Sushil Modi – Bihar politics: बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी ने सोमवार को अंतिम सांसें लीं। वो कैंसर से जूझ रहे थे और दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था।
- हाइलाइट :- Sushil Modi – Bihar politics
- 1990 में सुशील कुमार मोदी ने पटना केन्द्रीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे।
- 1995 और 2000 का भी चुनाव वो इसी सीट से जीते।
- साल 2004 में उन्होंने भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था।
- साल 2005 में उन्होंने संसद सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया और विधान परिषद के लिए निर्वाचित होकर उपमुख्यमंत्री बने।
- साल 2005 से 2013 और फिर 2017 से 2020 के दौरान वो बतौर उपमुख्यमंत्री अपनी भूमिका निभाते रहे।
- दिसंबर, 2020 में उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भेजा।
बिहार की राजनीति में क़रीब पांच दशक से अलग-अलग भूमिका निभाने वाले सुशील कुमार मोदी नहीं रहे। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी ने सोमवार को अंतिम सांसें लीं। वो कैंसर से जूझ रहे थे और दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था। लोकसभा चुनाव के एलान के बाद सुशील मोदी ने अपनी बीमारी की जानकारी सार्वजनिक की थी। उन्होंने एक्स पर लिखा था, मैं पिछले छह महीने से कैंसर से जंग लड़ रहा हूं। अब मुझे लगता है कि लोगों को इस बारे में बता देना चाहिए। मैं लोकसभा चुनाव में ज़्यादा कुछ नहीं कर पाऊंगा। इसके बाद से ही वो राजनीति और सोशल मीडिया पर ज़्यादा सक्रिय नहीं दिखे।
छात्र राजनीति से शुरुआत और जेपी आंदोलन का प्रभाव
सुशील मोदी की छात्र राजनीति की शुरुआत साल 1971 में हुई। उस वक़्त वो पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ की 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य निर्वाचित हुए। 1973 में वो महामंत्री चुने गए। उस वक़्त पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और संयुक्त सचिव रविशंकर प्रसाद चुने गए थे। जेपी आंदोलन के प्रभाव में आने के बाद उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन में पटना विश्वविद्यालय में दाख़िला लेकर पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। आपातकाल में वे 19 महीने जेल में रहे। 1977 से 1986 तक वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
देश के चारों सदनों में रहने का मौक़ा मिला
इस साल फ़रवरी में सुशील मोदी का राज्यसभा का कार्यकाल ख़त्म हुआ था। अपने विदाई भाषण में उन्होंने मौक़ा देने के लिए पार्टी की तारीफ़ की थी। उन्होंने कहा था, देश में बीजेपी के बहुत कम ऐसे कार्यकर्ता होंगे, जिनको पार्टी ने इतना मौक़ा दिया है। मुझे देश के चारों सदनों में रहने का मौक़ा मिला है। मैं तीन बार विधायक, एक बार लोकसभा, 6 साल तक विपक्ष का नेता बिहार विधानसभा में, 6 साल तक विधान परिषद में विपक्ष का नेता रहने का मौक़ा मिला है। और बिहार के अंदर क़रीब 12 साल तक नीतीश कुमार के साथ भी काम करने का मौक़ा मिला है।
मुझे पार्टी के अंदर प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर भी काम करने का मौक़ा मिला है। राजनीति में कोई आदमी ज़िंदगी भर काम नहीं कर सकता है लेकिन सामाजिक तौर पर आजीवन काम कर सकता है। मैं संकल्प लेता हूं कि जीवन के अंतिम क्षण तक मैं सामाजिक कार्य करता रहूंगा।