Voice of opposition unity from Bihar: सीएम नीतीश कुमार की राहुल गाँधी समेत तमाम बड़े नेताओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की सफल कोशिश की प्रशंसा की जा रही है। उनकी पहल का ही परिणाम रहा कि एक साथ इतने दल मिलकर बैठ सके। आगे भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। बैठक के पहले तक विपक्षी दलों को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे थे।
देश के बिभिन्न राज्यों के सभी बड़े दलों के नेताओं का साथ आना तमाम कयासों को खत्म कर दिया है। साल 1977 के बाद पहली बार विपक्षी एकता को लेकर ऐसा परिदृश्य देखने को मिला है। इसके पहले भी कई बार विपक्षी दल मिले, गठबंधन भी बना। लेकिन, ऐसा पहली बार हो रहा है, जब इतने दल एक साथ एक प्लेटफॉर्म पर आने को सहजता से तैयार हो गए हैं। उनमें सामंजस्य और भरपूर आत्मविश्वास दिख रहा है। वे यह संदेश देने में सफल रहे कि वे सब मिलकर लड़े तो उनका लक्ष्य असंभव नहीं है।
बिहार की राजधानी पटना में हुई विपक्षी दलों की महाबैठक न सिर्फ कई मायने में ऐतिहासिक रही, बल्कि अपने उद्देश्यों में भी पूरी तरह सफल रही है। Voice of opposition unity from Bihar इस बैठक ने देश में नए विकल्प का स्पष्ट संकेत दे दिया है। इस मायने में इसने अपनी सार्थकता भी सिद्ध कर दी है। विपक्षी दलों ने यह भी दिखाया है कि वे केंद्र की एनडीए सरकार के समक्ष सशक्त चुनौती पेश करने में सक्षम हैं।
बैठक में एनडीए से मुकाबले के लिए एक राय बनना गैर भाजपा दलों के लिए एक तरह से सुखद संदेश है। अलग-अलग सोच वाले नेताओं को एक साथ लाना बड़ी सफलता है। 46 साल बाद ऐसा नजारा देखने को मिला है, कि अधिकांश विपक्षी दल साथ बैठे हों।