Sunday, May 12, 2024
No menu items!
Homeबिहारआरा भोजपुरआरा में यादव महासभा ने मनाई राव तुला राम की जयंती पखवाड़ा...

आरा में यादव महासभा ने मनाई राव तुला राम की जयंती पखवाड़ा समारोह

Rao Tula Ram – प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) के अग्रणी नायकों में एक रेवाड़ी के राजा राव तुला राम की आरा में जयंती पखवाड़ा समारोह का आयोजन किया गया ।

  • हाइलाइट :-
    • 1857 प्रथम स्वतंत्रतता संग्राम के नायक यदुवंशी समाज का क्षत्रप राव तुला राम
    • अखील भारतवर्षीय यादव महासभा ने मनाया राव तुला राम का जयंती पखवाड़ा

आरा : अखील भारतवर्षीय यादव महासभा के बैनर तले शहीद अकली देवी नगर (आरा) में सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नायकों में एक राव तुला राम की तैल चित्र पर माल्यार्पण कर जयन्ति पखवाड़ा के रूप में मनाया गया। अध्यक्षता यादव रामसकल सिंह भोजपुरिया ने तथा संचालन मुन्ना यादव ने किया ।

Election Commission of India
Election Commission of India

यादव रामसकल सिंह भोजपुरिया ने कहा की राव तुला राम (Rao Tula Ram) का जन्म 9 दिसंबर 1825 के दिन रेवाड़ी में हुआ था। यदुवंशी समाज के इस क्षत्रप ने 1857 के स्वतंत्रतता संग्राम के दौरान 17 मई 1857 को अंग्रेजी प्रशासन द्वारा नियुक्त तहसीलदार को हटाकर रेवाड़ी को अंग्रेज़ी शासन से मुक्ति दिलाई थी। अपने चचेरे भाई राव गोपाल देव के साथ मिलकर राव तुला राम ने न केवल दक्षिण हरियाणा से अंग्रेजों के शासन की समाप्ति की थी, बल्कि अपने इलाके से आगे बढ़कर उन शक्तियों की मदद भी की जो अंग्रेजों के विरुद्ध दिल्ली में ऐतिहासिक लड़ाई लड़ रही थी। राव तुला राम ने तत्कालीन बादशाह बहादुर शाह जफर की सेना को न केवल धन और सैन्य शक्ति से मदद की थी, बल्कि भारी मात्रा में सेना के लिए रसद सामग्री भी भेजी थी।

राव तुला राम की सेना ने उनके चचेरे भाई राव किरशन सिंह की अगुवाई में 16 नवंबर 1857 के दिन अंग्रेजी फौज के विरुद्ध नारनौल के पास नसीबपुर में भीषण युद्ध किया। राव तुला राम की सेना का पहला आक्रमण इतना तीखा था कि अंग्रेजों को मुँह की खानी पड़ी। कई अंग्रेज अफसर मारे गए और कई घायल हुए। अंग्रेजी फौज ने दूसरी बार आक्रमण किया और उसमें अंग्रेज़ों की विजय हुई। उनके सहयोगी और सेनापति बलिदान हो गए। इसके बाद राव तुला राम अपनी बची-खुची सेना के साथ राजस्थान की ओर चले गए और वहाँ लगभग एक वर्ष तक तात्या टोपे की सेना के साथ मिलकर अंग्रेज़ों के विरुद्ध युद्ध किया। सीकर की लड़ाई में राव तुला राम और तात्या टोपे की सेना की पराजित हुई और इसके पश्चात राव तुला राम ने भारत छोड़ दिया।

Shobhi Dumra - News
Shobhi Dumra - News

भारत से बाहर जाकर राव तुला राम (Rao Tula Ram) ने ईरान के शाह, अफगानिस्तान के तत्कालीन शासक दोस्त मोहम्मद खान और रूस के राजा एलेक्सेंडर द्वितीय से मदद माँगी ताकि अंग्रेजी शासन से भारतवर्ष को मुक्त कराया जा सके। स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई में अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े होने के कारण अंग्रेजी शासकों ने 1859 में राव तुला राम की संपत्ति को जब्त कर लिया था। बाद में उनकी सम्पत्तियों को उनके पुत्र राव युधिष्ठिर सिंह को 1877 में सुपुर्द कर दिया गया। 23 सितंबर 1862 में राव तुला राम की काबुल में 38 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई।

डॉ रघुबर चन्द्रवँशी ने कहा कि राव तुला राम कुशल प्रशासक और उत्कृष्ट सेनापति थे। तुला राम जब मात्र चौदह वर्ष के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। बताते हैं कि उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था और तत्कालीन ऐतिहासिक घटनाओं पर उनकी नज़र भी रहती थी। रेवाड़ी पर अपने नियंत्रण के बाद उन्होंने अपनी शक्ति बढ़ानी आरंभ कर दी और इस प्रक्रिया में उन्होंने हथियार बनाने का कारखाना भी स्थापित किया। उद्देश्य मात्र एक, अंग्रेजी शासन से भारत को मुक्ति दिलाना। अपने इन्हीं प्रयासों में वे विदेश भी गए ताकि अंग्रेजों के विरुद्ध और सेनाओं तथा राजाओं की मदद ली जा सके।

प्रो. विजय सिंह मुखिया ने कहा कि सार्वजनिक जानकारियों के अनुसार वे तत्कालीन बीकानेर के राजा का पत्र लेकर रूस के जार के पास तक गए थे। अंग्रेज शासकों ने उनके इन प्रयासों को रोकने की कोशिश की और इस वजह से रूस की यात्रा के समय उनके सहायक पकड़े गए।

सुरेश यादव ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव जैसे कार्यक्रमों में राव तुला राम जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में पढ़ने और सुनने को अधिक से अधिक मिले तो वर्तमान और आनेवाली पीढ़ी अपने नायकों के बारे में जान सकेगी। यह वर्तमान और पूर्व पीढ़ियों के लिए त्रासदी से कम नहीं कि स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में जिन नायकों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया उनके बारे में हम नहीं जानते। यह मात्र इतिहास के पुनर्लेखन की बात नहीं है। यह देश के हर नायक की कथा और उनकी पहचान की बात है। वैसे भी स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई भी मात्र पौने दो सौ साल पुरानी ही है। ऐसे में यदि हम अपने नायकों के बारे में नहीं जान सकें तो एक राष्ट्र के रूप में हमारी पहचान सुढृढ़ करना हमेशा के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी।

समारोह के अंत में पूर्व मुखिया स्व:राधा यादव के मृत्यु पर दो मिनट का मौन रखा गया। समारोह को सम्बोधित करने वाले लोगो मे प्रो. अशोक सिंह, भीम पटेल, अजय यादव, पप्पू यादव, गांगुली यादव, जितेंद यादव, चन्दन पासवान, बुटन यादव, ओमप्रकाश यादव , विजय यादव, रवि सागर यादव, उपप्रमुख भगरथि यादव, राधेश्याम यादव, रवि प्रकाश यादव, कन्हैया ब्यास, धीरेंद्र यादव, कामेंद्र यादव, जगदीश यादव, सत्यनारायण यादव, भीखम यादव, भैरव यादव, भिखारी यादव सहित कई लोग उपस्थित थे ।

RAVI KUMAR
RAVI KUMAR
Journalist
- Advertisment -
Vikas singh
Vikas singh
sambhavna
aman singh

Most Popular

Don`t copy text!