Shahpur Block Library: शाहपुर के प्रखंड परिसर स्थित किसान भवन में खुले स्वतंत्रता सेनानी देवी ओझा के नाम वाले पुस्तकालय का मिटा दिया नामोनिशान, रंग रोगन कर अधिकारियों ने प्रखंड पंचायत राज कार्यालय में परिवर्तित कर दिया।
- हाइलाइट : Shahpur Block Library
- स्वतंत्रता सेनानी के नाम को दरकिनार करना, उनके संघर्ष और बलिदान का अपमान है
- स्वतंत्रता सेनानी के नाम के साथ प्रखंड पुस्तकालय का अस्तित्व मिटाने वालो पर कारवाई हो- कृष्णा देवी
Shahpur Block Library आरा: शाहपुर प्रखंड परिसर स्थित किसान भवन में स्थित स्वतंत्रता सेनानी देवी ओझा के नाम पर स्थापित पुस्तकालय, जो ज्ञान और संस्कृति के संवर्धन का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत था। सरकारी अधिकारियों द्वारा नामोनिशान तक मिटा दिया गया है। पुस्तकालय की स्थापना स्वतंत्रता सेनानी देवी ओझा की स्मृति में की गई थी, जिन्होंने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
स्वतंत्रता सेनानी के नाम पुर खुला यह पुस्तकालय ना केवल अध्ययन का केंद्र था, बल्कि यह युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का एक माध्यम भी था। अधिकारियों ने इसे रंग रोगन कर प्रखंड पंचायत राज कार्यालय में परिवर्तित कर दिया, जिससे यह संवेदनहीनता और असंवेदनशीलता का प्रतीक बन गया है।
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शाहपुर के तत्कालीन बीडीओ सुनील कुमार ने बताया कि तब भोजपुर डीएम व डीडीसी द्वारा बोला गया था कि प्रखंड परिसर में स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर पुस्तकालय खोला जाय। जिसके आलोक में उक्त भवन को स्वतंत्रता सेनानी देवी ओझा के नाम पर पुस्तकालय खोला गया था। साथ ही साथ लाखों रुपए के किताब की खरीदारी भी गई थी। जिसके तुरंत बाद कोरोना के समय सबकुछ बाधित हो गया। किसान भवन के मरम्मत, रंग पेंट सहित पुस्तकालय खोलने में लाखों रुपए का खर्चा आया और लाखों रुपए की किताबें खरीदी गई थी।
वर्ष 2023-24 में इसी पुस्तकालय में अलग से करीब 10 लाख रुपए लगाकर पुनः मरम्मती कराई गई और स्वतंत्रता सेनानी देवी ओझा के नाम पर स्थापित पुस्तकालय का नामोनिशान तक मिटाकर सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रखंड पंचायत राज कार्यालय में परिवर्तित कर दिया। जिससे पुस्तकालय का अस्तित्व समाप्त हो गया है।
स्वतंत्रता सेनानी देवी ओझा के वंशज देवकुमार ओझा ने दिल्ली से दूरभाष पर बताया कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने अंग्रेजों को हराया वो अपनो से हार गए। जिप सदस्य कृष्णा देवी और समाजसेवी प्रमोद ओझा ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई।
जिप सदस्य कृष्णा देवी व समाजसेवी प्रमोद ओझा ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी के नाम के साथ प्रखंड पुस्तकालय का अस्तित्व मिटाने वालो पर कारवाई होनी चाहिए। भवन पर कम से कम उनका नाम तो रहने देना चाहिए था। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी के नाम को दरकिनार करना, उनके संघर्ष और बलिदान का अपमान है।