Sunday, December 22, 2024
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महापर्व छठ 2022: देव भाव के आगे मिट जाता है आपसी भेदभाव

Mahaparv Chhath 2022 Special: सामाजिक समरसता का अनूठा उदाहरण है महापर्व छठ

खबरे आपकी: (कृष्णा कुमार) महापर्व छठ के मौके पर एक ही घाट पर ब्राह्मण एवं दलित साथ बैठकर सूर्य उपासना करते हो। यह बात अपने आप में सामाजिक समरसता का अन्यतम उदाहरण है। लोक आस्था का पर्व छठ की विशेषता रही है, कि इसमें समाज के हर तबके के लोगों की भागीदारी होती है । भगवान भाष्कर सभी पर अपनी ऊर्जा समान रूप से बिखेरते हुए ऊंच-नीच का भेद नहीं करते है। छठ के मौके पर लोगों के बीच सामाजिक समरसता अद्भुत नजारा प्रायः प्रत्येक नदी, नहर, पोखर, तालाब आदि पर देखने को मिलता है।

इस पर्व में अस्ताचलगामी सूर्य उपासना की परंपरा रही है। निस्तेज सूर्य संभवतः दबे-कुचले लोगों को मान-सम्मान देने तथा उन्हें साथ लेकर चलने की परंपरा पर अपनी मुहर लगाता है। छुआछूत की कुंठित भावना से ऊपर उठकर लोग एक साथ मिल बैठकर व्रत का पालन करते है। कुंठित मानसिकता को त्यागकर सूर्योपासना में सभी वर्गों का सहयोग होता है। वास्तव में छठ का महापर्व व्यापकता के लिए आता है। स्वच्छता तथा पवित्रता इस पर्व की बड़ी खासियत रही है।

Mahaparv Chhath 2022 Special: व्रतधारियों में अपने आराध्य के प्रति असीम श्रद्धा

यह पर्व व्रतधारियों में अपने आराध्य के प्रति असीम श्रद्धा प्रदान करता है। सभी मिलकर गली-सड़कों एवं नालियों की साफ सफाई करते है। कूड़े-कचरे के नाम पर एक तिनका भी नजर नहीं आता। हर कोई बिना किसी भेदभाव के एक-दूसरे के प्रति मदद करने के लिए आतुर रहते है। पर्व में सामाजिक व आर्थिक दीवारें ढहती नजर आती है। वही उदीयमान सूर्य की उपासना सुख-समृद्धि, आरोग्य तथा विकास का प्रतीक माना जाता है, जो मानव मन में नवीन ऊर्जा का संचार करता है। व्रती शारीरिक व मानसिक शुद्धि को प्राप्त होते है। जाति रहित परंपरा ही छठ की बढ़ती लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है।

जल संरक्षण की सीख देता है छठ
Mahaparv Chhath 2022 Special: महापर्व छठ लोगों को जल संरक्षण व उसकी अनिवार्यता की सीख देता है। यह महापर्व वर्षों पूर्व से जल के संरक्षण की प्रेरणा देता है। यही कारण है कि छठ पर्व के मौके पर व्रतवारी नदी, नहर, तालाब, पोखर, कुआं के पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य को अध्य अर्पित करते है।

पर्व में ऊर्जा का महत्व
भगवान सूर्य अनवरत रुप से उर्जा प्रदान करने वाले एकमात्र सोत है। पेड़-पौधों तथा जीव-जंतुओं के लिए इसकी अनिवार्यता है। छठ महापर्व उर्जा के इस विशाल स्रोत को नमस्कार अर्ध्य देना इसकी महत्ता एवं अनिवार्यता को स्वीकारने की सीख देता है।

पेड़-पौधों के रोपण व संरक्षण पर बल
छठ पर्व में आस्था को प्रकट करने में कृषि तथा प्राकृतिक संरक्षण को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस पर्व में पूजा की सामग्री के रूप में नारियल, सेव, घाघर, नींबू, हल्दी, शकरकंद, नारंगी, सरीफा, आंवला, अन्नानास, केला, अंकुरित चना, चावल, गेहूं, पानी फल, कद्दू तथा कोहडा आदि मौसमी कृषि उत्पादों की उपस्थिति जरूरी मानी गई है, यही इसके संरक्षण को बल देती है। आस्था के पर्व में आम के दातून, आम की लकडी, बांस से बनी कलसूप एवं टोकरी सभी प्रकृति द्वारा प्रदत्त सामग्री से बनी हुई रहती है। यह महापर्व हमें पेड़-पौधों के रोपण तथा उनके संरक्षण की सीख देता है।

सामाजिक सामंजस्य को देता है बल छठ महापर्व आरा। सामाजिक सामंजस्य स्थापित करनेवाला त्योहार माना जाता है। छठ के अवसर पर गलियो, सड़कों एवं नालियों की साफ-सफाई मिलजुलकर करना। इसकी अभिव्यक्ति है। व्यक्ति स्वयं एक-दूसरे के सहयोग के लिए आतुर है। घाट बनाने, व्रतियों को सुविधा देने, अर्ध्य हेतू दूध बांटने, व्रतधारियों को चाय पिलाने, उनकी मदद करने में लोग तत्पर रहते है। किसी से भी मांग कर प्रसाद खाना तथा किसी को सहयोग करना इसकी सामाजिक सामंजस्य एवं सौहार्द को बल देता है।

KRISHNA KUMAR
KRISHNA KUMAR
बिहार के आरा निवासी डॉ. कृष्ण कुमार एक भारतीय पत्रकार है। डॉ. कृष्ण कुमार हिन्दी समाचार खबरें आपकी के संपादक एवं न्यूज पोर्टल वेबसाईट के प्रमुख लोगों में से एक है।
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