इस्तीफे के बाद बोले आरजेडी के पूर्व नेता विजयेन्द्र यादव
लालू प्रसाद हमारे लिए कल भी प्रिय थे और आज भी प्रिय हैं
आरा (मो. वसीम)। आरजेडी के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष सह पूर्व एमएलए विजयेन्द्र यादव ने शनिवार को प्रेसवार्ता कर पद एवं पार्टी से पूर्ण रूप से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने के बाद आरा परिसदन में मीडिया से मुखातिब होते हुए श्री यादव ने राजद पार्टी पर आरोप लगाया। कहा कि अब इस पार्टी में किसी भी पुराने नेता को सम्मान नहीं मिल पा रहा है।
विजयेन्द्र ने कहा कि वर्तमान में मैं बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष था। इससे पूर्व में दो बार एमएलए भी रह चुका हूं। इसके साथ ही मैं राजनीतिक में 1984 से सक्रिय रहा हूं। 1990 में जब लालू प्रसाद का शासन हुआ। तभी से मैं उनके साथ आ गया। उन्होंने कहा कि जब मेरी आंख खुली, तो मैंने राजनीति में पहले लालू प्रसाद को देखा। सोचा कि जिस तरह मैंने राजनीति लालू प्रसाद से शुरू की है। उसी तरह लालू जी से ही राजनीति को खत्म कर दूंगा। लेकिन पार्टी अब यह नहीं चाहती थी कि मैं इसी पार्टी से राजनीति समाप्त करूं। लेकिन पार्टी चाहती थी कि मैं राजद को छोड़ दूं।पार्टी द्वारा मुझे लगातार 10 वर्षों से नजर अंदाज किया जा रहा है। गत विधानसभा चुनाव में मेरे क्षेत्र से दूसरे को टिकट मिला। बावजूद इसके लालू प्रसाद के आग्रह पर हमने उसे मेहनत कर जिताया। लालू प्रसाद हमारे लिए कल भी प्रिय थे और आज भी प्रिय हैं।
इस दल में पुराने नेताओं को इग्नोर किया जा रहा है और नए नेताओं को हाईजैक करके उन्हें चुनाव लड़ाया जा रहा है। एमएलसी के चुनाव में भी सभी ने देखा। एमएलए के भी चुनाव में आपने देखा और आगे भी आप देखेगें। पुराने नेताओं को इस पार्टी में कोई तरजीह देने वाला नहीं है। जिले में कई सम्मेलन व समारोह हुए। जिसमें मैं मंच पर मौजूद रहा। तब भी मुझे कुछ बोलने का मौका नहीं मिला। इस चीज को भी मैंने लालू प्रसाद के चलते जहर के माफिक पी गया। जब पिछली बार मैं नाराज था, तो लालू प्रसाद ने हमें मनाया था और आश्वासन दिया था कि तुमको इससे भी अच्छा पार्टी में जगह देंगे। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।
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उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि इस पार्टी से जाने का मुझे उतना ही दुख है, जितना शादी के बाद लड़की ससुराल जाने के समय जितना दुखी होती है। क्योंकि मैं इस पार्टी से 30 वर्षों से जुड़ा रहा हूं। मैं जनता के लिए एमएलए आज भी हूं। लेकिन किसी भी प्रकार की समाज यह लोगों की मदद करने के लिए पावर की जरूरत होती है। जब हमें पार्टी द्वारा कोई पावर ही नहीं दिया गया है। तो मैं इस पार्टी में कैसे रह पाऊंगा? इसी कारण से मैंने इस पार्टी को छोड़ने का यह निर्णय लिया है।
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उन्होंने कहा कि मैंने अभी तक किसी भी दल में जाने का निर्णय नही लिया है और नही घोषणा की है। जो दल हमें सम्मान के साथ बुलाएगी मैं उस दल में जाऊंगा। लेकिन मैं इस दल में अब कतई नहीं रहूंगा। इशारों-इशारों में ही उन्होंने संदेश विधान सभा की सीट पर चुनाव लड़ने की भी इच्छा जताई।
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