सहार – सबाह: भोजपुर जिले में नासरीगंज-सकड्डी स्टेट हाईवे पर परिजनों के साथ सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष ग्रामीण हाथ में फूल-माला लिए सबाह के स्वागत में खड़े थे।
- हाइलाइट :-
- ग्रामीणों सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने फूल-मालाओं के साथ सबाह का स्वागत किया
- नासरीगंज-सकड्डी स्टेट हाईवे पर स्वागत में खड़े थे सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष
सहार – सबाह/भोजपुर: उत्तराखंड के सिल्क्यारा टनल में 17 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझकर आखिरकार सहार प्रखंड के पेउर गांव निवासी श्रमिक सबाह अहमद भी अपने गांव पहुंच गया। गांव में ग्रामीणों को इस बात की खबर लगते ही सभी गांव से सटे नासरीगंज-सकड्डी स्टेट हाईवे पर परिजनों के साथ सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष ग्रामीण हाथ में फूल-माला लिए स्वागत में खड़े थे। दोपहर के 1115 मिनट पर जैसे ही सबाह की गाड़ी आकर रुकी तो सबसे पहले उन्होंने अपने बड़े बेटे मुकर्रम जाहिदी को गोद में उठाकर भावुक हो गए। इसके बाद सबाह के परिजन, ग्रामीणों सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उन्हें फूल-मालाओं के साथ स्वागत किया।
सबाह माता-पिता और पत्नी से मिलकर भावुक हुए
उत्तरकाशी के अंधेरी सुरंग से 17 दिनों बाद जिंदगी की जंग जीत कर लौटे सबाह को घर में प्रवेश द्वार पर मां शहनाज बेगम ने गले लगा भावुक हो गईं। खुशी के ये आंसू मौके पर मौजूद लोगों को भी भावुक करने वाला था। इधर, पत्नी ने फूलों और मुंह मीठा करा स्वागत किया। इसके बाद खुशी में मिठाईयां बांटी गई।
अत्यधिक थकान के बावजूद अपनों को देखते खिला चेहरा
सबाह अहमद ने बताया कि वे सत्रह दिनों में मात्र दो से तीन घंटे ही सो पाते थे। उन्होंने बताया कि सेफ्टी के सीनियर फोरमैन और टीम को लीड करने के कारण उन्हें बाहर से मिलने वाली हर एक निर्देश को समझना पड़ता था। साथ ही उन्हें ही अंदर के हालातों से बाहर अधिकारियों को अवगत कराना होता था। ऐसे में आशंकाओं और अनिश्चितताओं के बीच हम अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते थे।