Shahpur Councillors: सब्र की इंतेहा होने के बाद अब आम जनमानस के साथ साथ यहां के पार्षद भी सफाई एनजीओ के कार्यशैली के विरुद्ध आवाज उठाने लगे हैं।
- हाइलाइट :- Shahpur Councillors News
- नगर पंचायत की कार्यप्रणाली के विरुद्ध दिनोंदिन बढ़ता आक्रोश
- सब्र की इंतेहा होने के बाद अब पार्षद भी उठाने लगे आवाज
- पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी से व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा
आरा/शाहपुर: नगर पंचायत शाहपुर में भले ही आज तक विकास कार्यों का लोगों को दर्शन नहीं हुआ हो, लेकिन साफ सफाई की व्यवस्था से लोगों के मन में ये संतोष था कि हमलोग नगर पंचायत के वासी हैं। लेकिन धीरे धीरे साफ सफाई की व्यवस्था भी लूट खसोट में बदलते नजर आ रही है। जिसके कारण लोगों में नगर पंचायत की कार्यप्रणाली के विरुद्ध दिनोंदिन आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सब्र की इंतेहा होने के बाद अब आम जनमानस के साथ साथ यहां के पार्षद भी कार्यशैली के विरुद्ध आवाज उठाने लगे हैं।
इसकी जानकारी देते कई वार्ड पार्षद सदस्यों ने बताया कि जब तक पूर्व के एनजीओ के माध्यम से साफ सफाई की व्यवस्था चल रही थी, तब तक कार्य संतोषप्रद था और किसी भी कमी की शिकायत वे लोग एनजीओ मालिक से कर उसका निदान करवाते थे, लेकिन जब से उक्त एनजीओ को हटाकर नए एनजीओ के द्वारा कार्य शुरू किया गया है, तब से आज तक सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है। व्यवस्था में कमी की शिकायत करने पर सभी कर्मी व अधिकारी एक दूसरे पर आरोप मढ़ना शुरू कर देते हैं, लेकिन निदान करवाने पर किसी का ध्यान नहीं जाता है।
वार्ड पार्षद सदस्यों ने बताया कि सफाई में खानापूर्ति किए जाने का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सभी वार्डों सहित आज कोई ऐसा सड़क नहीं है, जिस सड़क में कचरे का अंबार न लगा हो। एनएच 84 में हाईस्कूल के समीप, सरना भरौली रोड में वार्ड संख्या-02 नदी पुल के समीप सहित कई ऐसी जगहें है, जहां कचरे का अंबार लगा हुआ है। लेकिन कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा सफाई व्यवस्था को दुरुस्त या सुचारू ढंग से चलाने के लिए कोई पहल नहीं किया जा रहा है।
पार्षदों ने बताया कि कचरे से निकलने वाली सड़ांध के कारण लोगों का चलना मुश्किल हो रहा है। इस बाबत एनजीओ के मुंशी वीरेंद्र साह को कहा जाता है तो उसके द्वारा कोई न कोई बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लिया जाता है। पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी से आग्रह किया है कि इस दिशा में अपने स्तर से पहल करते हुए यहां के साफ सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त करवाया जाय, ताकि लोगों को कचरे से निजात मिल सके। अन्यथा एनजीओ के पेमेंट को रोक कर भारी जुर्माना के साथ एकरारनामा को रद्द किया जाये।
इधर, कार्यपालक पदाधिकारी से इस मामले की जानकारी हेतु मोबाइल से फोन किया गया तो उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा। अतः इस संबंध में उनका पक्ष नहीं मिल सका। वही पार्षदों ने शिकायत किया की उनके द्वारा भी फोन करने पर कार्यपालक अक्सर फोन नहीं उठाते है।