Wednesday, March 26, 2025
No menu items!
Homeआरा भोजपुरShahpur Newsश्री वैष्णव संत परंपरा के शिखर पुरुष पूज्य त्रिदंडी स्वामी

श्री वैष्णव संत परंपरा के शिखर पुरुष पूज्य त्रिदंडी स्वामी

Tridandi Swami: वैदिक सनातन धर्म की यज्ञ विधा को आधुनिक काल में प्रतिष्ठापित करनेवाले भारत के विख्यात वैष्णव संत श्री विष्वकसेनाचार्य जी जिन्हें हमलोग त्रिदंड़ी स्वामी जी के नाम से जानते हैं.

Tridandi Swami: वैदिक सनातन धर्म की यज्ञ विधा को आधुनिक काल में प्रतिष्ठापित करनेवाले भारत के विख्यात वैष्णव संत श्री विष्वकसेनाचार्य जी जिन्हें हमलोग त्रिदंड़ी स्वामी जी के नाम से जानते हैं.

  • हाइलाइट्स:Tridandi Swami
    • त्याग,तप, साधुता और विद्वता की प्रतिमूर्ति श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज
    • वैदिक सनातन धर्म की यज्ञ विधा को आधुनिक काल में प्रतिष्ठापित किया

Tridandi Swami: आरा/शाहपुर: जीयर स्वामीजी भारत के विख्यात वैष्णव संत श्री विष्वकसेनाचार्य जी के शिष्य हैं जिन्हें हमलोग त्रिदंड़ी स्वामी जी के नाम से जानते हैं. उन्होंने बिहार और उत्तरप्रदेश के बड़े हिस्से में संन्यास लेने के बाद लगभग 80 वर्षों तक वैष्णवता की धर्म ध्वजा को फहराया. वे त्याग,तप, साधुता और विद्वता की प्रतिमूर्ति ही थे. शास्त्रों के मर्मज्ञ और वैष्णवोचित आचरणों के पुण्य पुरुष. वैदिक सनातन धर्म की यज्ञ विधा को उन्होंने आधुनिक काल में फिर से प्रतिष्ठापित करने का महान कार्य किया. उनकी साधुता, विद्वता की कहानियां ग्राम्य अंचलों में लोगों की जुबान पर हैं. साथ ही यज्ञों के दौरान उनके कई चमत्कार की कथाएं भी बड़े चाव से लोग सुनाया करते हैं. सुनते हैं स्वामी जी का गुस्सा भी बड़ा गजब का था. भक्त लोग उसे उनका आशीर्वाद समझकर ग्रहण करते थे. उन्होंने बक्सर को अपनी तप साधना का केन्द्र बनाया था, जो महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि के तौर पर ख्यात है. परमहंस परिव्राजकाचार्य होने के चलते वे एक-एक माह नदियों के किनारे, वनों में और गांवों के बाहर कुटिया में ही रहते.

BK

श्री वैष्णव संत परंपरा के शिखर पुरुष

Mathematics Coching shahpur
Mathematics Coching shahpur

स्वामी जी हमेशा झोंपड़ी में निवास करते थे. गांव में किसी के घर कभी निवास नहीं किया. आहार के तौर पर केवल गौ दूध लेना, उनकी दिनचर्या का हिस्सा था. वह भी नारियल के छोटे से पात्र में दो या तीन बार. उपलब्ध तस्वीरों में उनकी जर्जर और कृशकाय काया के ही दर्शन होते हैं, जो उस तपःपुंज की कठोर साधना की गवाही देते हैं. संक्षेप में कहें तो हर दृष्टि से वे सनातन धर्म की श्री वैष्णव संत परंपरा के शिखर पुरुष थे. उन्होंने अपनी विद्वता- साधुता और सत्कर्मों से जनमानस को प्रेरित-प्रभावित किया और स्वामी रामनारायणाचार्यजी महाराज और उनके शिष्य श्री वासुदेवाचार्य विद्याभास्कर स्वामीजी (अयोध्या) जैसी संत विभूतियों को देकर अपनी शास्त्रीय परंपरा को जीवंतताऔर निरंतरता प्रदान की. उनके यज्ञों में विभिन्न विद्वानों के द्वारा बड़े चाव से अलग-अलग विषयों पर शास्त्रार्थ होते थे.

श्री लक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी

विष्वकसेनाचार्य जी महाराज, जिनके पूर्व आश्रम का नाम वैद्यनाथ चौबे था, ने वर्तमान जीयर स्वामी यानी श्री लक्ष्मीप्रपन्न जी महाराज को अपना शिष्य बनाया. जानकारी के मुताबिक शाहपुर के ओझा के सिमरिया गांव में यज्ञोपवित संस्कार कर ब्रह्मचारी के तौर अपनी शिष्यमंडली में इनको स्थान दिया. यह पिछली सदी के 90 के दशक के आरंभिक दिनों की बात है. नोखा के समीप अपनी जन्मभूमि सिसरीत में त्रिदंडी स्वामी जी का यज्ञकर्म नजदीक से देखने के बाद पूज्य स्वामी जी के श्री चरणों में उनका अनुराग बढ़ा, जो कालांतर में ब्रह्मचारी दीक्षा के तौर पर परवान चढ़ा. साधना पथ पर लगभग दस साल तक कठिन परीक्षा के दौर से गुजरने के बाद चंदौली (यूपी) के कांवर गांव में अपने प्रिय शिष्य ब्रह्मचारी ललन मिश्र को त्रिदंडी स्वामीजी ने संन्यास दीक्षा देकर श्री लक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी बना दिया. आज उसी नाम से पूरा देश उनको जानता-मानता और पूजता है.

भोजपुर जिले के शाहपुर में यज्ञ

संन्यास दीक्षा के बाद स्वामी जी ने गुरु के बताये कंटकाकीर्ण मार्ग को ही अपने जीवन का ध्येय घोषित कर दिया. जप, तप, साधना और स्वाध्याय का कठिन मार्ग अंगीकार किया. वे भी घास-फूस की झोंपड़ी बनाकर रहते हैं. दिन में एक बार फलाहार करते हैं, वह भी सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से काफी पहले. केवल गंगाजल पीते हैं.बिस्तर के तौर पर भूमि पर कंबल बिछाकर सोना उनकी आदतों में शुमार है. ऐसे संन्यासी हैं जो आज भी फोन-मोबाइल नहीं रखते हैं. इतना ही नहीं, पैसा-रुपया और कोई द्रव्य हाथों से स्पर्श तक नहीं करते. कभी टीवी नहीं देखते और न किसी टीवी और अखबार वाले पत्रकार को इंटरव्यू दिया. किसी को सुनकर आश्चर्य हो सकता है कि क्या इस दौर में भी ऐसे महात्मा हैं.

उन्हीं जीयर स्वामी के सत्संकल्प को पूर्ण करने में बिहार के भोजपुर जिला के शाहपुरवासी आजकल मन-प्राण से जुटे हैं. बिहार की धरती ने ऐसे संत पुरुष को जन्म दिया है, जो इस भौतिकता और कोलाहल भरे माहौल में विरले हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो वे वैष्णवता की रामानुजी धारा के ऐसे प्रकाश पुंज हैं जिसके वितान में बड़ा से बड़ा संत, श्री महंत और सदगृहस्थ आश्रय और दिशा लेता मिलती है.

RAVI KUMAR
RAVI KUMAR
बिहार के भोजपुर जिला निवासी रवि कुमार एक भारतीय पत्रकार है एवं न्यूज पोर्टल खबरे आपकी के प्रमुख लोगों में से एक है।
- Advertisment -
शाहपुर यज्ञ समिति
शाहपुर यज्ञ समिति

Most Popular