नया किऊल ब्रिज आज से रेल परिचालन के लिए पूरी तरह तैयार
संरक्षा और समय पालन में होगा उल्लेखनीय सुधार
पटना (डाॅ. के. कुमार)। पुराना किऊल ब्रिज रविवार से बंद हो गया है तथा इसके बदले नया किऊल ब्रिज को रेल परिचालन के लिए चालू कर दिया गया है। 08 मई को नया किऊल ब्रिज पर ट्रायल रन किया गया था, जो पूरी तरह सफल रहा। अब ट्रेनों के परिचालन के लिए पूरी तरह फिट पाते हुए नए किऊल ब्रिज पर आज 10 मई से आधिकारिक रूप से ट्रेनों का परिचालन शुरू हो गया है। इस पुल से किऊल-लखीसराय के बीच अप एवं डाउन दिशा में प्रतिदिन 150 यात्री ट्रेनें तथा मालगाड़ियों का परिचालन किया जाता है।
हालांकि 17 मई तक सभी प्रकार की रेल सेवाएं स्थगित हैं, परंतु वर्तमान में इस रेलमार्ग पर चलने वाली मालगाड़ियां और कुछ श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन नए किऊल रेल पुल से किया जाएगा। 17 मई के बाद जब भी ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ होगा, तो सभी ट्रेनों की आवाजाही नए रेल पुल से ही होगी। अब नए किऊल ब्रिज से ट्रेनों का संरक्षित परिचालन हो सकेगा साथ ही ट्रेनों की अधिकतम गतिसीमा में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अब इस पुल से ट्रेनों का परिचालन अधिकतम 110 किलोमीटर प्रतिघंटा तक की गति से किया जा सकेगा।
स्टाफ स्पेशल ऐतिहासिक पुल से गुजरने वाली अंतिम रेल सेवा बनी
आज किउल-लखीसराय ब्रिज होकर स्टाफ स्पेशल गुजरी। इस प्रकार इस ऐतिहासिक पुल से गुजरने वाली यह अंतिम रेल सेवा बनी। 100 वर्षों से भी अधिक अवधि के दौरान इस पुल से अनगिनत यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों के गुजरने तथा करोड़ों यात्रियों के जीवन का छोटा सा हिस्सा बनने के साथ यह पुल रेलवे की लंबी विकास यात्रा का साक्षी रहा है । अपनी स्मरणीय यात्रा के बाद अब यह पुल भारतीय रेल के गौरवशाली अतित का एक हिस्सा बन जाएगा।
कई महत्वपूर्ण यादों को समेटे था पुराना किऊल ब्रिज
पुराना किऊल ब्रिज अपने आप में कई महत्वपूर्ण यादों को समेटे हुए है। पूर्वी भारत को पश्चिमी भारत से जोड़ने में अपना अहम योगदान देते हुए 100 वर्ष से भी अधिक इसपर सफलतापूर्वक ट्रेनों का परिचालन होता रहा। लेकिन काफी पुराना ब्रिज हो जाने के कारण इसमें कई खामियां आ गई थीं, जिसके फलस्वरूप संरक्षा के दृष्टिकोण से ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ने लगा था। इसी का परिणाम था कि ट्रेनों का परिचालन नियंत्रित गति के साथ अत्यंत ही सावधानीपूर्वक किया जाने लगा । संरक्षा के दृष्टिकोण से बड़ी मालगाड़ियों का परिचालन स्थगित कर दिया गया था।
ENGLAND की कंपनी द्वारा किया गया अप लाइन के गर्डर का निर्माण
किऊल एवं लखीसराय स्टेशन के बीच (किमी 421/3-421/21) पुराना किऊल ब्रिज नं. 136 का स्पैन 2x9x45.7m है। इस पुल के अप लाइन के गर्डर का निर्माण THE HORSELEY Co. Ltd. TIPTON ENGLAND द्वारा किया गया था। इसी तरह डाउन लाइन के गर्डर का निर्माण DORMAN LONG & Co-Ltd. MIDDLE SBROUGH द्वारा में किया गया। विगत वर्षाें में पुल में खराबी आने के बाद मेसर्स BUILDWORTH को इस पुल के मरम्मत कार्य की जिम्मेवारी सौंपी गई।
35 क्रॉस गर्डर तथा कुछ अन्य कार्य के उपरांत अप एवं डाउन लाइन पर 20 किलोमीटर प्रतिघंटा गति से ट्रेन परिचालन के लायक कार्य पूर्ण हुआ। इसके बाद मेसर्स रावर्टसन द्वारा मरम्मत कार्य की अनुमति दिए जाने के बाद अप एवं डाउन के शेष बचे गर्डर के बदलने सहित पुल संबंधी अन्य कार्य पूरे किए गए। इसके बाद वर्ष 2016 में अप लाइन पर 30 किलोमीटर प्रतिघंटा तथा डाउन लाइन पर 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की नियंत्रित गति से ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ किया गया था।
नए पुल के चालू हो जाने से परिचालनिक समस्याएं होगी दूर
पुराने किऊल ब्रिज की खराब होती स्थिति तथा रेल परिवहन से संबंधित भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए पुराने किऊल रेल पुल के समानांतर एक नए रेल पुल का निर्माण गया। अब नए पुल के चालू हो जाने से सभी परिचालनिक समस्याएं दूर हो हो जाएंगी।
विदित हो कि कोरोना संक्रमण के दौरान भी रेलवे के इंजीनियर्स, कर्मचारियों तथा श्रमिकों के प्रयास से ही इतनी जल्दी ये महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हो पाई है। इस दौरान पूर्व मध्य रेल द्वारा सामाजिक दूरी के अनुपालन को सुनिश्चित करते हुए सभी कार्य सीमित कार्यबल द्वारा कराए गए। पुल को अंतिम रूप देने में जुड़े श्रमिकों की थर्मल स्क्रीनिंग के साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए मास्क, हैंडवाश, सेनिटाइजर जैसी सामग्रियों के साथ-साथ भोजन भी पूर्व मध्य रेल की ओर से ही उपलब्ध कराया गया। यह जानकारी पूर्व मध्य रेल हाजीपुर के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी राजेश कुमार ने दी।
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