Friday, October 18, 2024
No menu items!
HomeबिहारBhojpurजिंदगी और मौत से जूझकर गांव पहुंचे सबाह का फूल-मालाओं से स्वागत

जिंदगी और मौत से जूझकर गांव पहुंचे सबाह का फूल-मालाओं से स्वागत

सहार – सबाह: भोजपुर जिले में नासरीगंज-सकड्डी स्टेट हाईवे पर परिजनों के साथ सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष ग्रामीण हाथ में फूल-माला लिए सबाह के स्वागत में खड़े थे।

  • हाइलाइट :-
    • ग्रामीणों सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने फूल-मालाओं के साथ सबाह का स्वागत किया
    • नासरीगंज-सकड्डी स्टेट हाईवे पर स्वागत में खड़े थे सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष

सहार – सबाह/भोजपुर: उत्तराखंड के सिल्क्यारा टनल में 17 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझकर आखिरकार सहार प्रखंड के पेउर गांव निवासी श्रमिक सबाह अहमद भी अपने गांव पहुंच गया। गांव में ग्रामीणों को इस बात की खबर लगते ही सभी गांव से सटे नासरीगंज-सकड्डी स्टेट हाईवे पर परिजनों के साथ सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष ग्रामीण हाथ में फूल-माला लिए स्वागत में खड़े थे। दोपहर के 1115 मिनट पर जैसे ही सबाह की गाड़ी आकर रुकी तो सबसे पहले उन्होंने अपने बड़े बेटे मुकर्रम जाहिदी को गोद में उठाकर भावुक हो गए। इसके बाद सबाह के परिजन, ग्रामीणों सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उन्हें फूल-मालाओं के साथ स्वागत किया।

Ankit
Guput

सबाह माता-पिता और पत्नी से मिलकर भावुक हुए

Bijay singh

उत्तरकाशी के अंधेरी सुरंग से 17 दिनों बाद जिंदगी की जंग जीत कर लौटे सबाह को घर में प्रवेश द्वार पर मां शहनाज बेगम ने गले लगा भावुक हो गईं। खुशी के ये आंसू मौके पर मौजूद लोगों को भी भावुक करने वाला था। इधर, पत्नी ने फूलों और मुंह मीठा करा स्वागत किया। इसके बाद खुशी में मिठाईयां बांटी गई।

अत्यधिक थकान के बावजूद अपनों को देखते खिला चेहरा

सबाह अहमद ने बताया कि वे सत्रह दिनों में मात्र दो से तीन घंटे ही सो पाते थे। उन्होंने बताया कि सेफ्टी के सीनियर फोरमैन और टीम को लीड करने के कारण उन्हें बाहर से मिलने वाली हर एक निर्देश को समझना पड़ता था। साथ ही उन्हें ही अंदर के हालातों से बाहर अधिकारियों को अवगत कराना होता था। ऐसे में आशंकाओं और अनिश्चितताओं के बीच हम अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते थे।

- Advertisment -
Ranglal
कामेश्वर कुमार राज
शम्भू कुमार भगत

Most Popular

Don`t copy text!