहा। मजदूरों को मेहनत के हिसाब से दैनिक मजदूरी नहीं मिल रही। बटाईदारों को किसान का दर्जा नंही दिया गया। इससे शहीदों के सपने अधूरे रह गये हैं। राजकीय समारोह में बिहार सरकार के किसी मंत्री के शामिल नहीं होने को लेकर लोगों के बीच चर्चा का विषय रहा।

सरकार लोगों की समस्याओं के निदान को प्रयासरत :

डीएम भोजपुर डीएम तनय सुल्तानिया ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी, जब उनकी सोच व कार्य को हम सभी अच्छे नागरिक का परिचय देते हुए अपने दैनिक जीवन में उतार समाज को सार्थक दिशा दें और गांव-समाज, राज्य व देश के उत्थान में योगदान दें। खासकर आज की युवा पीढ़ी को आजादी के मूल्यों को समझते हुए शिक्षा को अपना कर समाज व देश के हित में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जनता तक प्रशासन को पहुंचने व उनकी समस्याओं के निदान के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। संबंधित अधिकारी को डीएम की ओर से यथाशीघ्र रोड निर्माण व सोलर स्ट्रीट लाइट का काम पूर्ण करने को निर्देशित किया गया है। डीएम ने जल जीवन हरियाली के तहत शहीद स्मारक के पास पौधरोपण भी किया।

बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में जोड़ा जाए शहीदों की जीवनी

राजकीय समारोह कार्यक्रम की अध्यक्षता शहीद स्मारक समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र यादव ने की और संचालन अगिआंव बीडीओ मुकेश कुमार ने किया। बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में जोड़ा जाए शहीदों की जीवनी चासी गांव के रहने वाले शहीद रामानुज पांडे के पौत्र राम विनय पांडे ने आगत अतिथियों के बीच लसाढ़ी गांव में शहीद हुए 12 सेनानियों के नाम व उनके जीवनी को पाठ्य पुस्तक में जोड़ने की मांग की। इससे बच्चे अपने पूर्वजों के जीवन व उनके बलिदान को जान कर अपने जीवन को सार्थक दिशा दे सकेंगे।

चाक-चौबंद रही सुरक्षा व्यवस्था

राजकीय शहीद सम्मान समारोह को ले शहीद स्मारक के आस-पास चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। इसकी कमान अगिआंव सर्किल इंस्पेक्टर अनिल कुमार संभाल रहे थे । इस दौरान पुलिस लाइन से महिला-पुरुष अतरिक्त बल को लगाया गया था। साथ ही गड़हनी, पवना, नारायणपुर थाना पुलिस दल-बल के साथ मौजूद रही। साथ ही अगिआंव चिकित्सा पदाधिकारी की देखरेख में दो मेडिकल टीम लगाई गई थी और किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए जीवनरक्षक एम्बुलेंस तैनात की गई थी।

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