Tuesday, October 22, 2024
No menu items!
HomeबिहारBhojpurभोजपुरी संस्कृति व समाज में प्रभु श्रीराम

भोजपुरी संस्कृति व समाज में प्रभु श्रीराम

Bhojpuri culture – Shri Ram: रामकथा के लगभग सभी मुख्य पात्रों का यहाँ भोजपुरी लोकसंस्कृति में विलय हो गया है। ये सारे पात्र आलौकिक न होकर लौकिक हो गए हैं। विशेष का सामान्यीकरण हो गया है और भोजपुरी संस्कृति ने इसे अपने रक्त में मिला लिया है।

हाइलाइट :-

khabreapki.com - khabre apki
khabreapki.com

“दहेज-दहेज जनि करऽ राजा दशरथ, दहेज नेटुआ के नाच ए।

khabreapki.com - khabre apki
khabreapki.com

पुवते पतोहिए राजा घर भरि जइहें धनि राजा लगन तोहार ए।।”

Bhojpuri culture – Shri Ram खबरे आपकी प्रभु श्रीराम की पावन कथा पूरे विश्व में फैली हुई है, यह कथा वैश्विक संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। लोक और शास्त्र दोनों का प्रधान उपजीव्य रामकथा रही है। भोजपुरी संस्कृति और समाज भी इससे अछूता नहीं है, अपितु भोजपुरी लोकसंस्कृति इससे बहुत गहराई तक प्रभावित है।

रामकथा के लगभग सभी मुख्य पात्रों का यहाँ भोजपुरी लोकसंस्कृति में विलय हो गया है। ये सारे पात्र आलौकिक न होकर लौकिक हो गए हैं। विशेष का सामान्यीकरण हो गया है और भोजपुरी संस्कृति ने इसे अपने रक्त में मिला लिया है।

भोजपुरी लोक संस्कृति में कुल 16 संस्कारों को मान्यता प्राप्त है। इन सोलहों संस्कारों में गीत गाये जाते हैं जिनका प्रमुख आधार श्रीरामकथा है।

सोहरगीत में एक प्रसंग है कि राजा दशरथ को एक धगरिन (बच्चा पैदा होने पर दाई का काम करनेवाली) ‘निरबंसिया’ कहती है, यह बात राजा के कानों तक चली जाती है। वे उदास हो जाते हैं। महारानी कौशल्या को ठेस लगती है, वह पुत्र के लिए व्रत करती हैं। चार पुत्र प्राप्त होते हैं। वह धगरिन नेग न्योछावर मांगने आती है तो राजा दशरथ उसे कुछ भी देने से मना कर देते हैं। तब रानी कौशल्या कहती है कि अगर इसने ऐसा नहीं कहा होता तो आपको ठेस नहीं लगती और मैं व्रत नहीं करती। तब पुत्र कैसे प्राप्त होते! इसे पूरा अन्न-धन दिया जाएगा।

” ओबरी से बोले ली कोसिला रानी, सुनी राजा दसरथ हो।

ए राजा सोने के तिलइया गढ़ाई हसुलिया पहिरावहु हो।।”

एक और प्रसंग है, दहेज के अभाव में राजा दशरथ ने बरात लौटा दी है, कौशल्या को पता चलता है तो वह प्रतिकार करती हुई कहती हैं-

“दहेज-दहेज जनि करऽ राजा दशरथ, दहेज नेटुआ के नाच ए।

पुवते पतोहिए राजा घर भरि जइहें धनि राजा लगन तोहार ए।।”

भोजपुरी संस्कृति राम-सीता के प्रेम भरे नोक-झोक बीच उत्पन्न स्थिति पर पूरा लहालोट हुई है। भोजपुरिया संस्कृति में पति-पत्नी के बीच कितनी भी प्रेम भरी खटास पैदा हो जाए, वे एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकते हैं। आज भी भोजपुरी संस्कृति में पति-पत्नी को राम-सीता ही कहा जाता है।

राम के व्यवहार से रुठकर सीता मायके चली गयी हैं। राम मनाने जाते हैं, पर वह नहीं मानती हैं। तब अंत में गुरु वसिष्ठ जाते हैं, तब वह गुरु-आज्ञा को नहीं टाल पाती और चली आती हैं।

आज भी भोजपुरिया संस्कृति में कुलगरु को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है।

इस तरह के अनेक प्रसंग हैं जहाँ राम, सीता, लक्ष्मण, कौशल्या, दशरथ, कैकेयी आदि पात्र भोजपुरी-संस्कृति और समाज के अनुकूल आचरण करते दिखते हैं। लेखक प्रो.(डा.) शैलेंद्र कुमार ओझा, गौतम नगर, शाहपुर स्थित श्रीत्रिदंडी देव राजकीय डिग्री महाविद्यालय के प्राचार्य है।

RAVI KUMAR
RAVI KUMAR
बिहार के भोजपुर जिला निवासी रवि कुमार एक भारतीय पत्रकार है एवं न्यूज पोर्टल खबरे आपकी के प्रमुख लोगों में से एक है।
- Advertisment -
Dpawali-2014
Bijay dipawali
Ranglal - dipawali
Dpawali-2014
Bijay dipawali
Ranglal - dipawali

Most Popular

Don`t copy text!