- सिक्किम सड़क हादसे में शहीद जवानों में बामपाली गांव के प्रमोद भी शामिल
- शहीद की खबर से गांव में मातम, पैतृक गांव में पार्थिव शरीर पहुंचने का इंतजार
- भाई बोले: बचपन से ही देश प्रेम की बातें करता था प्रमोद, पूरा कर लिया अपना जीवन
Pramod of Bhojpur खबरे आपकी बिहार/आरा:सिक्किम के जेमा में शुक्रवार को सड़क हादसे में भोजपुर का जांबाज जवान प्रमोद कुमार भी शहीद हो गया।32 वर्षीय प्रमोद कुमार सिंह भोजपुर के उदवंतनगर प्रखंड के बामपाली गांव के रहने वाले रिटायर फौजी कलक्टर सिंह के पुत्र थे। उनकी शहीद होने की खबर से समूचे गांव में मातम पसर गया है। शहीद के दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ उनके घर जुटने लगी थी। हालांकि शनिवार की रात तक उनका पार्थिव शरीर उनके घर नहीं पहुंच सका था। अब रविवार की सुबह पार्थिव शरीर गांव आने की उम्मीद है। ऐसे में शनिवार को पूरे दिन लोग अपने चहेते लाल का इंतजार करते रहे।
इधर, उनके बड़े भाई अजय सिंह ने बताया कि प्रमोद सचमूच का मां भारती का बेटा था। उसने अपना सपना पूरा कर लिया। बचपन से देश प्रेम की बातें करता था। उसे सेना में जाने और देश की सेवा करने का शौक था। पिता को सेना की बर्दी में देख वह हमेशा कहा करता था कि एक दिन वह भी उसे पहनूंगा। उस सपने को उसने पूरा कर लिया। देश प्रेम के जज्बे के साथ ही वह शहीद हो गया। जानकारी के अनुसार आरा शहर से सटे बामपाली गांव निवासी प्रमोद कुमार सिंह सेना में थे। वह फिलहाल सिक्किम में तैनात थे। शुक्रवार की सुबह सेना का वाहन ड्यूटी के लिए 20 जवानों को जा रहा था। उसी बीच लाचोन से 15 किमी दूर जेमा इलाके में वाहन तीखे मोड़ के पास फिसल गहरी खाई में जा पलटी। हादसे में वाहन पर सवार प्रमोद कुमार सिंह सहित 16 जवान शहीद हो गये। जबकि चार जवानों की स्थिति गंभीर बतायी जा रही है।
Pramod of Bhojpur: टीवी देख रहे परिजनों को शाम पांच बजे मिली हादसे की खबर
जवान प्रमोद के शहीद होने की सूचना शुक्रवार कीशाम करीब 5 बजे उनके परिजनों को फोन से मिली। सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया। घर में फिलहाल जवान प्रमोद की बुढ़ी मां गुलाबझारो देवी, सेना से रिटायर पिता कलक्टर सिंह के अलावे बड़े भाई अजय सिंह और भाभी सविता देवी रहती हैं। प्रमोद की पत्नी नीरमा देवी अपने दो बच्चों के साथ देहरादून में रहती हैं। उनके दोनों बच्चों देहरादून के सैनिक स्कूल में पढ़ते हैं। बड़े भाई अजय सिंह ने बताया कि शनिवार की शाम टीवी देख रहे थे। तभी सिक्किम में हादसे में 16 जवानों के शहीद होने की सूचना मिली थी। बहुत दुःख भी हुआ था। तब उन्हें नहीं पता था कि उनका भाई भी उन शहीदों में शामिल है। उसके कुछ देर बाद सेना की ओर से हादसे की सूचना दी गयी।
2011 में दानापुर में सेना में बहाल हुये थे प्रमोद
बामपाली गांव निवासी प्रमोद कुमार सिंह चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके घर में बड़े भाई अजय सिंह, बहन बिंदू, सिंधू, पिता और माता हैं। जानकारी के अनुसार वह 2011 में दानापुर में सेना में भर्ती हुये थे। उनकी पहली पेस्टिंग अरुणाचल प्रदेश में हुई थी। प्रमोद सेना के 221 एफडी रेजीमेंट का हिस्सा थे। तब से कई जगहों पर प्रमोद की पोस्टिंग हुई। कुछ दिनों पहले वह देहरादून में भी पोस्टेड थे। तब से उनकी पत्नी अपने दोनों बच्चों के साथ देहरादून में ही रहती है।
नक्ष और नायरा से हमेशा के लिए छीना पिता का प्यार
Pramod of Bhojpur शहीद प्रमोद की शादी 2014 में बसंतपुर की रहने वाली नीरमा कुमारी के साथ हुई थी। दोनों से एक बेटा 8 वर्ष का नक्ष और छोटी बेटी 6 वर्ष की नायरा है। दोनों फिलहाल अपनी मां के साथ देहरादून में रहती हैं। पापा के शहीद होने की खबर उन्हें भी मिली है। दोनों मासूम अपनी मां नीरमा के साथ घर लौट रहे हैं। लेकिन अब हमेशा के लिये दोनों मासूमों से पापा का प्यार छीन चुका है। अब नीरमा पर दोनों बच्चों के परवरिश की जिम्मेदारी आ गई है।
साले की शादी में करीब 20 दिन पहले ही छुट्टी आये थे प्रमोद
प्रमोद सिंह करीब बीस रोज पहले ही छुट्टी पर गांव आये थे। तब दस दिन गांव पर रहे थे। बताया जा रहा है उनके साले की शादी थी। उसी में भाग लेने के लिए वह छुट्टी लेकर आये थे। भाई अजय सिंह बता रहे थे कि प्रमोद 20 दिन पहले ही तो करीब 10 दिन की छुट्टी पूरी कर ड्यूटी पर गया था। वह जब भी छुट्टी पर आता था, तब देहरादून अपने बच्चों के पास से होकर घर पर आता था। अभी एक दिन पहले फोन से उनकी बात हुई थी। तब वह मां-बाबूजी का सामाचार पूछ रहा था। सबसे बात हुई थी। अब उसके शहीद होने के बाद पुरे परिवार का बोझ अजय पर ही है। ऐसे में अंदर से रो रहे हैं, लेकिन पुरे परिवार को संभाल भी रहे हैं।
बूढी मां बार-बार पूछ रही थी बेटे का सामाचार
Pramod of Bhojpur शहीद प्रमोद सिंह का पार्थिव शरीर घर आने तक बीमार बूढी मां, पिता और भाभी को मौत की जानकारी नहीं दी गयी थी। मां गुलाबझारो को कई बीमारियां है। इसे लेकर नाते-रिश्तेदार के बहनों और मामा, बुआ को घर आने से रोक आरा किसी के डेरा, किसी को कही पर रखा गया था। ताकि मौत की खबर मां को पता न चले। हालांकि बूढी मां बार-बार सभी लोगों से अपने लाल के सामाचार पूछ रही थी। उन्हें बताया गया था कि बस दुर्घटनागस्त हे गई है।