Thursday, April 18, 2024
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लॉक डाउन के बाद पहली बार अदालतों में लौटेगी रौनक

पटना उच्च न्यायालय ने जारी किए दिशा-निर्देश

जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने फिजिकल तथा वर्चुअल कोर्ट की रूपरेखा तैयार की

जिला जज का कोर्ट, स्पेशल जज का कोर्ट तथा एडीजे वन का कोर्ट फिजिकल फॉर्म में चलेगा

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सिविल कोर्ट की अन्य अदालतें वर्चुअल मोड में चलेंगीं

घर से ही पैरवी कर सकेंगे अधिवक्ता गण

अदालत में आने से पूर्व क्या करें, क्या नही करें। गाइड लाइन जारी

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डॉ. शैलेंद्र कुमार
Holi Anand
Dr. Prabhat Prakash
Vishvaraj Hospital, Arrah
डॉ. शैलेंद्र कुमार
Holi Anand
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Vishvaraj Hospital, Arrah

आरा। लॉक डाउन के बाद पहली बार अदालतों में लौटेगी रौनक,फिजिकल कोर्ट के साथ ही वर्चुअल कोर्ट की शुरुआत करने के पटना हाईकोर्ट के निर्देश के आलोक में आरा सिविल कोर्ट में भी इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अदालतों में अधिवक्ता गण का आना शुरू हो गया है। हालांकि इनकी संख्या अभी कम है। लेकिन आने वाले दिनों में अधिवक्ता तथा आम लोगों की भीड़ की संभावना बनी रहेगी। ऐसे में पटना उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन कराने के लिए तथा व्यवहार न्यायालय को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश फूलचंद चौधरी द्वारा व्यापक तैयारियां कराई है। लोगों में व्यवहार न्यायालय के कामकाज को लेकर कोई भ्रम नही हो तथा पूरी प्रक्रिया की जानकारी हो।

सभी प्रकार के मामले ई-फाइलिंग द्वारा ही किए जाएंगे स्वीकार

इसे लेकर जिला एवं सत्र न्यायाधीश फूलचंद चौधरी ने पत्रकारों को बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश का कोर्ट, स्पेशल जज का कोर्ट तथा एक एडीजे का कोट फिजिकल फॉर्म में चलेगा। इसके अलावा शेष अदालतें वर्चुअल मोड में चलेंगे। इसमें अधिवक्ता घर से ही पैरवी कर सकेंगे सभी प्रकार के मामले ई-फाइलिंग द्वारा ही स्वीकार किए जाएंगे।

जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बताया कि न्यायालय की वर्तमान संचालन पद्धति में सभी प्रकार के मामलों को तीन श्रेणियों में बांट दिया गया है। प्रथम श्रेणी में कॉग्निजेंस के मामले हैं। यदि चार्जशीट न्यायालय में दाखिल है, तो न्यायालय संज्ञान ले सकती है। इसके अलावा फाइनल फॉर्म स्वीकार करना, कमिटमेंट के मामले, धारा 203, 204 सीआरपीसी, सुनवाई पूरी हो चुके मामले में जजमेंट, पुलिस को सेक्शन 205 तथा 156 (३) (सीआरपीसी) के तहत दिशा निर्देश जारी करने, हाई कोर्ट के निर्देश पर केस डायरी भेजना तथा अभियुक्त की रिहाई आदि प्रथम श्रेणी में आते हैं। प्रथम श्रेणी के मामले मैं अवादी तथा अधिवक्ताओं की अनुपस्थिति में भी किया जा सकता है।

जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बताया कि द्वितीय प्रकार के श्रेणी में पूर्व से फाइनल अरगुमेंट के लिए निर्धारित क्रिमिनल अपील, रिविजन के मामलों की सुनवाई तथा उनका एडमिशन एवं क्रिमिनल अपील का एडमिशन, सभी प्रकार के नए रेगुलर एवं अग्रिम जमानत याचिकाएं पूर्व से पेंडिंग अग्रिम जमानत एवं याचिकाएं शामिल हैं। उनकी सुनवाई होगी सभी प्रकार के नए आवेदन सिर्फ ई- फाइलिंग के जरिए ही स्वीकार किए जाएंगे। इसके साथ ही जिन मामलों में पर्सनल बांड पर छोड़ दिया जाता था। उसमें भी हाईकोर्ट ने नए प्रावधान किए हैं। 3 साल तक के सजा के मामले में पर्सनल बांड पर छोड़ा जाएगा। जो भी सजा का प्रावधान 3 से 7 साल के बीच हो तो उस स्थिति में कम से कम एक श्योरिटी का होना आवश्यक है। श्योरिटी का आधार एवं फोटो का होना आवश्यक है।

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अदालत में आने से पूर्व क्या करें, क्या नही करें। गाइड लाइन जारी 1.न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को मास्क पहनना अनिवार्य है।
2.सामाजिक दूरी बनाए रखना सभी व्यक्तियों के लिए अनिवार्य है।

3. किसी भी प्रकार का पान गुटखा एवं मादक पदार्थ का सेवन करना यत्र तत्र थूकना प्रतिबंधित है।

4. किसी भी स्थिति में अदालत परिसर को गंदा करने पर दंडित किया जाएगा।

5.बीमार व्यक्तियों को न्यायालय परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं है। इस संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकार भोजपुर आरा के सचिव मुकेश कुमार द्वितीय ने बताया कि माननीय पटना उच्च न्यायालय के निर्देश के आलोक में अदालतों में कार्य शुरू होने की स्थिति में बीमार लोगों को न्यायालय परिसर में नहीं आना चाहिए। आईसीएमआर के निर्देशों का पालन भी आवश्यक है। ताकि न्यायालय परिसर को संक्रमण मुक्त रखा जा सके।

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KRISHNA KUMAR
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Vikas singh
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