Shahpur Hot seat: 1990 में जातीय समीकरण ध्वस्त, तब धर्मपाल सिंह ने निर्दलीय (जनता (जेपी) चुनाव जीतकर रच दिया इतिहास
- हाइलाइट: Shahpur Hot seat
- समय के अनुसार शाहपुर विधानसभा की सियासी धारा भी बदलती रही है
आरा। भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी है। बिहार में चुनाव दो चरणों में संपन्न होगा। वहीं भोजपुर जिले के सभी सातों विधान सभा के लिए चुनाव प्रथम चरण में 06 नवंबर को होगा। इसके साथ ही विधानसभा में प्रत्याशी सक्रिय हो गए हैं। जिले की शाहपुर सीट पर सबकी नजर है, जहां से पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी (राजद ) लगातार दो बार से विधायक हैं। दोनों बार उनका मुकाबला ओझा परिवार से रहा।
वर्ष 2015 के चुनाव में विशेश्वर ओझा (भाजपा) प्रथम निकटम उम्मीदवार रहे। वही अगले चुनाव में उनकी पत्नी शोभा देवी (निर्दलीय) दूसरे स्थान पर रही, भाजपा यहां तीसरे स्थान पर रही। विदित रहे की वर्तमान विधायक राहुल तिवारी के पिता शिवानंद तिवारी को 2005 के नवंबर में हुए चुनाव में भाजपा की मुन्नी देवी से हार का सामना करना पड़ा था। पहली बार यहां ओझा परिवार के द्वारा भाजपा का कमल खिला। 2010 के चुनाव में भाजपा की मुन्नी देवी ने सफलता दुहराई।
किसी भी पार्टी की ओर से अब तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई है। घोषणा के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि चुनाव मैदान मेें कौन-काैन होंगे। लेकिन इस बार भी मुकाबला इन्हीं दो के बीच संभावित माना जा रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि राहुल तिवारी यहां हैट्रिक बना पाते हैं या नहीं। शाहपुर में विकास और जातीय समीकरण दोनों ही कारक बड़ी भूमिका निभाएंगे।
शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो राजद के राहुल तिवारी लगातार दो बार इस सीट से जीत चुके हैं। वर्तमान में कटाव पीड़ितों व आम जनता की नराजगी के बावजूद वे इस बार तीसरी जीत की तलाश में हैं। वहीं राजद से हीरा ओझा ने भी अपनी दावेदारी कर दी है । BJP 2005 से लगातार दो चुनाव जीतने के बाद भाजपा को दो बार पराजय का सामना करना पड़ा है। इस बार स्व:विशेश्वर ओझा के पुत्र राकेश ओझा जीतोड़ मेहनत कर वापसी के मूड में दिख रहे हैं।
देखा जाए तो समय के अनुसार शाहपुर विधानसभा की सियासी धारा भी बदलती रही है। 1990 में धर्मपाल सिंह ने चुनाव जीतकर जातीय समीकरण को ध्वस्त कर इतिहास रचा। 1990 से 2005 तक क्रमश: जनता (जेपी), जनता दल व राजद का कब्जा रहा। यह समय इस क्षेत्र की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का समय था। समय के साथ सियासी धारा बदली तो 2005 के नवंबर में हुए चुनाव में भाजपा का कमल पहली बार खिला। 2010 के चुनाव में भाजपा की मुन्नी देवी ने सफलता दुहराई। पिछले दो चुनावों से यहां राजद का कब्जा है।
विधायक से नराजगी: दियारा इलाके में बाढ़ व कटाव और अगलगी की घटनाओं से बचाव का स्थाई सामाधान अब तक नहीं निकला है। दावों के बावजूद धमवल व पिपरा गांव में सड़क नहीं बन पाई, वर्तमान में बनाही स्टेशन को जानेवाली सड़क की हलात से राजद विधायक राहुल तिवारी के प्रति लोगों में काफी नराजगी भी है।



